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जानिए, किस मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने कहा कि गरीब सवर्णों को मिलेगा 10% आरक्षण का लाभ

झारखंड हाई कोर्ट ने असिस्टेंट इंजीनियर नियुक्ति मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि नियुक्ति में राज्य के गरीब सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा. कोर्ट ने सिंगल बेंच के आदेश को भी रद्द कर दिया.

hearing on recruitment of assistant engineer  case in jharkhand high court
जानिए किस मामले में झारखंड हाई कोर्ट ने कहा कि गरीब सवर्णों को मिलेगा 10% आरक्षण का लाभ
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Published : Sep 10, 2021, 12:33 PM IST

Updated : Sep 10, 2021, 12:41 PM IST

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट ने आज महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति में राज्य के गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने के मामले में न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय और न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. एकल पीठ के आदेश को रद्द करते हुए उन्होंने स्पष्ट आदेश दिया है कि राज्य के 10% गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए. अदालत ने राज्य सरकार और आयोग को शीघ्र नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण करने का आदेश दिया है. डबल बेंच के आदेश से अब मुख्य परीक्षा का रास्ता साफ हो गया है. मुख्य परीक्षा की तिथि से 1 दिन पूर्व हाई कोर्ट की एकल पीठ ने विज्ञापन रद्द कर फिर से विज्ञापन निकालने का आदेश दिया था.

ये भी पढ़ेंः गृह सचिव-एफएसएल डायरेक्टर हाजिर हो! FSL लैब में नियुक्ति मामले में सुनवाई पर हाई कोर्ट का आदेश

पूर्व में अदालत में सुनवाई के दौरान रंजीत कुमार शाह की ओर से अधिवक्ता सौरभ शेखर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि, असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति में गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ देना उचित नहीं. क्योंकि असिस्टेंट इंजीनियर की जो नियुक्ति हो रही है उसमें जो रिक्त पद है, वह वर्ष 2019 से पूर्व के हैं और गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का जो नियम बना है, वह 2019 में बना है. यह आरक्षण 2019 से लागू किया जा सकता, इससे पूर्व के रिक्त पद पर यह नियम लागू नहीं किया जा सकता. इसलिए इस याचिका को रद्द कर दिया जाए और फ्रेश विज्ञापन निकालने का आदेश दिया जाए.

जानकारी देते अधिवक्ता

वहीं सरकार और आयोग की ओर से अधिवक्ता प्रिंस कुमार ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, सरकार को यह अधिकार है कि वह चाहे तो आरक्षण दे सकती है, जब विज्ञापन निकाला जाता है उस समय में जो नियम रहता है उसी के अनुरूप आरक्षण लागू किया जाता है. इस नियुक्ति के लिए विज्ञापन 2019 में निकाला गया, उससे पूर्व ही आरक्षण संबंधी नियम बना दिए गए थे और लागू भी कर दिए गये थे. इसलिए इस विज्ञापन में आरक्षण का लाभ दिया जाना कहीं से भी गलत नहीं है, इसलिए एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया जाए.


बता दें कि झारखंड लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2019 में असिस्टेंट इंजीनियर के 634 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला था. जिसमें 10% गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ दिया गया था. उसके बाद नियुक्ति में पीटी की परीक्षा ले ली गई. पीटी का रिजल्ट भी प्रकाशित कर दिया गया. मुख्य परीक्षा की तिथि 22 जनवरी 2021 को निर्धारित कर दी गई, इस बीच रंजीत कुमार शाह ने 10% गरीब सवर्णों को आरक्षण दिए जाने के विरोध में हाई कोर्ट में याचिका दायर की. अदालत ने मामले पर सुनवाई पूर्ण करते मुख्य परीक्षा से 1 दिन पूर्व अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि, 10% सवर्णों को पूर्व के रिक्त पद पर आरक्षण देना उचित नहीं है, विज्ञापन को रद्द कर फिर से विज्ञापन निकालने का आदेश दिया था. उसी आदेश को राज्य सरकार की ओर से हाई कोर्ट के डबल बेंच में चुनौती दी गई, जिस पर सुनवाई पूर्ण कर अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था.

