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नक्सल विरोधी अभियान में शामिल जवानों का होगा बीमा, ये हैं मानक

पहली बार नक्सली अभियान में शामिल होने वाले सुरक्षाकर्मियों का बीमा कराया जाएगा. इसके तहत आश्रितों को 36 लाख का लाभ मिलेगा. साल 2019- 20 के वित्तीय वर्ष के लिए पुलिस मुख्यालय ने द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से इस संबंध में एमओयू किया है.

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Published : Oct 11, 2019, 12:39 PM IST

रांची: झारखंड में नक्सल अभियान में लगे जवानों को अब जल्द ही बीमा का लाभ मिलेगा. झारखंड पुलिस मुख्यालय के द्वारा नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हर जवानों का बीमा कराया जाएगा. बीमे का फायदा झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में अभियान में शामिल होने वाले पुलिसकर्मियों, केंद्रीय सुरक्षा बल, जगुआर और जैप के जवानों को मिलेगा.

झारखंड पुलिस मुख्यालय डीआईजी बजट मदन मोहन लाल ने झारखंड के सभी जिलों के एसपी और सीआरपीएफ के अधिकारियों को पत्र लिखकर इस मामले की जानकारी दी है. पत्र के अनुसार, पहली बार नक्सल हिंसा में शहीद होने वाले सुरक्षाकर्मियों के आश्रितों को 36 लाख का लाभ मिलेगा. साल 2019- 20 के वित्तीय वर्ष के लिए पुलिस मुख्यालय ने द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से इस संबंध में एमओयू किया है. गौरतलब है कि झारखंड पुलिस के जवानों को पहले 20 लाख तक का बीमा कराया जाता था.

ये भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: चाईबासा BJP में दिखी गुटबाजी, जिलाध्यक्ष से नाराज प्रखंड अध्यक्षों ने दिया इस्तीफा

इस तरह मिलेगा लाभ
डीआईजी बजट ने झारखंड के सभी जिलों के एसपी को लिखे पत्र में बताया है कि बीमा राशि के दावे के लिए जिलों के एसपी को उनके कार्यालय में प्रस्ताव सौंपना होगा. जिले के एसपी को निर्देश दिया गया कि किसी भी पुलिसकर्मी या पदाधिकारी के नक्सल विरोधी अभियान में शहीद होने या घायल होने की स्थिति में बीमा कंपनी और डीआईजी बजट के कार्यालय को जानकारी देनी होगी. अभियान के दौरान घायल होने वाले सारे सुरक्षाकर्मियों का इलाज भी इस दौरान मुफ्त होगा.

नक्सली हमले में अपंग होने पर भी मिलेगा पूरा लाभ
झारखंड पुलिस मुख्यालय के पत्र के मुताबिक, नक्सल हिंसा में मोतिया पूर्ण रूप से अपंगता की स्थिति में 36 लाख की राशि शहीद के परिजन या घायल जवान को दी जाएगी. पत्र में यह भी जिक्र किया गया है कि दोनों पैर या दोनों हाथ कटने की स्थिति में भी जवानों को बीमा की पूरी राशि मिलेगी. नक्सल अभियान के दौरान घायल होने की स्थिति में 15 लाख रुपए तक के खर्च का वाहन कैशलेस सिस्टम के आधार पर अस्पतालों को किया जाएगा. वहीं, एक हाथ या एक पैर का नुकसान होने पर 18 लाख की राशि मिलेगी.

हर तरह के खर्च का मिलने का है जिक्र

पत्र में जिक्र है कि नक्सल अभियान के दौरान सांप काटने या बीमारी से मौत की स्थिति में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आए तथ्यों के आधार पर जवान के आश्रितों को साढ़े सात लाख रुपए मिलेंगे. नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सड़क हादसे में मौत होने पर भी साढ़े सात लाख का लाभ आश्रितों के परिजनों को मिलेगा. शहीद के परिजनों के शव को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए भी 25 हजार और दो बच्चों की शिक्षा के लिए एक लाख की क्षति पूर्ति की व्यवस्था भी की गई है.

