रांची: राजधानी रांची में नशे के लिए ब्राउन शुगर ,अफीम और गांजा से ज्यादा नशीली दवाइयों का इस्तेमाल किया जा रहा है. बाजार में सस्ता और आसानी से उपलब्ध होने के कारण यहां के युवा नशे के लिए दवाइयों का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं.
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राज्य के सभी जिलों में एक जैसा हाल
ऐसा नहीं है कि सिर्फ राजधानी रांची में नशा का कारोबार हो रहा है बल्कि झारखंड के सभी जिलों में यही स्थिति है. नशे के लिए गांजा और अफीम से ज्यादा दवाईंयों का इस्तेमाल हो रहा है. सीआईडी के आंकड़ों के मुताबिक एक दर्जन से अधिक दवाईंयों का इस्तेमाल नशे के लिए किया जा रहा है. जिसमें टैबलेट से लेकर कफ शिरफ का और कई तरह के इंजेक्शन का इस्तेमाल शामिल है. अमूमन इन दवाओं को डॉक्टर के प्रिशक्रिप्शन के बगैर बेचा नहीं जा सकता. लेकिन प़ुलिस के द्वारा थोक में इन दवाईंयों की बरामदगी राजधानी में नशे का कारोबार कितना फल फूल रहा है इसकी ओर इशारा करता है.
पुलिस लगातार कर रही है कार्रवाई
पिछले साल ड्रग्स कंट्रोल ब्यूरो ने गुमला से ड्रग्स के साथ गिरफ्तार तीन लोगों की निशानदेही पर राजधानी रांची के रातू स्थित एक घर से दवाओं का जखीरा पकड़ा था. इतनी बड़ी मात्रा में दवाओं के मिलने से छापामारी करने वाले अधिकारी भी सन्न रह गये. उनके होश तब उड़ गये जब पता चला कि इन दवाओं का इस्तेमाल ड्रग्स के रूप में करना था. 25 हजार लोगों को नशे का गुलाम बनाने के लिए ये दवाएं मंगवायी गयीं थीं. जब्त दवाइयों में मादक पदार्थ और अफीम का मिश्रण था. इसे गंभीर बीमारी होने पर ही डॉक्टर की सलाह के बाद मरीजों को दिया जाता है.
रांची में ड्रग लेने वालों की संख्या ज्यादा
ड्रग कंट्रोलर ऋतु सहाय ने बताया कि झारखंड की राजधानी रांची में भी ड्रग्स लेने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है. अब तक रेड में पकड़ी गयी अधिकांश दवाएं टैबलेट, कफ सिरप और सीरिंज के रूप में थीं. इसका सेवन करने के बाद कोई भी व्यक्ति नकारात्मक ही नहीं सोचता बल्कि उसका स्वभाव उग्र हो जाता है और वह कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाता है.
बाहरी राज्यों से होती है तस्करी
नशे के इस्तेमाल के लिए तस्कर बाहरी राज्यों से दवाइयों को मंगवाते हैं खासकर हिमाचल प्रदेश के सोलन से मंगायी गयी दवाओं (कोडीन फास्फेट, ऐन्टेन, ट्रामाडोल पेंटाजोसिन) का झारखंड में कोई सप्लायर नहीं है. यहां तक कि कोई स्टॉकिस्ट भी नहीं है. यह भी पता चला है कि इन ड्रग्स का अगर कोई लगातार 10 दिन तक सेवन कर ले, तो इसका एडिक्ट यानी आदी हो जाता है. पिछले एक साल के भीतर रांची के सुखदेव नगर ,पंडरा और रातू इलाके से ऐसी दवाइयां की बड़ी खेप पकड़ी गई है.
नशे के लिए दवाइयों का इस्तेमाल
रांची के सिटी एसपी सौरभ के अनुसार यह सही है कि मादक पदार्थों की तुलना में दवाइयों का इस्तेमाल नशे के लिए ज्यादा हो रहा है. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह इनका सस्ता होना होता है. राजधानी में अलग-अलग थानों में दर्ज मामले इस बात की तस्दीक करते हैं कि बड़े पैमाने पर दवाइयों का इस्तेमाल नशे के लिए किया जा रहा है. पूरे मामले को लेकर ड्रग्स कंट्रोल ब्यूरो के साथ पुलिस मिलकर लगातार काम कर रही है और हाल के दिनों में कई बड़ी खेप पुलिस ने बरामद भी किया है और दोषी लोगों को जेल भी भेजा है.
2021 में नशे का कारोबार
राज्यभर में थानों में दर्ज केस के आधार पर जो आंकड़े जुटाए हैं, उसके मुताबिक, राज्य पुलिस ने साल 2021 में 1052 किलोग्राम गांजा बरामद किया. वहीं 60 पीस गांजा के पौधे भी नष्ट किए गए. पुलिस ने विभिन्न जिलों में चले अभियान के दौरान 21687.320 किलोग्राम डोडा, 456 किलोग्राम अफीम, 20 ग्राम ब्राउन सुगर, 40 ग्राम हीरोइन जब्त किया है. पुलिस ने इस दौरान नारकोटिक्स एक्ट में 310 मुकदमें दर्ज किए हैं, वहीं 485 लोगों की गिरफ्तारी हुई है.
वही साल 2020 में पुलिस ने अभियान के दौरान 21 अलग अलग ब्रांड की दवाईंया जब्त की थी, जिनका इस्तेमाल नशे के लिए किया जा रहा था. पुलिस ने नारकोटिक्स एक्ट में 382 मुकदमे दर्ज कर 524 लोगों को जेल भेजा था.