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CM हेमंत सोरेन ने कहा- झारखंड पूरी तरह केंद्र पर आश्रित, मजदूरों और छात्रों को वापस लाने में करें मदद

कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन में राज्य समेत पूरा देश आर्थिक महामारी झेल रहा है. वहीं हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड के पास इतने संसाधन नहीं हैं कि पूरे देश से झारखंड के छात्रों और मजदूरों को वापस ला सकें.

Jharkhand is completely dependent on Center government
झारखंड पूरी तरह केंद्र पर है आश्रित
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Published : Apr 25, 2020, 7:39 PM IST

रांची: प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को कहा कि झारखंड पूरी तरह से केंद्र पर आश्रित है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद समस्या बढ़ेगी. एक तरफ जहां अन्य राज्यों से लोग झारखंड लौटेंगे ऐसे में उन्हें रोजगार देना और उनकी रोजी-रोटी की व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती होगी. उन्होंने कहा कि कोटा समेत कई राज्यों में छात्र भी फंसे हुए हैं. ऐसे लोग जब भी लौटकर आएंगे उनकी जांच कराना और उन्हें क्वॉरेंटाइन करना भी एक बड़ी चुनौती साबित होगी.

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गृहमंत्री से हुई है बात

मुख्यमंत्री ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह से इस बाबत बात हुई है और उन्होंने अपनी समस्या से गृह मंत्री को अवगत कराया है. सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार के पास इतना संसाधन नहीं है कि पूरे देश से झारखंड के छात्रों और मजदूरों को वापस ला सकें. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार झारखंड के लिए सकारात्मक पहल करेगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि जैसा गाइडलाइन गृह मंत्रालय की तरफ से मिलेगा उस हिसाब से राज्य सरकार काम करेगी.

आरोप-प्रत्यारोप की बजाय दलदल से निकलने की हो कोशिश

उन्होंने कहा कि अब आरोप-प्रत्यारोप का समय नहीं है. सीएम ने कहा कि अब दलदल में फंस चुके हैं और उससे निकलने का रास्ता ढूंढना है. उन्होंने कहा कि अब ऐसा दौर है जब केंद्र सरकार को राज्यों की मदद करनी चाहिए और राज्य सरकारों को केंद्र की. उन्होंने कहा कि इस महामारी का प्रभाव पूरे देश पर पड़ेगा. जिस तरह से देश में संक्रमण की रफ्तार बढ़ रही है अब यह डर है कि यह संख्या और ना बढ़े.

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ग्रामीण अर्थव्यवस्था को करना है मजबूत

सोरेन ने कहा कि मनरेगा मजदूरों को भी खड़ा करना है. राज्य सरकार का पहला फोकस ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है. उन्होंने कहा कि झारखंड में मनरेगा मजदूरों को 200 रुपये से भी कम पैसे मिलते हैं. कई राज्यों में 300 रुपये से भी अधिक है. यहां मनरेगा में लोगों को 200 रुपये भी नहीं दे पाएंगे तो कई सवाल उठेंगे. उन्होंने कहा कि राज्य आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य तीनों मोर्चों पर चुनौतियों से जूझ रहा है. जो आंकड़ा सरकार के पास है उसके हिसाब से 7 से 8 लाख लोग दूसरे राज्य में फंसे हुए हैं और जैसे ही वो वापस लौटेंगे तब संक्रमण का खतरा और बढ़ेगा.

रांची: प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को कहा कि झारखंड पूरी तरह से केंद्र पर आश्रित है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बाद समस्या बढ़ेगी. एक तरफ जहां अन्य राज्यों से लोग झारखंड लौटेंगे ऐसे में उन्हें रोजगार देना और उनकी रोजी-रोटी की व्यवस्था करना एक बड़ी चुनौती होगी. उन्होंने कहा कि कोटा समेत कई राज्यों में छात्र भी फंसे हुए हैं. ऐसे लोग जब भी लौटकर आएंगे उनकी जांच कराना और उन्हें क्वॉरेंटाइन करना भी एक बड़ी चुनौती साबित होगी.

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गृहमंत्री से हुई है बात

मुख्यमंत्री ने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह से इस बाबत बात हुई है और उन्होंने अपनी समस्या से गृह मंत्री को अवगत कराया है. सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार के पास इतना संसाधन नहीं है कि पूरे देश से झारखंड के छात्रों और मजदूरों को वापस ला सकें. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि केंद्र सरकार झारखंड के लिए सकारात्मक पहल करेगी. उन्होंने स्पष्ट किया कि जैसा गाइडलाइन गृह मंत्रालय की तरफ से मिलेगा उस हिसाब से राज्य सरकार काम करेगी.

आरोप-प्रत्यारोप की बजाय दलदल से निकलने की हो कोशिश

उन्होंने कहा कि अब आरोप-प्रत्यारोप का समय नहीं है. सीएम ने कहा कि अब दलदल में फंस चुके हैं और उससे निकलने का रास्ता ढूंढना है. उन्होंने कहा कि अब ऐसा दौर है जब केंद्र सरकार को राज्यों की मदद करनी चाहिए और राज्य सरकारों को केंद्र की. उन्होंने कहा कि इस महामारी का प्रभाव पूरे देश पर पड़ेगा. जिस तरह से देश में संक्रमण की रफ्तार बढ़ रही है अब यह डर है कि यह संख्या और ना बढ़े.

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ग्रामीण अर्थव्यवस्था को करना है मजबूत

सोरेन ने कहा कि मनरेगा मजदूरों को भी खड़ा करना है. राज्य सरकार का पहला फोकस ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है. उन्होंने कहा कि झारखंड में मनरेगा मजदूरों को 200 रुपये से भी कम पैसे मिलते हैं. कई राज्यों में 300 रुपये से भी अधिक है. यहां मनरेगा में लोगों को 200 रुपये भी नहीं दे पाएंगे तो कई सवाल उठेंगे. उन्होंने कहा कि राज्य आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य तीनों मोर्चों पर चुनौतियों से जूझ रहा है. जो आंकड़ा सरकार के पास है उसके हिसाब से 7 से 8 लाख लोग दूसरे राज्य में फंसे हुए हैं और जैसे ही वो वापस लौटेंगे तब संक्रमण का खतरा और बढ़ेगा.

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