ये भी पढ़ें- झारखंड पुलिस, सेना और सीआरपीएफ के जवान देखेंगे भारत- साउथ अफ्रीका का टेस्ट मैच, JSCA में होंगे खास मेहमान

किस तरह से मिल सकेगा लाभ
जिलों के पुलिस अधीक्षकों को एक प्रमाण पत्र के जरिए बताना होगा कि नक्सल विरोधी अभियान में कार्य करने के दौरान अमुक कर्मी शहीद हुए या दिव्यांग हुए हैं. जिले के पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट मिलने के बाद बीमा संबंधी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी और लगभग 1 महीने के अंदर पूरी बीमा राशि का भुगतान शहीद के परिजनों को कर दिया जाएगा.

रांची: झारखंड में नक्सल अभियान में लगे जवानों को अब जल्द ही बीमा का लाभ मिलेगा. झारखंड पुलिस मुख्यालय के द्वारा नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हर जवानों का बीमा कराया जाएगा. बीमे का फायदा झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में अभियान में शामिल होने वाले पुलिसकर्मियों, केंद्रीय सुरक्षा बल, जगुआर और जैप के जवानों को मिलेगा.

झारखंड पुलिस मुख्यालय डीआईजी बजट मदन मोहन लाल ने झारखंड के सभी जिलों के एसपी और सीआरपीएफ के अधिकारियों को पत्र लिखकर इस मामले की जानकारी दी है. पत्र के अनुसार, पहली बार नक्सल हिंसा में शहीद होने वाले सुरक्षाकर्मियों के आश्रितों को 36 लाख का लाभ मिलेगा. साल 2019- 20 के वित्तीय वर्ष के लिए पुलिस मुख्यालय ने द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से इस संबंध में एमओयू किया है. गौरतलब है कि झारखंड पुलिस के जवानों को पहले 20 लाख तक का बीमा कराया जाता था.

ये भी पढ़ें- झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: चाईबासा BJP में दिखी गुटबाजी, जिलाध्यक्ष से नाराज प्रखंड अध्यक्षों ने दिया इस्तीफा

इस तरह मिलेगा लाभ
डीआईजी बजट ने झारखंड के सभी जिलों के एसपी को लिखे पत्र में बताया है कि बीमा राशि के दावे के लिए जिलों के एसपी को उनके कार्यालय में प्रस्ताव सौंपना होगा. जिले के एसपी को निर्देश दिया गया कि किसी भी पुलिसकर्मी या पदाधिकारी के नक्सल विरोधी अभियान में शहीद होने या घायल होने की स्थिति में बीमा कंपनी और डीआईजी बजट के कार्यालय को जानकारी देनी होगी. अभियान के दौरान घायल होने वाले सारे सुरक्षाकर्मियों का इलाज भी इस दौरान मुफ्त होगा.

नक्सली हमले में अपंग होने पर भी मिलेगा पूरा लाभ
झारखंड पुलिस मुख्यालय के पत्र के मुताबिक, नक्सल हिंसा में मोतिया पूर्ण रूप से अपंगता की स्थिति में 36 लाख की राशि शहीद के परिजन या घायल जवान को दी जाएगी. पत्र में यह भी जिक्र किया गया है कि दोनों पैर या दोनों हाथ कटने की स्थिति में भी जवानों को बीमा की पूरी राशि मिलेगी. नक्सल अभियान के दौरान घायल होने की स्थिति में 15 लाख रुपए तक के खर्च का वाहन कैशलेस सिस्टम के आधार पर अस्पतालों को किया जाएगा. वहीं, एक हाथ या एक पैर का नुकसान होने पर 18 लाख की राशि मिलेगी.

हर तरह के खर्च का मिलने का है जिक्र

पत्र में जिक्र है कि नक्सल अभियान के दौरान सांप काटने या बीमारी से मौत की स्थिति में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आए तथ्यों के आधार पर जवान के आश्रितों को साढ़े सात लाख रुपए मिलेंगे. नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सड़क हादसे में मौत होने पर भी साढ़े सात लाख का लाभ आश्रितों के परिजनों को मिलेगा. शहीद के परिजनों के शव को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए भी 25 हजार और दो बच्चों की शिक्षा के लिए एक लाख की क्षति पूर्ति की व्यवस्था भी की गई है.

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किस तरह से मिल सकेगा लाभ
जिलों के पुलिस अधीक्षकों को एक प्रमाण पत्र के जरिए बताना होगा कि नक्सल विरोधी अभियान में कार्य करने के दौरान अमुक कर्मी शहीद हुए या दिव्यांग हुए हैं. जिले के पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट मिलने के बाद बीमा संबंधी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी और लगभग 1 महीने के अंदर पूरी बीमा राशि का भुगतान शहीद के परिजनों को कर दिया जाएगा.

