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पारा शिक्षकों के नियमितीकरण मामले की सुनवाई, झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछे कई सवाल - झारखंड हाई कोर्ट

पारा शिक्षकों के नियमितीकरण वाली याचिका पर झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. अदालत ने पूछा क्या समान काम के बदले समान वेतन दिया जा सकता है. वहीं अदालत ने सरकार से पारा शिक्षकों को मिलने वाले मानदेय सेवा शर्त और अन्य सुविधाओं का ब्यौरा देने को कहा है.

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झारखंड हाई कोर्ट
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Published : Jan 21, 2020, 9:28 AM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में पारा शिक्षकों को नियमित करने के मामले पर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में हुई.

देखें पूरी खबर

17 फरवरी को अगली सुनवाई
सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार से पूछा है कि क्या समान काम के बदले समान वेतन दिया जा सकता है. साथ ही अदालत ने सरकार से पारा शिक्षकों को मिलने वाले मानदेय सेवा शर्त और अन्य सुविधाओं का ब्यौरा देने को कहा है. मामले को लेकर अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी.

ये भी पढ़ें- प्रशासन की मुस्तैदी से रुकी नाबालिग की शादी, गरीबी आ रही थी पढ़ाई में आड़े

सेवा नियुक्ति की मांग
याचिकाकर्ता कमलेश कुमार सिंह संहित अन्य पारा शिक्षकों ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी सेवा नियुक्ति की मांग की है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उमा देवी के मामले में दिया गए आदेश का हवाला दिया. कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि 10 साल से ज्यादा समय से काम करने वाले लोगों को नियमित किया जाए. यदि राज्य सरकार अन्य विभागों में ऐसा कर रही है तो पारा शिक्षकों के मामले में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता है. साथ ही अदालत को बताया गया कि सरकार के पास पारा शिक्षकों का पद खाली है और राज्य सरकार इस पर नियुक्ति भी कर रही है.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट में पारा शिक्षकों को नियमित करने के मामले पर दायर याचिका पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में हुई.

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17 फरवरी को अगली सुनवाई
सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार से पूछा है कि क्या समान काम के बदले समान वेतन दिया जा सकता है. साथ ही अदालत ने सरकार से पारा शिक्षकों को मिलने वाले मानदेय सेवा शर्त और अन्य सुविधाओं का ब्यौरा देने को कहा है. मामले को लेकर अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी.

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सेवा नियुक्ति की मांग
याचिकाकर्ता कमलेश कुमार सिंह संहित अन्य पारा शिक्षकों ने झारखंड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी सेवा नियुक्ति की मांग की है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उमा देवी के मामले में दिया गए आदेश का हवाला दिया. कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि 10 साल से ज्यादा समय से काम करने वाले लोगों को नियमित किया जाए. यदि राज्य सरकार अन्य विभागों में ऐसा कर रही है तो पारा शिक्षकों के मामले में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता है. साथ ही अदालत को बताया गया कि सरकार के पास पारा शिक्षकों का पद खाली है और राज्य सरकार इस पर नियुक्ति भी कर रही है.

Intro:रांची

झारखंड हाईकोर्ट में पारा शिक्षकों को नियमित करने के मामले पर दायर याचिका पर सुनवाई हुई मामले की सुनवाई झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में हुई,सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार से पूछा है कि क्या समान काम के बदले समान वेतन दिया जा सकता है साथ ही अदालत ने सरकार से पारा शिक्षकों को मिलने वाले मानदेय सेवा शर्त और अन्य सुविधाओं का ब्यावरा देने को कहा है मामले को लेकर अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी


याचिकाकर्ता कमलेश कुमार सिंह संहिता अन्य पारा शिक्षकों ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर अपनी सेवा नियुक्ति की मांग की है सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा उमा देवी के मामले में दिया गया आदेश का हवाला दिया गया कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि 10 साल से ज्यादा समय से काम करने वाले लोगों को नियमित किया जाए इसके बाद राज्य सरकार अन्य विभागों में ऐसा कर रही है तो पारा शिक्षकों के मामले में ऐसा क्यों नहीं किया जा सकता है।






Body:साथ ही अदालत को बताया गया कि सरकार के पास पारा शिक्षकों का पद खाली है और राज्य सरकार इस पर नियुक्ति भी कर रही है टेट पास पारा शिक्षक सरकारी शिक्षकों का समान युक्ता देते हैं और समान काम करते हैं ऐसे में उन्हें सामान्य सुविधा भी मिलनी चाहिए अदालत ने कहा कि इनकी नियुक्ति सर्व शिक्षा अभियान के तहत की गई है इसमें केंद्र सरकार की ओर से 60 फीसद और राज्य सरकार की ओर से 40 फीसद राशि दी जाती है


Conclusion:
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