रांचीः झारखंड हाई कोर्ट ने आज महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति में राज्य के गरीब सवर्णों को 10% आरक्षण देने के मामले में न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय और न्यायाधीश राजेश शंकर की अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. एकल पीठ के आदेश को रद्द करते हुए उन्होंने स्पष्ट आदेश दिया है कि राज्य के 10% गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए. अदालत ने राज्य सरकार और आयोग को शीघ्र नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण करने का आदेश दिया है. डबल बेंच के आदेश से अब मुख्य परीक्षा का रास्ता साफ हो गया है. मुख्य परीक्षा की तिथि से 1 दिन पूर्व हाई कोर्ट की एकल पीठ ने विज्ञापन रद्द कर फिर से विज्ञापन निकालने का आदेश दिया था.

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पूर्व में अदालत में सुनवाई के दौरान रंजीत कुमार शाह की ओर से अधिवक्ता सौरभ शेखर ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि, असिस्टेंट इंजीनियर की नियुक्ति में गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ देना उचित नहीं. क्योंकि असिस्टेंट इंजीनियर की जो नियुक्ति हो रही है उसमें जो रिक्त पद है, वह वर्ष 2019 से पूर्व के हैं और गरीब सवर्णों को आरक्षण देने का जो नियम बना है, वह 2019 में बना है. यह आरक्षण 2019 से लागू किया जा सकता, इससे पूर्व के रिक्त पद पर यह नियम लागू नहीं किया जा सकता. इसलिए इस याचिका को रद्द कर दिया जाए और फ्रेश विज्ञापन निकालने का आदेश दिया जाए.

जानकारी देते अधिवक्ता

वहीं सरकार और आयोग की ओर से अधिवक्ता प्रिंस कुमार ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि, सरकार को यह अधिकार है कि वह चाहे तो आरक्षण दे सकती है, जब विज्ञापन निकाला जाता है उस समय में जो नियम रहता है उसी के अनुरूप आरक्षण लागू किया जाता है. इस नियुक्ति के लिए विज्ञापन 2019 में निकाला गया, उससे पूर्व ही आरक्षण संबंधी नियम बना दिए गए थे और लागू भी कर दिए गये थे. इसलिए इस विज्ञापन में आरक्षण का लाभ दिया जाना कहीं से भी गलत नहीं है, इसलिए एकल पीठ के आदेश को रद्द कर दिया जाए.


बता दें कि झारखंड लोक सेवा आयोग ने वर्ष 2019 में असिस्टेंट इंजीनियर के 634 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला था. जिसमें 10% गरीब सवर्णों को आरक्षण का लाभ दिया गया था. उसके बाद नियुक्ति में पीटी की परीक्षा ले ली गई. पीटी का रिजल्ट भी प्रकाशित कर दिया गया. मुख्य परीक्षा की तिथि 22 जनवरी 2021 को निर्धारित कर दी गई, इस बीच रंजीत कुमार शाह ने 10% गरीब सवर्णों को आरक्षण दिए जाने के विरोध में हाई कोर्ट में याचिका दायर की. अदालत ने मामले पर सुनवाई पूर्ण करते मुख्य परीक्षा से 1 दिन पूर्व अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि, 10% सवर्णों को पूर्व के रिक्त पद पर आरक्षण देना उचित नहीं है, विज्ञापन को रद्द कर फिर से विज्ञापन निकालने का आदेश दिया था. उसी आदेश को राज्य सरकार की ओर से हाई कोर्ट के डबल बेंच में चुनौती दी गई, जिस पर सुनवाई पूर्ण कर अदालत ने आदेश सुरक्षित रख लिया था.

Last Updated : Sep 10, 2021, 12:41 PM IST
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