Intro:झारखंड में नक्सल अभियान में लगे जवानों को अब जल्द ही बीमा का लाभ मिलेगा। झारखंड पुलिस मुख्यालय के द्वारा नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हर जवान का बीमा करवाया जाएगा। बीमा का फायदा झारखंड के नक्सल प्रभावित जिलों में अभियान में शामिल होने वाले पुलिसकर्मियों ,केंद्रीय सुरक्षा बलों के कर्मियों ,जगुआर और जैप के जवानों को  मिलेगा।

डीआईजी बजट ने दी जानकारी

झारखंड पुलिस मुख्यालय के डीआईजी बजट मदन मोहन लाल ने झारखंड के सभी जिलों के एसपी और सीआरपीएफ के अधिकारियों को पत्र लिखकर इस मामले की जानकारी दी है। पत्र के अनुसार पहली बार नक्सल हिंसा में शहीद होने वाले सुरक्षाकर्मियों के आश्रितों को 36 लाख का लाभ मिलेगा साल 2019-  20 के वित्तीय वर्ष के लिए पुलिस मुख्यालय ने द न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी से इस संबंध में एमओयू किया है। गौरतलब है कि झारखंड पुलिस के जवानों को पहले 20 लाख तक का बीमा करवाया जाता था।

इस तरह मिलेगा लाभ

डीआईजी बजट ने झारखंड के सभी जिलों के एसपी को लिखे पत्र में बताया है कि बीमा राशि के दावे के लिए जिलों के एसपी को उनके कार्यालय में प्रस्ताव सपना होगा ।जिले के एसपी को निर्देश दिया गया है कि किसी भी पुलिसकर्मी या पदाधिकारी के नक्सल विरोधी अभियान में शहीद होने या घायल होने की स्थिति में बीमा कंपनी और डीआईजी बजट के कार्यालय को जानकारी देनी होगी ।अभियान के दौरान घायल होने वाले सारे सुरक्षाकर्मियों का इलाज भी इस दौरान मुफ्त होगा।

नक्सली हमले में अपंग होने पर भी मिलेगा पूरा लाभ

झारखंड पुलिस मुख्यालय के पत्र के मुताबिक नक्सल हिंसा में मोतिया पूर्ण रूप से अपंगता की स्थिति में 36 लाख की राशि शहीद के परिजन या वह जवान जो अपंग हो चुका है उसे दी जाएगी। पत्र में यह भी जिक्र किया गया है कि दोनों पैर या दोनों हाथ कटने की स्थिति में भी जवानों को बीमा की पूरी राशि मिलेगी ।नक्सल अभियान के दौरान घायल होने की स्थिति में 15 लाख रुपए तक के खर्च का वाहन कैशलेस सिस्टम के आधार पर अस्पतालों को किया जाएगा वही एक हाथ या एक पैर का नुकसान होने पर 18 लाख की राशि मिलेगी।

हर तरह के खर्च का मिलने का है जिक्र
पत्र में बीमा को बड़े ही विस्तारपूर्वक समझाया गया है यह भी जिक्र है कि नक्सल अभियान के दौरान सांप काटने या बीमारी से मौत की स्थिति में पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आए तथ्यों के आधार पर जवान के आश्रितों को साढ़े सात लाख रुपए मिलेंगे। नक्सल विरोधी अभियान के दौरान सड़क हादसे में मौत होने पर भी साढ़े सात लाख का लाभ आश्रितों के परिजनों को मिलेगा। शहीद के परिजनों के शव को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने के लिए भी 25000 और दो बच्चों की शिक्षा के लिए एक लाख की क्षति पूर्ति की व्यवस्था भी की गई है।

किस तरह से मिल सकेगा लाभ
वैसे पुलिसकर्मी या केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान नक्सल विरोधी अभियान में अगर वे शहीद होते हैं तो उनके लिए संबंधित जिलों के पुलिस अधीक्षकों को एक प्रमाण पत्र देना होगा। प्रमाण पत्र के जरिए उन्हें यह बताना होगा कि नक्सल विरोधी अभियान में कार्य करने के दौरान अमुक कर्मी शहीद हुए या अपंग हुए हैं। जिले के पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट मिलने के बाद बीमा संबंधी कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी और लगभग 1 महीने के अंदर पूरे बीमा राशि का भुगतान शहीद के परिजनों को कर दिया जाएगा।Body:1Conclusion:2
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