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दुमका या बरहेट किस विधानसभा सीट पर होगा उपचुनाव? 6 जनवरी को हो सकती है तस्वीर साफ

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Published : Jan 3, 2020, 7:38 PM IST

हेमंत सोरेन के दो विधानसभा सीट दुमका और बरहेट से जीत हासिल करने के बाद अब पार्टी में सीट को लेकर मंथन चल रहा है. नियमानुसार दो में से किसी एक सीट पर हेमंत को इस्तीफा देना है, जिसके बाद उपचुनाव की प्रक्रिया होगी.

Hemant will have to resign from one assembly seat either dumka or barhait
झारखंड विधानसभा

रांची: झारखंड में भले ही विधानसभा चुनाव समाप्त हो गया हो लेकिन अभी भी उपचुनाव का साया बरकरार है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दो विधानसभा इलाकों से चुनकर असेंबली पहुंचे हैं. इनमें एक दुमका विधानसभा सीट है तो दूसरी बरहेट विधानसभा सीट. बरहेट से सोरेन 2014 में भी विधायक चुने गए थे. 2019 में उन्होंने दुमका सीट से भी लड़ने का मन बनाया और दोनों असेंबली सीटों पर उनकी जीत हुई.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-राजस्थान के सीएम बोले- स्वास्थ्य मंत्री के लिए अस्पताल जाना जरूरी नहीं था, बयान पर मचा हंगामा

प्रावधान के अनुसार हेमंत को एक विधानसभा सीट से इस्तीफा देना होगा और एक को अपने पास रखना होगा. जैसे ही यह तस्वीर साफ होगी वैसे ही यह क्लियर हो जाएगा कि प्रदेश की किस विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है.

6 जनवरी को हो सकती है तस्वीर साफ

दरअसल 6 से 8 जनवरी तक विधानसभा का सत्र आहूत किया गया है, जिसमें पहले दिन ही विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी और शोक प्रस्ताव रखा जाएगा. प्रोटेम स्पीकर स्टीफन मरांडी जैसे ही विधायकों के क्षेत्र के नाम के साथ शपथ दिलाएंगे वैसे ही यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि सीएम हेमंत सोरेन किस विधानसभा इलाके से विधायक हैं. सूत्रों की माने तो सोरेन विधानसभा सत्र शुरू होने के ठीक पहले भी उस दिन एक विधानसभा सीट से अपना इस्तीफा स्पीकर को सौंप सकते हैं.

क्या है प्रक्रिया

दरअसल, इसके लिए सबसे पहले हेमंत सोरेन को एक विधानसभा इलाके से अपना इस्तीफा सौंपना होगा. यह जरूरी नहीं कि 6 जनवरी को उनका इस्तीफा हो जाए लेकिन उस दिन यह यह साफ हो जाएगा कि कौन सी विधानसभा सीट वह अपने पास रखेंगे. जैसे ही सोरेन का इस्तीफा स्पीकर के पास जाएगा विधानसभा अध्यक्ष इस बाबत चुनाव आयोग को सूचित करेंगे. उसके बाद चुनाव आयोग तय करेगा कि कब और कैसे उस विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया जाए.

दुमका और बरहेट को लेकर पार्टी के अंदर चल रहा मंथन

इस विषय को लेकर पार्टी के अंदर गंभीर मंथन चल रहा है. एक तरफ जहां दुमका विधानसभा सीट पर हेमंत के रहने की बात आ रही है. वहीं, दूसरी तरफ पार्टी नेता दुमका सीट छोड़ हेमंत को बरहेट पर कंटिन्यू करने के लिए दबाव डाल रहे हैं. दरअसल, दुमका लोकसभा सीट से जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन की हार के बाद दुमका विधानसभा सीट पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई थी.

ऐसे में किसी भी हाल में जेएमएम इसे हाथ से जाने नहीं देना चाहता है. वहीं, दूसरी तरफ बरहेट विधानसभा सीट पार्टी के लिए एक सेफ जोन माना जा रहा है. पार्टी उसे भी अपने पास रखने के मूड में है क्योंकि हेमंत सोरेन पिछली बार वहां से विधायक रह चुके हैं और इस बार भी बरहेट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं तो जिम्मेदारी के नाते वह सीट रखने के मूड में हैं.

रांची: झारखंड में भले ही विधानसभा चुनाव समाप्त हो गया हो लेकिन अभी भी उपचुनाव का साया बरकरार है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दो विधानसभा इलाकों से चुनकर असेंबली पहुंचे हैं. इनमें एक दुमका विधानसभा सीट है तो दूसरी बरहेट विधानसभा सीट. बरहेट से सोरेन 2014 में भी विधायक चुने गए थे. 2019 में उन्होंने दुमका सीट से भी लड़ने का मन बनाया और दोनों असेंबली सीटों पर उनकी जीत हुई.

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प्रावधान के अनुसार हेमंत को एक विधानसभा सीट से इस्तीफा देना होगा और एक को अपने पास रखना होगा. जैसे ही यह तस्वीर साफ होगी वैसे ही यह क्लियर हो जाएगा कि प्रदेश की किस विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है.

6 जनवरी को हो सकती है तस्वीर साफ

दरअसल 6 से 8 जनवरी तक विधानसभा का सत्र आहूत किया गया है, जिसमें पहले दिन ही विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी और शोक प्रस्ताव रखा जाएगा. प्रोटेम स्पीकर स्टीफन मरांडी जैसे ही विधायकों के क्षेत्र के नाम के साथ शपथ दिलाएंगे वैसे ही यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि सीएम हेमंत सोरेन किस विधानसभा इलाके से विधायक हैं. सूत्रों की माने तो सोरेन विधानसभा सत्र शुरू होने के ठीक पहले भी उस दिन एक विधानसभा सीट से अपना इस्तीफा स्पीकर को सौंप सकते हैं.

