ETV Bharat / city

IMA ने की क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन की मांग, कहा- झारखंड में भी हरियाणा की तर्ज पर हो बदलाव

झारखंड सरकार ने राज्य में एस्टेब्लिशमेंट एक्ट (Clinical Establishment Act) लागू किया है. जिसका असर डॉक्टरों और छोटे अस्पतालों पर पड़ रहा है. इसे देखते हुए आईएमए ने एक्ट में संधोधन की मांग की है. उन्होंने कहा कि हरियाणा की तर्ज पर झारखंड में भी इस नियम में बदलाव होना चाहिए. जिससे अस्पतालों और डॉक्टरों को परेशानी न हो.

ETV Bharat
आईएमए की मांग
author img

By

Published : Nov 12, 2021, 6:09 PM IST

Updated : Nov 12, 2021, 7:18 PM IST

रांची: झारखंड में क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट (Clinical Establishment Act) डॉक्टरों और छोटे-छोटे अस्पतालों पर भारी पड़ रहा है. इसलिए राज्य के कई स्वास्थ्य संगठन सरकार से इस एक्ट में संसोधन की मांग कर रहे हैं.

इसे भी पढे़ं: प्राइवेट प्रैक्टिस रोकने के तरीके पर सवाल, रिम्स के चिकित्सकों के समर्थन में आईएमए और झासा

झारखंड इकाई रांची आईएमए के प्रेसिडेंट डॉ शंभू सिंह ने कहा कि झारखंड सरकार ने एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को लागू कर दिया है. इससे विभिन्न जिलों में चल रहे छोटे-छोटे स्वास्थ्य केंद्रों को संचालित करने में काफी दिक्कत हो रही है. क्योंकि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के नियमों का पालन करना सभी स्वास्थ्य केंद्रों के लिए संभव नहीं हो सकता. इसलिए सरकार से स्वास्थ संगठन बार-बार अपील कर रहे हैं कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन किया जाए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में चलने वाले स्वास्थ्य केंद्रों से भी मरीजों को लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार के द्वारा लागू किए गए क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन किया है. जिसके अंतर्गत 50 बेड तक के अस्पतालों को इस कानून से छूट दी गई है.

क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन की मांग

एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन की मांग


झासा (झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ) के सचिव डॉ विमलेश सिंह ने कहा कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में कई नियम आते हैं. ऐसे में स्वाभाविक है कि छोटे अस्पताल उन नियमावली का पालन नहीं कर सकता. इसलिए राज्य सरकार हरियाणा की तर्ज पर झारखंड में भी क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट कानून में संशोधन करें, ताकि राज्य के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा समुचित रूप से मिलता रहे. यदि सरकार कानून में संशोधन नहीं करेगी तो आने वाले समय में सभी छोटे स्वास्थ्य केंद्र बंद हो जाएंगे और लोग बड़े अस्पतालों के भरोसे ही इलाज कराने को विवश हो जाएंगे.


इसे भी पढे़ं: पाकुड़ में दो लाख लोगों ने अबतक नही लिया है वैक्सीन का पहला डोज, प्रशासन का विशेष अभियान शुरू

आईएमए का सुझाव


वहीं डॉक्टर शंभू प्रसाद ने बताया कि सरकार की तरफ से आश्वासन मिला है कि जल्द ही आईएमए (IMA) के सुझाव पर विचार किया जाएगा और उम्मीद है कि झारखंड में भी 30 बेड तक के अस्पतालों को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट कानून से अलग रखा जाएगा. झारखंड के कई छोटे शहरों में आज भी जो अस्पताल चल रहे हैं वह क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के नियमों का पालन करने में असमर्थ हैं. लेकिन उन अस्पतालों से क्षेत्र के गरीब मरीजों को लाभ मिल रहा है. इसलिए हरियाणा की तर्ज पर यदि इस एक्ट में संशोधन किया जाता है तो झारखंड में भी छोटे अस्पताल स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने में अपना अहम योगदान देंगे.

रांची: झारखंड में क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट (Clinical Establishment Act) डॉक्टरों और छोटे-छोटे अस्पतालों पर भारी पड़ रहा है. इसलिए राज्य के कई स्वास्थ्य संगठन सरकार से इस एक्ट में संसोधन की मांग कर रहे हैं.

इसे भी पढे़ं: प्राइवेट प्रैक्टिस रोकने के तरीके पर सवाल, रिम्स के चिकित्सकों के समर्थन में आईएमए और झासा

झारखंड इकाई रांची आईएमए के प्रेसिडेंट डॉ शंभू सिंह ने कहा कि झारखंड सरकार ने एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को लागू कर दिया है. इससे विभिन्न जिलों में चल रहे छोटे-छोटे स्वास्थ्य केंद्रों को संचालित करने में काफी दिक्कत हो रही है. क्योंकि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के नियमों का पालन करना सभी स्वास्थ्य केंद्रों के लिए संभव नहीं हो सकता. इसलिए सरकार से स्वास्थ संगठन बार-बार अपील कर रहे हैं कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन किया जाए, ताकि ग्रामीण क्षेत्रों और छोटे शहरों में चलने वाले स्वास्थ्य केंद्रों से भी मरीजों को लाभ मिल सके. उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार ने इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार के द्वारा लागू किए गए क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन किया है. जिसके अंतर्गत 50 बेड तक के अस्पतालों को इस कानून से छूट दी गई है.

क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन की मांग

एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में संशोधन की मांग


झासा (झारखंड राज्य स्वास्थ्य सेवा संघ) के सचिव डॉ विमलेश सिंह ने कहा कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में कई नियम आते हैं. ऐसे में स्वाभाविक है कि छोटे अस्पताल उन नियमावली का पालन नहीं कर सकता. इसलिए राज्य सरकार हरियाणा की तर्ज पर झारखंड में भी क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट कानून में संशोधन करें, ताकि राज्य के लोगों को स्वास्थ्य सुविधा समुचित रूप से मिलता रहे. यदि सरकार कानून में संशोधन नहीं करेगी तो आने वाले समय में सभी छोटे स्वास्थ्य केंद्र बंद हो जाएंगे और लोग बड़े अस्पतालों के भरोसे ही इलाज कराने को विवश हो जाएंगे.


इसे भी पढे़ं: पाकुड़ में दो लाख लोगों ने अबतक नही लिया है वैक्सीन का पहला डोज, प्रशासन का विशेष अभियान शुरू

आईएमए का सुझाव


वहीं डॉक्टर शंभू प्रसाद ने बताया कि सरकार की तरफ से आश्वासन मिला है कि जल्द ही आईएमए (IMA) के सुझाव पर विचार किया जाएगा और उम्मीद है कि झारखंड में भी 30 बेड तक के अस्पतालों को क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट कानून से अलग रखा जाएगा. झारखंड के कई छोटे शहरों में आज भी जो अस्पताल चल रहे हैं वह क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के नियमों का पालन करने में असमर्थ हैं. लेकिन उन अस्पतालों से क्षेत्र के गरीब मरीजों को लाभ मिल रहा है. इसलिए हरियाणा की तर्ज पर यदि इस एक्ट में संशोधन किया जाता है तो झारखंड में भी छोटे अस्पताल स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने में अपना अहम योगदान देंगे.

Last Updated : Nov 12, 2021, 7:18 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.