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शाह ब्रदर्स की याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई, 12 हफ्ते के भीतर सरकार को नया आदेश पारित करने का आदेश - Hearing in high court

करमपदा आयरन ओर माइंस का लीज रद्द करने के राज्य सरकार और केंद्र सरकार के आदेश को चुनौती देने वाली शाह ब्रदर्स की याचिका पर शुक्रवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने ऑन रिकॉर्ड दस्तावेज के आधार पर 12 हफ्ते के भीतर राज्य सरकार को नया आदेश पारित करने का आदेश दिया.

hearing at jharkhand high court
झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई
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Published : May 21, 2021, 11:00 PM IST

रांची: करमपदा आयरन और माइंस लीज रद्द करने के मामले में शुक्रवार को शाह ब्रदर्स की याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के न्यायाधीश दीपक रौशन की अदालत ने सुनवाई करते हुए इस मामले को राज्य सरकार के पास रिमांड बैक कर दिया, इस दौरान अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि, राज्य सरकार के आदेश में लीज रद्द करने का कोई कारण नहीं बताया गया है. अदालत ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले के मेरिट पर कोई सुनवाई नहीं कर रही है. राज्य सरकार को निर्देश दिया कि जो दस्तावेज ऑन रिकॉर्ड उपलब्ध है, उसके आधार पर वह कारण बताते हुए 12 सप्ताह के भीतर नया आदेश पारित करें.

इसे भी पढ़ें- टाउन प्लानर नियुक्ति याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई, सफल उम्मीदवारों को प्रतिवादी बनाने के निर्देश

अदालत में दोनों पक्षों के बीच बहस

कोर्ट में शाह प्रार्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता नवनीति प्रसाद और झारखंड हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि उनका पक्ष सुने बिना सरकार द्वारा आदेश पारित कर दिया गया. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता नीरज कुमार ने प्रार्थी की दलील का विरोध किया. अधिवक्ता नीरज कुमार ने केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में कोई अर्जेंसी नहीं है. प्रार्थी के अधिवक्ता ने सुनवाई के लिए उनसे मंतव्य मांगा था, लेकिन उन्होंने अपना कंसेंट नहीं दिया था. उन्होंने अदालत को बताया कि उनके अधिवक्ता लिपिक रांची से बाहर हैं. अधिवक्ता लिपिकों द्वारा कार्य भी नहीं किया जा रहा है, इसलिए उनके पास अभी फाइल नहीं आ पायी है. उन्होंने मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के ग्रीष्म अवकाश के बाद करने का आग्रह किया है.

रांची: करमपदा आयरन और माइंस लीज रद्द करने के मामले में शुक्रवार को शाह ब्रदर्स की याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में अहम सुनवाई हुई. हाईकोर्ट के न्यायाधीश दीपक रौशन की अदालत ने सुनवाई करते हुए इस मामले को राज्य सरकार के पास रिमांड बैक कर दिया, इस दौरान अदालत ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि, राज्य सरकार के आदेश में लीज रद्द करने का कोई कारण नहीं बताया गया है. अदालत ने स्पष्ट किया कि वह इस मामले के मेरिट पर कोई सुनवाई नहीं कर रही है. राज्य सरकार को निर्देश दिया कि जो दस्तावेज ऑन रिकॉर्ड उपलब्ध है, उसके आधार पर वह कारण बताते हुए 12 सप्ताह के भीतर नया आदेश पारित करें.

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अदालत में दोनों पक्षों के बीच बहस

कोर्ट में शाह प्रार्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता नवनीति प्रसाद और झारखंड हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने पक्ष रखते हुए अदालत को बताया कि उनका पक्ष सुने बिना सरकार द्वारा आदेश पारित कर दिया गया. राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता नीरज कुमार ने प्रार्थी की दलील का विरोध किया. अधिवक्ता नीरज कुमार ने केंद्र सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामले में कोई अर्जेंसी नहीं है. प्रार्थी के अधिवक्ता ने सुनवाई के लिए उनसे मंतव्य मांगा था, लेकिन उन्होंने अपना कंसेंट नहीं दिया था. उन्होंने अदालत को बताया कि उनके अधिवक्ता लिपिक रांची से बाहर हैं. अधिवक्ता लिपिकों द्वारा कार्य भी नहीं किया जा रहा है, इसलिए उनके पास अभी फाइल नहीं आ पायी है. उन्होंने मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के ग्रीष्म अवकाश के बाद करने का आग्रह किया है.

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