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कोरोना संक्रमित हैं तो सीटी वैल्यू देख ना हों परेशान! यहां पढ़ें पूरी जानकारी

कोरोना वायरस (corona virus) की जांच के लिए हर उपाय किए जा रहे हैं. ताकि वायरस के संक्रमण के फैलाव का सही-सही अंदाजा लगाया जा सके. संक्रमित के सीटी वैल्यू (CT Value) से इसका सही-सही अनुमान लगाया जा सकता है. ईटीवी भारत (Etv Bharat) की रिपोर्ट से जानें, आखिर क्या है सीटी वैल्यू?

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सीटी वैल्यू
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Published : Jun 11, 2021, 11:41 AM IST

Updated : Jun 11, 2021, 2:22 PM IST

रांचीः कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर में जब किसी व्यक्ति को कोरोना संक्रमित होने के बाद जानकारी दी जाती है तो पहला सवाल जो पूछा जाता है वह है कि सीटी वैल्यू (cycle threshole, CT value) कितना है?

इसे भी पढ़ें- अब रैपिड एंटीजन किट बढ़ाएगा झारखंड में कोरोना टेस्ट, 24 जिलों को भेजा 7.5 लाख किट

देखें पूरी खबर

क्या होता है सीटी वैल्यू और इसका क्या महत्व है?
यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम रांची की प्रख्यात पैथोलॉजिस्ट और स्वास्थ्य विभाग में मेडिकल अफसर (medical officer) डॉ. रंजू कुमारी से बात की. उन्होंने बताया कि जब किसी व्यक्ति की RT-PCR से कोरोना संक्रमण की जांच की जाती है, तब उसके गले से लिए गए स्वाब से वायरस को multiply या amplify करते हैं. उसके बाद मशीन में जिस चक्र (cycle) में वायरस डिटेक्ट होता है वह उसका सीटी वैल्यू होता है.

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क्या है सीटी वैल्यू?


जितना अधिक सीटी वैल्यू, वायरस का लोड उतना कम
डॉ. रंजू बताती हैं कि RT-PCR में जितना अधिक सीटी वैल्यू रहेगा. इसका मतलब है कि संक्रमित व्यक्ति में वायरस का लोड उतना ही कम है. क्योंकि सीटी ज्यादा होने का मतलब है कि मशीन को वायरस को पकड़ने या डिटेक्ट करने में ज्यादा cycle से गुजरना पड़ा. अगर किसी व्यक्ति का सीटी वैल्यू 15 है और दूसरे का 30 तो यह पता चलता है. पहले में वायरस का लोड इतना ज्यादा है कि मशीन 15 cycle में ही वायरस डिटेक्ट कर लिया, जबकि दूसरे में इतना कम है कि 30 cycle के बाद वायरस पकड़ में आया.

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सीटी वैल्यू कम या ज्यादा का फर्क

कोरोना जांच में सीटी का क्या महत्व?
डॉ. रंजू कहती हैं कि सीटी वैल्यू के लिए हम गले के स्वाब की जांच करते हैं. जब वायरस खतरनाक तब हो जाता है, जब वह गले से उतरकर लंग्स में चला जाता है. डॉ. रंजू कहती हैं कि सीटी वैल्यू का महत्व ट्रीटमेंट में है, जो यह बताता है कि इलाज के दौरान शरीर मे वायरस बढ़ रहा है या घट रहा है.

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कोरोना टेस्ट में सीटी वैल्यू का महत्व?

इसे भी पढ़ें- Covid Vaccine: कोरोना वैक्सीन बचाने में झारखंड फिर रहा फ्लॉप, केरल और पश्चिम बंगाल रहे अव्वल

जिसका सीटी वैल्यू कम है उनको खतरा ज्यादा है?

क्या सीटी वैल्यू यह बताता है कि जिस संक्रमित का सीटी ज्यादा है. उसको खतरा कम है या फिर जिसका सीटी वैल्यू कम है उनको खतरा ज्यादा है? रिम्स में हुए शोध, आईसीएमआर की गाइडलाइन और डॉ. रंजू जैसे डॉक्टरों के अनुभव बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के दौरान कहीं से भी सीटी वैल्यू यह नहीं बताता कि आप में वायरस का लोड कम है तो खतरा कम है या लोड ज्यादा है तो खतरा अधिक है.
कुछ दिन पहले ही कोरोना संक्रमित हुए झासा के प्रदेश महासचिव डॉ. बिमलेश ईटीवी भारत से अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने बताया कि जब वह और उनकी पत्नी कोरोना संक्रमित हुए तो उनका सीटी वैल्यू पत्नी के सीटी वैल्यू से कम था, यानि वायरस का लोड ज्यादा था, फिर भी वह होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना मुक्त हो गए और उनकी पत्नी को हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा.

