रांची: सांतवें वेतनमान के तहत शिक्षकों को एरियर देने के नाम पर आरयू के राज्य सरकार से 50 करोड़ की राशि अधिक लेने के मामले में सरकार ने एक जांच टीम गठित की है. यह टीम सोमवार को विश्वविद्यालय मुख्यालय पंहुची थी और रजिस्ट्रार अमर कुमार चौधरी, विश्वविद्यालय के कुलपति रमेश कुमार पांडे के अलावा अन्य पदाधिकारियों से मामले को लेकर पूछताछ की.
जांच टीम ने विश्वविद्यालय से 1,013 शिक्षकों के बारे में पूरी जानकारी इकट्ठा की है. विश्वविद्यालय ने भी अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि 20 अक्टूबर 2018 को जो चिट्ठी विभाग की ओर से जारी की गई थी. उसमें व्यय भार मांगा गया था, जिसमें एरियर का उल्लेख नहीं था. इस चिट्ठी में व्यय भार का फार्मूला भी दिया गया था. उसी हिसाब से विश्वविद्यालय ने अपनी डिमांड बनाकर विभाग को भेजा था, लेकिन 17 फरवरी 2019 को विभाग की ओर से जो संकल्प जारी हुआ उसमें फार्मूला बदल गया था.
860 के बदले 1013 शिक्षकों के भेजे गए नाम
उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग की ओर से गठित जांच टीम ने आरयू मुख्यालय में वीसी समेत रजिस्ट्रार और अन्य पदाधिकारियों के साथ घंटों मामले को लेकर पूछताछ की. दरअसल, विवि की ओर से वेतनमान के एरियर भुगतान के लिए 860 शिक्षकों के बदले 1013 शिक्षकों के नाम भेजे गए थे. इसके तहत शिक्षा विभाग की टीम ने विश्वविद्यालय से 1013 शिक्षकों का ग्रेड पे वार और कॉलेज वार ब्योरा मांगा है. विवि की ओर से 99 करोड़ 60 लाख की जो डिमांड सबमिट की गयी थी उसका लिखित विवरण भी विश्वविद्यालय से मांगा गया है.
जांच टीम को विश्वविद्यालय ने अपने स्तर से तमाम तरह की जानकारियां दी है. विश्वविद्यालय ने और भी कई तर्क राशि निकालने को लेकर जांच टीम के समक्ष रखा है. पूरे मामले की जांच होने के बाद स्पष्ट हो पाएगा कि आखिर गड़बड़ी कहां की गई थी.