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झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से पूछा, एफएसएल लैब टेक्नीशियन का विज्ञापन अदालत से बिना पूछे क्यों लिया गया वापस?

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Published : Oct 29, 2021, 5:08 PM IST

Updated : Oct 29, 2021, 7:52 PM IST

झारखंड राज्य फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी में रिक्त पदों पर नियुक्ति के मामले पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने सरकार के कार्यकलाप पर नाराजगी व्यक्त की. अदालत ने सरकार से पूछा कि जब मामला हाई कोर्ट में लंबित है तो बिना कोर्ट से अनुमति के एफएसएल लैब में रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए निकाला गया विज्ञापन को क्यों वापस लिया गया?

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झारखंड हाई कोर्ट

रांची: झारखंड राज्य फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) में रिक्त पदों पर नियुक्ति के बिंदु पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में सुनवाई हुई. अदालत ने सरकार के अधिकारी के कार्यकलाप पर काफी नाराजगी व्यक्त की. अदालत ने सरकार से यह जानना चाहा कि जब मामला हाई कोर्ट में लंबित है तो बिना कोर्ट से अनुमति के एफएसएल लैब में रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए निकाला गया विज्ञापन को क्यों वापस लिया गया? किस परिस्थिति में वापस लिया गया? क्यों नहीं अदालत अवमानना चलाएं? इस पर विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी.

इसे भी पढे़ं: धनबाद जज मौत मामला: CBI को फिर फटकार, प्रगति रिपोर्ट पर हाई कोर्ट नाराज, कहा- 302 से 304 की तरफ जा रहा है मामला

झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से यह जानना चाहा कि विज्ञापन क्यों वापस ले लिया गया है? जिस पर सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि सरकार को यह अधिकार है कि वह विज्ञापन वापस ले सकता है, विज्ञापन में कुछ नियम में सुधार किया जाना था, इसलिए विज्ञापन को वापस लिया गया है. अदालत ने अधिवक्ता के जवाब पर काफी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि जब मामला हाई कोर्ट में लंबित है तो फिर हाई कोर्ट को बताए हुए या अनुमति लिए कैसे विज्ञापन वापस लिया जा सकता है? इसके लिए झारखंड लोक सेवा आयोग, झारखंड कर्मचारी चयन आयोग और सरकार पर अदालत का अवमानना करने जैसा प्रतीत होता है.

फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी में रिक्त पदों पर नियुक्ति मामले पर सुनवाई

बिंदुवार जवाब पेश करने का आदेश

मामले में अदालत ने राज्य सरकार को विस्तृत और बिंदुवार जवाब पेश करने को कहा है. अदालत ने राज्य सरकार को यह भी बताने को कहा है कि, जब मामले की सुनवाई के दौरान गृह सचिव अदालत में उपस्थित थे. एफएसएल के डायरेक्टर भी अदालत में उपस्थित थे, उस समय में तो उन्होंने अदालत को कुछ भी जानकारी नहीं दी. लेकिन जब हाई कोर्ट के आदेश पर विज्ञापन निकाला गया तो उसमें सुधार का बहाना बनाकर उसे फिर से वापस ले लिया. सरकार का यह वापस लेने का रवैया पुराना है. यह सही नहीं है.

इसे भी पढे़ं: रेडियो सब इंस्पेक्टर नियुक्ति मामला: उच्च शिक्षा होने के कारण नहीं मिली नौकरी, झारखंड हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

अदालत ने दिया राज्य में एफएसएल की लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने का आदेश

धनबाद के जज की मौत के बाद हाई कोर्ट ने सीबीआई को मामले की एफएसएल रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा था. सीबीआई ने जांच के लिए ब्लड सैंपल प्रयोगशाला भेजा था. लेकिन राज्य एफएसएल लेबोरेटरी में किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं होने के कारण जांच से हाथ उठा दिया. सीबीआई की ओर से अदालत में यह जानकारी दी गई कि राज्य में यह व्यवस्था नहीं होने के कारण जांच रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी. जिस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए एफएसएल की लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने का आदेश दिया गया था. उसके बाद एफएसएल में रिक्त पदों पर नियुक्ति के बिंदु पर भी चर्चा की गई. उसी मामले पर सुनवाई हुई है.

