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आईआईएबी में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन, विदेश के प्रतिभागियों ने भी कराया पंजीकरण

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Published : Apr 9, 2021, 12:47 PM IST

आईसीएआर, इंडियन इंस्टिट्यूट एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी, गरखटंगा और रांची की ओर से प्लांट टिश्यू कल्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सौजन्य से एसोसिएशन की 42 वीं वार्षिक बैठक और तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. संगोष्ठी का विषय "प्लांट बायोटेक्नोलॉजी एंड एडवांस एडिटिंग रखा गया है.

International seminar organized at iiab in ranchi
आईआईएबी में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ आयोजन

रांची: आईसीएआर, इंडियन इंस्टिट्यूट एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी (आईआईएबी), गरखटंगा और रांची की ओर से प्लांट टिश्यू कल्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सौजन्य से एसोसिएशन की 42 वीं वार्षिक बैठक और तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. संगोष्ठी का विषय "प्लांट बायोटेक्नोलॉजी एंड एडवांस एडिटिंग (एपीबीजीई - 2021) रखा गया है. इस कार्यक्रम का "लाइव" वर्चुअल मोड के माध्यम से मुख्य अतिथि आईसीएआर महानिदेशक डॉ टी महापात्रा ने उद्घाटन किया.

ये भी पढ़ें-जमशेदपुर में चला विशेष मास्क चेकिंग अभियान, सार्वजनिक का जगहों का निरीक्षण

क्या बोले डॉ. महापात्रा

उद्घाटन भाषण में अपने विचारों को साझा करते हुए डॉ महापात्रा ने उपज और गुणवत्ता में सुधार के आधुनिक तकनीक के प्रभावों पर प्रकाश डाला. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन में विश्व स्तर पर शामिल होने के लिए आईआईएबी के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने संगोष्ठी में आईआईएबी के वैज्ञानिकों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों से कृषि और बागवानी फसलों के विशेष संदर्भ के साथ जैव प्रौद्योगिकी में हाल की प्रगति और चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने का आह्वान किया. कहा कि संगोष्ठी के विचार-विमर्श से देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और भविष्य के अनुसंधान के लिए रणनीति विकसित करने की दिशा में बहुत मददगार साबित होगी.

संगोष्ठी में विदेश के प्रतिभागियों ने भी कराया पंजीकरण

आईआईएबी निदेशक डॉ. अरुणव पटनायक ने अपने संबोधन में सम्मेलन में भाग ले रहे सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया. बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का ऑनलाइन माध्यम से आयोजन किया जा रहा है. संगोष्ठी के संयोजक डॉ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि इस संगोष्ठी में भारत और विदेश से अमेरिका, ब्रिटेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया सहित 450 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है. इन देशों के विशेषज्ञ जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीनतम अनुसंधान ओर उपलब्धियों के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करेंगे.

क्या बोले सचिव प्रो प्रमोद टंडन

मौके पर प्रख्यात बायोटेक्नोलॉजिस्ट और पीटीसीएआई के सचिव प्रो प्रमोद टंडन ने भी प्रतिनिधियों को संबोधित किया. उन्होंने एसोसिएशन और भारत में ऊत्तक संस्कृति (टिश्यू कल्चर) और जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की दिशा में भूमिका का ऐतिहासिक जानकारी दी. पीटीसीएआई के साथ लंबे समय से जुड़े पूर्व कुलपति, जेएनयू प्रो सुधीर सोपोरी ने भी इस अवसर पर जैव प्रौद्योगिकी विज्ञान में नए उपकरणों और प्रौद्योगिकियों की संभावनाओं के बारे में चर्चा की. मौके पर आईसीएआर उप महानिदेशक डॉ टीआर शर्मा ने उद्घाटन व्याख्यान में भारतीय कृषि में टिशू कल्चर व्युत्पन्न किस्मों के योगदान, जीनोमिक्स के उपयोग और अगली पीढ़ी की अनुक्रमण तकनीकों और जीनोम एडिटिंग तकनीकों के बारे में बताया. धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ सौमेन नस्कर ने दी.

रांची: आईसीएआर, इंडियन इंस्टिट्यूट एग्रीकल्चरल बायोटेक्नोलॉजी (आईआईएबी), गरखटंगा और रांची की ओर से प्लांट टिश्यू कल्चर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सौजन्य से एसोसिएशन की 42 वीं वार्षिक बैठक और तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. संगोष्ठी का विषय "प्लांट बायोटेक्नोलॉजी एंड एडवांस एडिटिंग (एपीबीजीई - 2021) रखा गया है. इस कार्यक्रम का "लाइव" वर्चुअल मोड के माध्यम से मुख्य अतिथि आईसीएआर महानिदेशक डॉ टी महापात्रा ने उद्घाटन किया.

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क्या बोले डॉ. महापात्रा

उद्घाटन भाषण में अपने विचारों को साझा करते हुए डॉ महापात्रा ने उपज और गुणवत्ता में सुधार के आधुनिक तकनीक के प्रभावों पर प्रकाश डाला. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन में विश्व स्तर पर शामिल होने के लिए आईआईएबी के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने संगोष्ठी में आईआईएबी के वैज्ञानिकों, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों से कृषि और बागवानी फसलों के विशेष संदर्भ के साथ जैव प्रौद्योगिकी में हाल की प्रगति और चुनौतियों पर विचार-विमर्श करने का आह्वान किया. कहा कि संगोष्ठी के विचार-विमर्श से देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और भविष्य के अनुसंधान के लिए रणनीति विकसित करने की दिशा में बहुत मददगार साबित होगी.

संगोष्ठी में विदेश के प्रतिभागियों ने भी कराया पंजीकरण

आईआईएबी निदेशक डॉ. अरुणव पटनायक ने अपने संबोधन में सम्मेलन में भाग ले रहे सभी प्रतिनिधियों का स्वागत किया. बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का ऑनलाइन माध्यम से आयोजन किया जा रहा है. संगोष्ठी के संयोजक डॉ अनिल कुमार सिंह ने बताया कि इस संगोष्ठी में भारत और विदेश से अमेरिका, ब्रिटेन, स्वीडन, ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया सहित 450 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है. इन देशों के विशेषज्ञ जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नवीनतम अनुसंधान ओर उपलब्धियों के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करेंगे.

क्या बोले सचिव प्रो प्रमोद टंडन

मौके पर प्रख्यात बायोटेक्नोलॉजिस्ट और पीटीसीएआई के सचिव प्रो प्रमोद टंडन ने भी प्रतिनिधियों को संबोधित किया. उन्होंने एसोसिएशन और भारत में ऊत्तक संस्कृति (टिश्यू कल्चर) और जैव प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने की दिशा में भूमिका का ऐतिहासिक जानकारी दी. पीटीसीएआई के साथ लंबे समय से जुड़े पूर्व कुलपति, जेएनयू प्रो सुधीर सोपोरी ने भी इस अवसर पर जैव प्रौद्योगिकी विज्ञान में नए उपकरणों और प्रौद्योगिकियों की संभावनाओं के बारे में चर्चा की. मौके पर आईसीएआर उप महानिदेशक डॉ टीआर शर्मा ने उद्घाटन व्याख्यान में भारतीय कृषि में टिशू कल्चर व्युत्पन्न किस्मों के योगदान, जीनोमिक्स के उपयोग और अगली पीढ़ी की अनुक्रमण तकनीकों और जीनोम एडिटिंग तकनीकों के बारे में बताया. धन्यवाद ज्ञापन आयोजन सचिव डॉ सौमेन नस्कर ने दी.

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