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झारखंड में सबसे पहले पहाड़ी मंदिर पर फहराया जाता है तिरंगा, जानिए फांसी टुंगरी का रोचक इतिहास

पहाड़ी मंदिर वैसे तो कई मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इस मंदिर का रिश्ता देश की आजादी से भी जुड़ा है. यह देश का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां शिव भक्ति के साथ-साथ देशभक्ति की झलक भी दिखती है.

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Published : Aug 14, 2019, 8:42 PM IST

Updated : Aug 17, 2019, 8:46 PM IST

रांचीः झारखंड की राजधानी में स्थित ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर की कहानी बेहद रोचक है. इस मंदिर को पहाड़ी मंदिर के अलावा लोग फांसी टुंगरी के नाम से भी जानते हैं. आजादी के पहले यह मंदिर अंग्रेजों के कब्जे में था और देश आजाद होने के बाद झारखंड में पहली बार पहाड़ी मंदिर पर तिरंगा फहराया गया था.

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रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर दूर किशोर गंज इलाके में स्थित ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर आस्था और देशभक्ति का संगम स्थल है. जानकारों के अनुसार यहां अंग्रेज स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी देते थे. पहाड़ पर स्थित भगवान शिव का मंदिर देश की आजादी के पहले अंग्रेजो के कब्जे में था. हालांकि वहां नियमित रूप से पूजा-पाठ जरूर होता था.

पहाड़ पर स्थित भगवान शिव का यह मंदिर देश की आजादी के पहले अंग्रेजों के कब्जे में था. स्वतंत्रता मिलने के बाद सबसे पहले रात के 12 बजे इस पहाड़ी की चोटी पर भगवान शिव के पताका के साथ तिरंगा फहराया गया था. ये सिलसिा आज भी बदस्तूर जारी है. स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर इस पहाड़ी पर सबसे पहले तिरंगा झंडा फहराया जाता है.

ये भी पढ़ें- गिरिडीह में 150 साल पुराना है शिवाला मंदिर, सावन पूर्णिमा पर उमड़ती है भक्तों की भीड़

आजादी के बाद से ही स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर इस मंदिर में धार्मिक झंडे के साथ राष्ट्रीय झंडा भी फहराया जाता है. यह देश का ऐसा पहला मंदिर है जहां तिरंगा झंडा मंदिर के गुंबद पर फहराया जाता है. ऐसा माना जाता है कि 1947 की आधी रात को सबसे पहले इसी मंदिर के गुंबद में तिरंगा फहराया गया था. फांसी टुंगरी के अलावा इस मंदिर का नाम पीरु गुरु भी था. जो आगे चलकर ब्रिटिश के समय में फांसी टुंगरी में बदल गया.

रांचीः झारखंड की राजधानी में स्थित ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर की कहानी बेहद रोचक है. इस मंदिर को पहाड़ी मंदिर के अलावा लोग फांसी टुंगरी के नाम से भी जानते हैं. आजादी के पहले यह मंदिर अंग्रेजों के कब्जे में था और देश आजाद होने के बाद झारखंड में पहली बार पहाड़ी मंदिर पर तिरंगा फहराया गया था.

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रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर दूर किशोर गंज इलाके में स्थित ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर आस्था और देशभक्ति का संगम स्थल है. जानकारों के अनुसार यहां अंग्रेज स्वतंत्रता सेनानियों को फांसी देते थे. पहाड़ पर स्थित भगवान शिव का मंदिर देश की आजादी के पहले अंग्रेजो के कब्जे में था. हालांकि वहां नियमित रूप से पूजा-पाठ जरूर होता था.

पहाड़ पर स्थित भगवान शिव का यह मंदिर देश की आजादी के पहले अंग्रेजों के कब्जे में था. स्वतंत्रता मिलने के बाद सबसे पहले रात के 12 बजे इस पहाड़ी की चोटी पर भगवान शिव के पताका के साथ तिरंगा फहराया गया था. ये सिलसिा आज भी बदस्तूर जारी है. स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर इस पहाड़ी पर सबसे पहले तिरंगा झंडा फहराया जाता है.