हर्ष फायरिंग होने के बिंदु पर भी अदालत में हुई चर्चा

झारखंड के सिविल कोर्ट की सुरक्षा चाक-चौबंद करने के मामले में दायर पीआईएल की सुनवाई के दौरान रांची सिविल कोर्ट में बार एसोसिएशन चुनाव की मतगणना समाप्ति के बाद हर्ष फायरिंग होने के बिंदु पर भी चर्चा हुई. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन न्यायाधीश सुजीत नारायण की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने कहा कि इसकी जानकारी हाई कोर्ट को नहीं है, ना ही इस संबंधित कोई खबर देखा गया है. अगर ऐसी बात है तो इस मामले की हाई कोर्ट प्रशासनिक जांच कराएगी.

जिला बार एसोसिएशन के मतगणना के बाद हर्ष फायरिंग

अदालत ने स्टेट बार काउंसिल से इस बिंदु पर जानकारी मांगी कि एसोसिएशन ने मामले पर अभी तक क्या कुछ किया है? जिस पर स्टेट बार काउंसिल के सदस्य हेमंत सिकरवार की ओर से अदालत में बताया गया कि स्टेट बार काउंसिल के संज्ञान में यह मामला आया है. स्टेट बार काउंसिल अपने स्तर से मामले की जांच करा रहा है. रांची सिविल कोर्ट में जिला बार एसोसिएशन का चुनाव हुआ. मतगणना के समाप्ति के बाद हर्ष फायरिंग की बातें सामने आई है.

अधिवक्ता के निधन पर शोक सभा का आयोजन

वहीं झारखंड हाई कोर्ट में अधिवक्ता राजीव घोष का निधन पर शोक सभा का आयोजन किया गया. जिसमें हाई कोर्ट के न्यायाधीश सहित सरकारी अधिवक्ता, एसोसिएशन के अध्यक्ष समेत बड़ी संख्या में अधिवक्ता शामिल हुए. शोक सभा के समाप्ति के बाद अदालत में सभी प्रकार के न्यायिक कार्य स्थगित कर दिए गए. शोक सभा का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया.

रांची: झारखंड राज्य फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) में रिक्त पदों पर नियुक्ति के बिंदु पर झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand High Court) में सुनवाई हुई. अदालत ने सरकार के अधिकारी के कार्यकलाप पर काफी नाराजगी व्यक्त की. अदालत ने सरकार से यह जानना चाहा कि जब मामला हाई कोर्ट में लंबित है तो बिना कोर्ट से अनुमति के एफएसएल लैब में रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए निकाला गया विज्ञापन को क्यों वापस लिया गया? किस परिस्थिति में वापस लिया गया? क्यों नहीं अदालत अवमानना चलाएं? इस पर विस्तृत जवाब पेश करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी.

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झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से यह जानना चाहा कि विज्ञापन क्यों वापस ले लिया गया है? जिस पर सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि सरकार को यह अधिकार है कि वह विज्ञापन वापस ले सकता है, विज्ञापन में कुछ नियम में सुधार किया जाना था, इसलिए विज्ञापन को वापस लिया गया है. अदालत ने अधिवक्ता के जवाब पर काफी नाराजगी व्यक्त की और कहा कि जब मामला हाई कोर्ट में लंबित है तो फिर हाई कोर्ट को बताए हुए या अनुमति लिए कैसे विज्ञापन वापस लिया जा सकता है? इसके लिए झारखंड लोक सेवा आयोग, झारखंड कर्मचारी चयन आयोग और सरकार पर अदालत का अवमानना करने जैसा प्रतीत होता है.