रांचीः कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर में जब किसी व्यक्ति को कोरोना संक्रमित होने के बाद जानकारी दी जाती है तो पहला सवाल जो पूछा जाता है वह है कि सीटी वैल्यू (cycle threshole, CT value) कितना है?

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क्या होता है सीटी वैल्यू और इसका क्या महत्व है?
यह जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम रांची की प्रख्यात पैथोलॉजिस्ट और स्वास्थ्य विभाग में मेडिकल अफसर (medical officer) डॉ. रंजू कुमारी से बात की. उन्होंने बताया कि जब किसी व्यक्ति की RT-PCR से कोरोना संक्रमण की जांच की जाती है, तब उसके गले से लिए गए स्वाब से वायरस को multiply या amplify करते हैं. उसके बाद मशीन में जिस चक्र (cycle) में वायरस डिटेक्ट होता है वह उसका सीटी वैल्यू होता है.

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क्या है सीटी वैल्यू?


जितना अधिक सीटी वैल्यू, वायरस का लोड उतना कम
डॉ. रंजू बताती हैं कि RT-PCR में जितना अधिक सीटी वैल्यू रहेगा. इसका मतलब है कि संक्रमित व्यक्ति में वायरस का लोड उतना ही कम है. क्योंकि सीटी ज्यादा होने का मतलब है कि मशीन को वायरस को पकड़ने या डिटेक्ट करने में ज्यादा cycle से गुजरना पड़ा. अगर किसी व्यक्ति का सीटी वैल्यू 15 है और दूसरे का 30 तो यह पता चलता है. पहले में वायरस का लोड इतना ज्यादा है कि मशीन 15 cycle में ही वायरस डिटेक्ट कर लिया, जबकि दूसरे में इतना कम है कि 30 cycle के बाद वायरस पकड़ में आया.

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सीटी वैल्यू कम या ज्यादा का फर्क

कोरोना जांच में सीटी का क्या महत्व?
डॉ. रंजू कहती हैं कि सीटी वैल्यू के लिए हम गले के स्वाब की जांच करते हैं. जब वायरस खतरनाक तब हो जाता है, जब वह गले से उतरकर लंग्स में चला जाता है. डॉ. रंजू कहती हैं कि सीटी वैल्यू का महत्व ट्रीटमेंट में है, जो यह बताता है कि इलाज के दौरान शरीर मे वायरस बढ़ रहा है या घट रहा है.

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कोरोना टेस्ट में सीटी वैल्यू का महत्व?

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जिसका सीटी वैल्यू कम है उनको खतरा ज्यादा है?

क्या सीटी वैल्यू यह बताता है कि जिस संक्रमित का सीटी ज्यादा है. उसको खतरा कम है या फिर जिसका सीटी वैल्यू कम है उनको खतरा ज्यादा है? रिम्स में हुए शोध, आईसीएमआर की गाइडलाइन और डॉ. रंजू जैसे डॉक्टरों के अनुभव बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के दौरान कहीं से भी सीटी वैल्यू यह नहीं बताता कि आप में वायरस का लोड कम है तो खतरा कम है या लोड ज्यादा है तो खतरा अधिक है.
कुछ दिन पहले ही कोरोना संक्रमित हुए झासा के प्रदेश महासचिव डॉ. बिमलेश ईटीवी भारत से अपना अनुभव साझा किया. उन्होंने बताया कि जब वह और उनकी पत्नी कोरोना संक्रमित हुए तो उनका सीटी वैल्यू पत्नी के सीटी वैल्यू से कम था, यानि वायरस का लोड ज्यादा था, फिर भी वह होम आइसोलेशन में रहकर कोरोना मुक्त हो गए और उनकी पत्नी को हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ा.

Last Updated : Jun 11, 2021, 2:22 PM IST
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