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रिम्स में गरीब आदिवासी मरीजों के लिए बनाया गया हेल्प डेस्क, मिलेगी हर जानकारी - jharkhand news

राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में झारखंड आदिवासी विकास समिति की ओर से एक बेहतर पहल की गई है. हेल्प डेस्क के माध्यम से मरीजों को उचित जानकारी दी जायेगी.

रिम्स में मौजूद मरीज
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Published : Jul 9, 2019, 10:19 PM IST

रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में पूरे राज्य से लोग इलाज कराने आते हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों के लोगों की संख्या ज्यादा होती है, जिन्हें मेडिकल कॉलेज में तकनीकी चीजों को समझने में काफी समस्यांए होती है जिस कारण उन्हें इलाज कराने में और सही डॉक्टर तक पहुंचने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इसी को लेकर झारखंड आदिवासी विकास समिति की तरफ से सुदूर इलाके से आए अशिक्षित ग्रामीण मरीजों के लिए हेल्प डेस्क की सुविधा की गई है.

देखें पूरी खबर


हेल्प डेस्क से मिलेगी मरीजो को राहत


झारखंड आदिवासी विकास समिति के अध्यक्ष प्रभाकर नाग बताते हैं कि हेल्प डेस्क के माध्यम से सुदूर इलाके से आए अशिक्षित मरीजों का इलाज के लिए उचित जानकारी दी जायेगी और इसमें बैठे वॉलिंटियर्स, डॉक्टर से इलाज कराने में उनकी मदद करेंगे.

ये भी देखें- रांची में सूअरों का बढ़ा रहा आतंक, वार्ड पार्षद ने विरोध स्वरूप निगम में बांटी मिठाई


वहीं आदिवासियों की मदद के लिए हेल्प डेस्क बनने को लेकर रिम्स के निदेशक डॉ डीके सिंह ने बताया कि रिम्स जैसे बड़े अस्पताल में दूरदराज से आए अशिक्षित मरीजों के लिए इलाज कराने के लिए यह हेल्प डेस्क काफी महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगा. रिम्स अस्पताल में प्रत्येक दिन लगभग पंद्रह सौ मरीजों का इलाज होता है. ऐसे में यह हेल्प डेस्क उनके लिए एक वरदान साबित होगा.

रांची: राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में पूरे राज्य से लोग इलाज कराने आते हैं. खासकर ग्रामीण इलाकों के लोगों की संख्या ज्यादा होती है, जिन्हें मेडिकल कॉलेज में तकनीकी चीजों को समझने में काफी समस्यांए होती है जिस कारण उन्हें इलाज कराने में और सही डॉक्टर तक पहुंचने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इसी को लेकर झारखंड आदिवासी विकास समिति की तरफ से सुदूर इलाके से आए अशिक्षित ग्रामीण मरीजों के लिए हेल्प डेस्क की सुविधा की गई है.

देखें पूरी खबर


हेल्प डेस्क से मिलेगी मरीजो को राहत


झारखंड आदिवासी विकास समिति के अध्यक्ष प्रभाकर नाग बताते हैं कि हेल्प डेस्क के माध्यम से सुदूर इलाके से आए अशिक्षित मरीजों का इलाज के लिए उचित जानकारी दी जायेगी और इसमें बैठे वॉलिंटियर्स, डॉक्टर से इलाज कराने में उनकी मदद करेंगे.

ये भी देखें- रांची में सूअरों का बढ़ा रहा आतंक, वार्ड पार्षद ने विरोध स्वरूप निगम में बांटी मिठाई


वहीं आदिवासियों की मदद के लिए हेल्प डेस्क बनने को लेकर रिम्स के निदेशक डॉ डीके सिंह ने बताया कि रिम्स जैसे बड़े अस्पताल में दूरदराज से आए अशिक्षित मरीजों के लिए इलाज कराने के लिए यह हेल्प डेस्क काफी महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगा. रिम्स अस्पताल में प्रत्येक दिन लगभग पंद्रह सौ मरीजों का इलाज होता है. ऐसे में यह हेल्प डेस्क उनके लिए एक वरदान साबित होगा.

Intro:राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में झारखंड आदिवासी विकास समिति की ओर से एक बेहतर पहल की गई है।

सुबे के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में पूरे राज्य से लोग इलाज कराने पहुंचते हैं, खासकर ग्रामीण इलाके के लोगों की संख्या ज्यादा होती है। जिन्हें मेडिकल कॉलेज में तकनीकी चीजों को समझने में काफी समस्या होती है जिस कारण उन्हें इलाज कराने और सही डॉक्टर तक पहुंचने के लिए काफी मशक्कत करना पड़ता है।

इसी को लेकर झारखंड आदिवासी विकास समिति की तरफ से सुदूर इलाके से आए अशिक्षित ग्रामीण मरीजों के लिए हेल्पडेस्क की सुविधा की गई है।



Body:झारखंड आदिवासी विकास समिति के अध्यक्ष प्रभाकर नाग बताते हैं कि इस हेल्पडेस्क के माध्यम से सुदूर इलाके से आए अशिक्षित मरीजों को इलाज के लिए उचित जानकारी दिया जाएगा और इसमें बैठे वॉलिंटियर्स उन्हें संबंधित डॉक्टर से इलाज कराने में मदद करेंगे।

सुदूर और ग्रामीण इलाकों से आए मरीजों को सरकार द्वारा बनाई गई योजनाओं की जानकारी भी इस हेल्प डेस्क के माध्यम से दी जाएगी, क्योंकि कई ऐसे अशिक्षित मरीज हैं जिन्हें सरकार की योजनाओं की जानकारी भी नहीं हो पाती है।


रिम्स के मुख्य द्वार पर बनाया गया हेल्पडेस्क,विधिवत रूप से की गई पूजा अर्चना।



Conclusion:वहीं आदिवासियों के मदद के लिए हेल्प डेस्क बनने को लेकर रिम्स के निदेशक डॉ डीके सिंह ने बताया कि रिम्स जैसे बड़े अस्पताल में दूरदराज से आए अशिक्षित मरीजों को इलाज कराने के लिए यह हेल्पडेस्क काफी महत्वपूर्ण और उपयोगी साबित होगा ।

जाहिर है रिम्स अस्पताल में प्रत्येक दिन लगभग पंद्रह सौ मरीजों का इलाज होता है,ऐसे में यह हेल्पडेस्क उनके लिए एक वरदान साबित होगा,जो ग्रामीण इलाकों से आए आदिवासी मरीजों को परामर्श और जानकारी के माध्यम से उनको मदद पहुंचाएगा।

बाइट:-प्रभाकर नाग(अध्यक्ष,झारखंड आदिवासी विकास समिति
बाइट:-डॉ डीके सिंह(निदेशक रिम्स)
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