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आजादी के बाद से ही स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर इस मंदिर में धार्मिक झंडे के साथ राष्ट्रीय झंडा भी फहराया जाता है. यह देश का ऐसा पहला मंदिर है जहां तिरंगा झंडा मंदिर के गुंबद पर फहराया जाता है. ऐसा माना जाता है कि 1947 की आधी रात को सबसे पहले इसी मंदिर के गुंबद में तिरंगा फहराया गया था. फांसी टुंगरी के अलावा इस मंदिर का नाम पीरु गुरु भी था. जो आगे चलकर ब्रिटिश के समय में फांसी टुंगरी में बदल गया.

Intro:स्वतंत्रता दिवस विशेष -स्पेशल स्टोरी


रांची।

झारखंड की राजधानी रांची स्थित ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर की कहानी बेहद ही रोचक है पहाड़ी मंदिर के अलावे इस पहाड़ी को लोग फांसी टुंगरी के नाम से भी जानते हैं .पहाड़ पर स्थित भगवान शिव का यह मंदिर देश की आजादी के पहले अंग्रेजो के कब्जे में था. स्वतंत्रता मिलने के बाद सबसे पहले रात के 12 बजे इस पहाड़ी की चोटी पर भगवान शिव के पताका के साथ तिरंगा झंडा फहराया गया था .जो आज भी बदस्तूर जारी है. स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के दिन इस पहाड़ी पर सबसे पहले तिरंगा झंडा फहराया जाता है.


Body:रांची रेलवे स्टेशन से 7 किलोमीटर दूर और रांची के किशोर गंज इलाके में स्थित प्रसिद्ध और ऐतिहासिक पहाड़ी मंदिर की कहानी बेहद ही रोचक है. जानकारी के मुताबिक यहां फ्रीडम फाइटर्स को अंग्रेज शासक फांसी देते थे. पहाड़ पर स्थित भगवान शिव का मंदिर देश की आजादी के पहले अंग्रेजो के कब्जे में था. हालांकि वहां नियमित रूप से पूजा-पाठ जरूर होता था .आजादी के बाद से ही इंडिपेंडेंस डे और रिपब्लिक डे के अवसर पर इस मंदिर में धार्मिक झंडे के साथ- साथ राष्ट्रीय झंडे को भी फहराया जाता है. यह देश का ऐसा पहला मंदिर है जहां तिरंगा झंडा मंदिर के गुंबद पर फहराया जाता है .ऐसा माना जाता है कि 1947 की आधी रात को सबसे पहले इसी मंदिर के गुंबद में तिरंगा फहराया गया था .फांसी टुंगरी के आलावे इस मंदिर का नाम पीरु गुरु भी था. जो आगे चलकर ब्रिटिश के समय में फांसी गरी में बदल गया. क्योंकि अंग्रेजों के राज में यह फ्रीडम फाइटर्स को फांसी पर लटकाए जाने वाला स्थान था.

बाइट-पिंटू पांडे, मुख्य पुजारी,पहाड़ी मंदिर।

बाइट-विवेक कुमार,स्थानीय।

बाइट-राजू ठाकुर,सेवा दार, पहाड़ी मंदिर


Conclusion:हिंदुस्तान दुनिया में मंदिरों का देश कहा जाता है इनमें कुछ मंदिर अपने वस्तु कला पौराणिक धरोहर और प्रसिद्धि के कारण जाने जाते हैं .लेकिन राजधानी रांची का यह पहाड़ी मंदिर इसलिए प्रशिद्ध है .क्योंकि यहां भगवान की भक्ति और धार्मिक झंडे के साथ राष्ट्रीय झंडे को फहराया जाता है .यह देश का एक ऐसा मंदिर है जहां शिव भक्ति के साथ साथ देशभक्ति का भी झलक दिखता है.
Last Updated : Aug 17, 2019, 8:46 PM IST
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