फॉरेंसिक साइंस लैबोरेटरी में रिक्त पदों पर नियुक्ति मामले पर सुनवाई

बिंदुवार जवाब पेश करने का आदेश

मामले में अदालत ने राज्य सरकार को विस्तृत और बिंदुवार जवाब पेश करने को कहा है. अदालत ने राज्य सरकार को यह भी बताने को कहा है कि, जब मामले की सुनवाई के दौरान गृह सचिव अदालत में उपस्थित थे. एफएसएल के डायरेक्टर भी अदालत में उपस्थित थे, उस समय में तो उन्होंने अदालत को कुछ भी जानकारी नहीं दी. लेकिन जब हाई कोर्ट के आदेश पर विज्ञापन निकाला गया तो उसमें सुधार का बहाना बनाकर उसे फिर से वापस ले लिया. सरकार का यह वापस लेने का रवैया पुराना है. यह सही नहीं है.

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अदालत ने दिया राज्य में एफएसएल की लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने का आदेश

धनबाद के जज की मौत के बाद हाई कोर्ट ने सीबीआई को मामले की एफएसएल रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा था. सीबीआई ने जांच के लिए ब्लड सैंपल प्रयोगशाला भेजा था. लेकिन राज्य एफएसएल लेबोरेटरी में किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं होने के कारण जांच से हाथ उठा दिया. सीबीआई की ओर से अदालत में यह जानकारी दी गई कि राज्य में यह व्यवस्था नहीं होने के कारण जांच रिपोर्ट पेश नहीं की जा सकी. जिस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए एफएसएल की लचर व्यवस्था को दुरुस्त करने का आदेश दिया गया था. उसके बाद एफएसएल में रिक्त पदों पर नियुक्ति के बिंदु पर भी चर्चा की गई. उसी मामले पर सुनवाई हुई है.

हर्ष फायरिंग होने के बिंदु पर भी अदालत में हुई चर्चा

झारखंड के सिविल कोर्ट की सुरक्षा चाक-चौबंद करने के मामले में दायर पीआईएल की सुनवाई के दौरान रांची सिविल कोर्ट में बार एसोसिएशन चुनाव की मतगणना समाप्ति के बाद हर्ष फायरिंग होने के बिंदु पर भी चर्चा हुई. झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन न्यायाधीश सुजीत नारायण की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. अदालत ने कहा कि इसकी जानकारी हाई कोर्ट को नहीं है, ना ही इस संबंधित कोई खबर देखा गया है. अगर ऐसी बात है तो इस मामले की हाई कोर्ट प्रशासनिक जांच कराएगी.

जिला बार एसोसिएशन के मतगणना के बाद हर्ष फायरिंग

अदालत ने स्टेट बार काउंसिल से इस बिंदु पर जानकारी मांगी कि एसोसिएशन ने मामले पर अभी तक क्या कुछ किया है? जिस पर स्टेट बार काउंसिल के सदस्य हेमंत सिकरवार की ओर से अदालत में बताया गया कि स्टेट बार काउंसिल के संज्ञान में यह मामला आया है. स्टेट बार काउंसिल अपने स्तर से मामले की जांच करा रहा है. रांची सिविल कोर्ट में जिला बार एसोसिएशन का चुनाव हुआ. मतगणना के समाप्ति के बाद हर्ष फायरिंग की बातें सामने आई है.

अधिवक्ता के निधन पर शोक सभा का आयोजन

वहीं झारखंड हाई कोर्ट में अधिवक्ता राजीव घोष का निधन पर शोक सभा का आयोजन किया गया. जिसमें हाई कोर्ट के न्यायाधीश सहित सरकारी अधिवक्ता, एसोसिएशन के अध्यक्ष समेत बड़ी संख्या में अधिवक्ता शामिल हुए. शोक सभा के समाप्ति के बाद अदालत में सभी प्रकार के न्यायिक कार्य स्थगित कर दिए गए. शोक सभा का आयोजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से किया गया.

Last Updated : Oct 29, 2021, 7:52 PM IST
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