रांचीः जिला के बेड़ो प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राचीन महादानी मंदिर में ऐतिहासिक और अनोखी हड़बोड़ी बूढ़ा जतरा देर रात संपन्न हुई. आदिवासी परंपरा और रीति-रिवाज के अनुसार बेड़ो गांव के बुधवा पाहन की अगुवाई में कुंड़ी जल अर्पित कर पूर्वजों को याद किया गया. फिर वापस घर पहुंचकर पाहन के घर से सभी टोली के लोगों ने कंडसा, मझंडा, मनगाड़ा, मढोल, मडांक और झंडे के साथ महादानी मंदिर तक शोभायात्रा निकाली गई. उसके बाद बुधवा पाहन ने महादानी मंदिर में पूजा कर मंदिर के गुंबद पर चढ़कर पारंपरिक नृत्य किया. यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी पाहन के जरिए महादानी मंदिर के गुंबद में चढ़कर नृत्य कर परंपरा निभायी जाती रही है.
ऐसी आस्था है कि अपनी खेतों में लगी फसल काटने के बाद पहले महादानी बाबा को चढ़ाते हैं, जिससे महादानी प्रसन्न होकर सबके घरों में धन संपदा से परिपूर्ण रखते हैं. इस दौरान मंदिर परिसर में बेड़ो, तेतर टोली, टिकरा टोली, गायत्री नगर, अंबा टोली, करंजटोली, करांजी, जामटोली और बारीडीह गांव के लोगों ने कलश के साथ अपने-अपने खोड़हा के साथ नृत्य और गान प्रस्तुत किया.
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वहीं, खत्रीखटंगा और बेड़ो की सीमा स्थित कुंडी में आदिवासियों ने पूर्वजों का अस्थि कलश प्रवाह किया गया. अपनी अनूठी, अदभुत परंपरा और संस्कृति का निर्वहन करते हुए पुलखी पत्थर में धागा बांधकर उसना चावल, सिंदूर, महुआ से बना हड़िया और जल अर्पित कर उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना की गयी. इस दौरान रानी गांव बारीडीह के आदिवासियों ने राजा गांव बेड़ो के पाहन, पुजारी, महतो समेत अन्य लोगों का स्वागत झंडा बिछाकर और हुक्का-पानी देकर स्वागत किया. वहीं, आयोजन को सफल बनाने में पुजारी पंचम तिर्की, छोटा पुजारी शनिका उरांव, महतो राकेश भगत, सुका महतो, बारीडीह, चरवा उरांव जामटोली, बुदा पाहन तेतर टोली समेत सभी गांववासी ने सहयोग किया.