क्या है प्रक्रिया

दरअसल, इसके लिए सबसे पहले हेमंत सोरेन को एक विधानसभा इलाके से अपना इस्तीफा सौंपना होगा. यह जरूरी नहीं कि 6 जनवरी को उनका इस्तीफा हो जाए लेकिन उस दिन यह यह साफ हो जाएगा कि कौन सी विधानसभा सीट वह अपने पास रखेंगे. जैसे ही सोरेन का इस्तीफा स्पीकर के पास जाएगा विधानसभा अध्यक्ष इस बाबत चुनाव आयोग को सूचित करेंगे. उसके बाद चुनाव आयोग तय करेगा कि कब और कैसे उस विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया जाए.

दुमका और बरहेट को लेकर पार्टी के अंदर चल रहा मंथन

इस विषय को लेकर पार्टी के अंदर गंभीर मंथन चल रहा है. एक तरफ जहां दुमका विधानसभा सीट पर हेमंत के रहने की बात आ रही है. वहीं, दूसरी तरफ पार्टी नेता दुमका सीट छोड़ हेमंत को बरहेट पर कंटिन्यू करने के लिए दबाव डाल रहे हैं. दरअसल, दुमका लोकसभा सीट से जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन की हार के बाद दुमका विधानसभा सीट पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई थी.

ऐसे में किसी भी हाल में जेएमएम इसे हाथ से जाने नहीं देना चाहता है. वहीं, दूसरी तरफ बरहेट विधानसभा सीट पार्टी के लिए एक सेफ जोन माना जा रहा है. पार्टी उसे भी अपने पास रखने के मूड में है क्योंकि हेमंत सोरेन पिछली बार वहां से विधायक रह चुके हैं और इस बार भी बरहेट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं तो जिम्मेदारी के नाते वह सीट रखने के मूड में हैं.

Intro:रांची। झारखंड में भले ही विधानसभा चुनाव समाप्त हो गया हो लेकिन अभी भी उपचुनाव का साया बरकरार है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन दो विधानसभा इलाकों से चुनकर असेंबली पहुंचे हैं। उनमें एक दुमका विधानसभा सीट है तो दूसरी बरहेट विधानसभा सीट। बरहेट से सोरेन 2014 में भी विधायक चुने गए थे। 2019 में उन्होंने दुमका सीट से भी लड़ने का मन बनाया और दोनों असेंबली सीटों पर उनकी जीत हुई। प्रावधान के अनुसार उन्हें एक विधानसभा सीट से इस्तीफा देना होगा और एक को अपने पास रखना होगा। जैसे ही यह तस्वीर साफ होगी वैसे ही यह क्लियर हो जाएगा कि प्रदेश की किस विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है।


Body:6 जनवरी को हो सकती है तस्वीर साफ
दरअसल 6 से 8 जनवरी तक विधानसभा का सत्र आहूत किया गया है। जिसमें पहले दिन ही विधायकों को शपथ दिलाई जाएगी और शोक प्रस्ताव रखा जाएगा। जैसे ही प्रोटेम स्पीकर स्टीफन मरांडी द्वारा विधायकों के क्षेत्र के नाम के साथ होने शपथ दिलाई जाएगी। वैसे ही यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन किस विधानसभा इलाके से विधायक हैं। सूत्रों की माने तो सोरेन विधानसभा सत्र शुरू होने के ठीक पहले भी उसी दिन एक विधानसभा सीट से अपना इस्तीफा स्पीकर को सौंप सकते हैं।

क्या है प्रक्रिया
दरअसल इसके लिए सबसे पहले हेमंत सोरेन को एक विधानसभा इलाके से अपना इस्तीफा सौंपना होगा। यह जरूरी नहीं कि 6 जनवरी को उनका इस्तीफा हो जाए लेकिन उस दिन यह यह साफ हो जाएगा कि कौन सी विधानसभा सीट वह अपने पास रखेंगे। जैसे ही सोरेन का इस्तीफा स्पीकर के पास जाएगा विधानसभा अध्यक्ष इस बाबत चुनाव आयोग को सूचित करेंगे। उसके बाद चुनाव आयोग तय करेगा कि कब और कैसे उस विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया जाए।


Conclusion:दुमका या बरहेट को लेकर पार्टी के अंदर चल रहा है मंथन हालांकि इस विषय को लेकर पार्टी के अंदरखाने गंभीर मंथन चल रहा है। एक तरफ जहां दुमका विधानसभा सीट पर हेमंत के कंटिन्यू करने की बात आ रही है। वहीं दूसरी तरफ पार्टी नेता दुमका सीट छोड़ बरहेट पर मुख्यमंत्री को कंटिन्यू करने के लिए दबाव डाल रहे हैं। दरअसल दुमका लोकसभा सीट से झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन की हार के बाद दुमका विधानसभा सीट पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गई थी। ऐसे में किसी भी हाल में जेएमएम इसे हाथ से जाने नहीं देना चाहता है। वहीं दूसरी तरफ बरहेट विधानसभा सीट पार्टी के लिए एक सेफ जोन माना जा रहा है। पार्टी उसे भी अपने पास रखने के मूड में है। चूंकि सोरेन पिछली बार वहां से विधायक रह चुके हैं और इस बार भी बरहेट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं तो अकाउंटेबिलिटी के नाते वह सीट रखने के मूड में हैं।
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