रांची: हजारीबाग नगर निगम में साफ-सफाई और मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने की मांग को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान हजारीबाग डीसी और हजारीबाग नगर आयुक्त गरिमा सिंह अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाजिर हुए. अदालत ने हजारीबाग नगर निगम की स्थिति की तस्वीर देख कर काफी नाराजगी व्यक्त की. कहा कि मूलभूत सुविधा नागरिकों का अधिकार है. जब आप नागरिक से होल्डिंग टैक्स लेंगे तो मूलभूत सुविधा देना होगा. अदालत ने 2 सप्ताह के भीतर नगर आयुक्त को हजारीबाग की व्यवस्था को दुरुस्त कर कोर्ट को अवगत कराने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी.
झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में इस मामले पर सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई के दौरान हजारीबाग डीसी और हजारीबाग नगर निगम के आयुक्त गरिमा सिंह उपस्थित हुई. अदालत ने नगर आयुक्त से यह जानना चाहा कि क्यों नहीं मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराया जा रहा है. जिस पर नगर आयुक्त ने बताया कि काम किया जा रहा है, साफ सुथरा भी होता है, लेकिन ठंड होने के कारण काम ठीक से नहीं हो पा रहा है. इस जवाब पर अदालत ने कड़ी नाराजगी व्यक्त की और कहा फंड जनरेट करना अधिकारी का काम है. जब होल्डिंग टैक्स लिया जाता है तब सुविधा क्यों नहीं दी जा रही है. जिस पर नगर आयुक्त की ओर से सकारात्मक जवाब पेश नहीं किया जा सका. कोर्ट ने नगर आयुक्त को कहा कि साफ सफाई जमीन पर दिखनी चाहिए कागज पर नहीं. अदालत ने हर हाल में 2 सप्ताह में हजारीबाग नगर निगम के अंदर गंदगी के अंबार को हटाने और कोर्ट को अवगत कराने का निर्देश दिया है.
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याचिकाकर्ता मिथिलेश दुबे ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. याचिका के माध्यम से हजारीबाग नगर निगम क्षेत्र में सड़क पर फैले कचरे सीवरेज ड्रेनेज और पानी की व्यवस्था को दुरुस्त करने की मांग की है. उन्होंने आरोप लगाया है कि नगर निगम होल्डिंग टैक्स लेता है. लेकिन मूलभूत सुविधा उपलब्ध नहीं कराया है. जिसके कारण सड़कों पर कचरे का अंबार लगा हुआ है. जिससे वहां के लोगों का जीना दुर्लभ हो गया है. याचिकाकर्ता ने संबंधित तस्वीर भी अदालत में पेश किया था. जिस पर अदालत ने डीसी और नगर आयुक्त को हाजिर होकर जवाब पेश करने को कहा था.