रांची: नियम की अनदेखी कर पटना पुलिस के द्वारा झारखंड हाई कोर्ट के वकील की गिरफ्तारी के मामले में दायर याचिका पर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. बिहार सरकार के द्वारा जवाब दायर की गई. लेकिन झारखंड सरकार की ओर से जवाब नहीं दायर किए जाने पर अदालत ने नाराजगी व्यक्त की. झारखंड सरकार को अंतिम मौका देते हुए 2 दिसंबर से पूर्व जवाब पेश करने को कहा गया है. मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 2 दिसंबर की तिथि निर्धारित की गई है. पटना पुलिस ने बताया कि दोषी अधिकारी को चिन्हित कर उनपर कार्रवाई की जा रही है.
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झारखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह और न्यायाधीश अनुभा रावत चौधरी की अदालत में मामले की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान पटना पुलिस की ओर से अदालत में जवाब पेश किया गया. जवाब के माध्यम से अदालत को यह जानकारी दी गई कि केस के जांच अधिकारी को निलंबित कर दिया गया है. विभागीय कार्रवाई भी प्रारंभ कर दी गई है. वहीं झारखंड सरकार की ओर से अदालत में जवाब पेश नहीं किया जा सका. जवाब के लिए समय की मांग की गई. अदालत ने थोड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए सरकार को अंतिम मौका देते हुए जवाब पेश करने को कहा है. मामले की विस्तृत सुनवाई 2 दिसंबर को होगी.
झारखंड सरकार ने नहीं दिया जवाब
पूर्व में मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट की डबल बेंच ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अवकाश के दौरान विशेष कोर्ट का गठन किया था. जिसमें मामले की सुनवाई की गई थी. अदालत ने मामले में दोनों पक्षों को सुनने के बाद बिहार सरकार और झारखंड सरकार को विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा था. हाई कोर्ट के इसी आदेश के आलोक में बिहार सरकार की ओर से तो जवाब पेश किया गया. लेकिन झारखंड सरकार की ओर से जवाब पेश नहीं किया जा सका.
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7 नवंबर को पटना पुलिस ने अधिवक्ता को किया गिरफ्तार
झारखंड हाई कोर्ट के एपीपी रजनीश वर्धन को पटना पुलिस ने 7 नवंबर को बिना ट्रांजिट रिमांड के अपने साथ गिरफ्तार कर ले गई थी. उसके बाद उनकी पत्नी ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी रिहाई की मांग की. आरोप लगाया कि पटना पुलिस ने बिना किसी सूचना के जबरन उन्हें घर से उठा लिया. उनके खिलाफ दानापुर थाना में एक मामला पहले से दर्ज है. जिस मामले में निचली अदालत ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. उसी मामले को लेकर उन्होंने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है. जो फिलहाल लंबित है.