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ACB में नामजद होने के बाद इंस्पेक्टर मोहन पांडेय लाइन हाजिर, मुंशी के जरिये मांगी थी रिश्वत

ACB में नामजद होने के बाद इंस्पेक्टर मोहन पांडेय को लाइन हाजिर कर दिया गया है. इनपर आरोप है कि इन्होंने मुंशी के जरिये रिश्वत की मांग की थी.

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Published : Oct 6, 2021, 6:16 PM IST

Inspector Mohan Pandey line spot
Inspector Mohan Pandey line spot

रांची: एसीबी रांची में एफआईआर में नामजद अभियुक्त बनाए गए इंस्पेक्टर मोहन पांडेय को रांची एसएसपी ने लाइन हाजिर कर दिया है. मोहन पांडेय के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी. मंगलवार को एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने इंस्पेक्टर मोहन पांडे के कार्यालय के मुंशी राकेश को 20 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था.


एसएसपी ने किया लाइन हाजिर
बुधवार को रांची एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने इस मामले में सदर पश्चिम अंचल के इंस्पेक्टर मोहन पांडेय को लाइन हाजिर कर दिया. वहीं, इस केस में गिरफ्तार राकेश कुमार को निलंबित कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, एसीबी में शिकायत मिलने के बाद विभाग के डीएसपी और इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी ने अलग अलग जांच की थी. शिकायत की जांच के सत्यापन में इंस्पेक्टर को दोषी पाया गया था. इसके बाद एसीबी ने धावा दल का गठन कर इंस्पेक्टर मोहन पांडेय की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित की थी. लेकिन एसीबी की टीम जब मौके पर पहुंची तब मोहन पांडेय वहां से कुछ मिनट पहले ही निकल गए थे।एक केस से धारा 307 हटाने को लेकर इंस्पेक्टर के ही कहने पर घूस ले रहे आरक्षी राकेश कुमार को एसीबी ने रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया था.

ये भी पढ़ें: सीएम आवास के सामने सदर पश्चिम सर्किल का मुंशी रिश्वत लेते गिरफ्तार, इंस्पेक्टर पर भी लटकी कार्रवाई की तलवार

आरक्षी का भी बयान- इंस्पेक्टर के कहने पर मांगे पैसे
मामले में आरक्षी राकेश कुमार का बयान भी एसीबी ने दर्ज किया है. एसीबी के समक्ष राकेश ने बताया है कि इंस्पेक्टर के कहने पर ही पिठौरिया निवासी व्यक्ति से उसने पैसे लिए थे. एसीबी इस मामले में इंस्पेक्टर मोहन पांडेय के खिलाफ भी चार्जशीट कर सकती है.

पूर्व से विवादित रहे हैं मोहन पांडेय
एसीबी में नामजद होने के पूर्व भी मोहन पांडेय काफी विवादित रहे हैं. मोहन पांडेय को नवंबर 2019 में चंदवा में नक्सली हमले के बाद वहां से निलंबित किया गया था. लंबे समय तक लातेहार में रहने के बाद भी तब मोहन पांडेय का तबादला नहीं किया गया था. ऐसे में चुनाव आयोग के निर्देश पर मोहन पांडेय पर कार्रवाई हुई थी. चतरा के कोयला क्षेत्र टंडवा-पिपरवार में भी थानेदार रहने के दौरान संपत्ति अर्जित करने व उगाही का आरोप मोहन पांडेय पर लगा था. तब मोहन पांडेय के खिलाफ एसीबी में जांच भी हुई थी, हालांकि तब उन्हें क्लीनचीट दे दिया गया था.

रांची: एसीबी रांची में एफआईआर में नामजद अभियुक्त बनाए गए इंस्पेक्टर मोहन पांडेय को रांची एसएसपी ने लाइन हाजिर कर दिया है. मोहन पांडेय के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जाएगी. मंगलवार को एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने इंस्पेक्टर मोहन पांडे के कार्यालय के मुंशी राकेश को 20 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था.


एसएसपी ने किया लाइन हाजिर
बुधवार को रांची एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने इस मामले में सदर पश्चिम अंचल के इंस्पेक्टर मोहन पांडेय को लाइन हाजिर कर दिया. वहीं, इस केस में गिरफ्तार राकेश कुमार को निलंबित कर दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, एसीबी में शिकायत मिलने के बाद विभाग के डीएसपी और इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी ने अलग अलग जांच की थी. शिकायत की जांच के सत्यापन में इंस्पेक्टर को दोषी पाया गया था. इसके बाद एसीबी ने धावा दल का गठन कर इंस्पेक्टर मोहन पांडेय की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित की थी. लेकिन एसीबी की टीम जब मौके पर पहुंची तब मोहन पांडेय वहां से कुछ मिनट पहले ही निकल गए थे।एक केस से धारा 307 हटाने को लेकर इंस्पेक्टर के ही कहने पर घूस ले रहे आरक्षी राकेश कुमार को एसीबी ने रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया था.

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आरक्षी का भी बयान- इंस्पेक्टर के कहने पर मांगे पैसे
मामले में आरक्षी राकेश कुमार का बयान भी एसीबी ने दर्ज किया है. एसीबी के समक्ष राकेश ने बताया है कि इंस्पेक्टर के कहने पर ही पिठौरिया निवासी व्यक्ति से उसने पैसे लिए थे. एसीबी इस मामले में इंस्पेक्टर मोहन पांडेय के खिलाफ भी चार्जशीट कर सकती है.

पूर्व से विवादित रहे हैं मोहन पांडेय
एसीबी में नामजद होने के पूर्व भी मोहन पांडेय काफी विवादित रहे हैं. मोहन पांडेय को नवंबर 2019 में चंदवा में नक्सली हमले के बाद वहां से निलंबित किया गया था. लंबे समय तक लातेहार में रहने के बाद भी तब मोहन पांडेय का तबादला नहीं किया गया था. ऐसे में चुनाव आयोग के निर्देश पर मोहन पांडेय पर कार्रवाई हुई थी. चतरा के कोयला क्षेत्र टंडवा-पिपरवार में भी थानेदार रहने के दौरान संपत्ति अर्जित करने व उगाही का आरोप मोहन पांडेय पर लगा था. तब मोहन पांडेय के खिलाफ एसीबी में जांच भी हुई थी, हालांकि तब उन्हें क्लीनचीट दे दिया गया था.

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