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राज्यसभा चुनाव 2010 में कथित हॉर्स ट्रेडिंग मामले पर सुनवाई, आरोपियों को सौंपे गए केस से संबंधित दस्तावेज - रांची की खबर

झारखंड राज्यसभा चुनाव 2010 में हॉर्स ट्रेडिंग को लेकर सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट के निर्देश पर सीबीआइ के द्वारा आरोपियों को केस से संबंधित दस्तावेज सौंपे गए.

CBI SPECIAL COURT
सीबीआई कोर्ट
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Published : May 11, 2022, 6:55 AM IST

रांची: झारखंड राज्यसभा चुनाव 2010 में कथित हॉर्स ट्रेडिंग मामले में सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत के निर्देश पर सीबीआइ के द्वारा आरोपियों को केस से संबंधित दस्तावेज सौंपा गया. इससे पहले 23 अप्रैल को हुई सुनवाई में विधायक उमाशंकर अकेला तत्कालीन विधायक राजेश रंजन और पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की ओर से अदालत को बताया गया था कि सीबीआई ने मामले से संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया है.अदालत से आग्रह किया गया था कि चार्ज फ्रेम की तिथि को बढ़ाया जाए. इस आग्रह को कोर्ट ने स्वीकार करते हुए सीबीआई को दस्तावेज उपलब्ध कराने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार (10 मई) को सभी को केस से जुड़े दस्तावेज सौंपे गए.

ये भी पढे़ं:- 2010 राज्यसभा चुनाव में कथित हॉर्स ट्रेडिंग मामले पर सुनवाई, सीबीआई को दस्तावेज उपलब्ध कराने का निर्देश

क्या है पूरा मामला: दरअसल 2010 में एक निजी टीवी चैनल के द्वारा राज्यसभा चुनाव के दौरान किए गए स्टिंग ऑपरेशन का प्रसारण किया गया था. जिसमें खुफिया कैमरे से रिकॉर्ड कर यह दिखाया गया था कि चुनाव में मत की कीमत के तौर पर झामुमो, कांग्रेस एवं भाजपा के विधायक ने 50 लाख से एक करोड़ रुपये की मांग की थी. मामले को लेकर निगरानी थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस केस को बाद में सीबीआई ने टेकओवर किया. इस मामले में नामजद दो विधायकों का निधन हो चुका है.

सीबीआई जांच का आदेश: राज्यसभा चुनाव के दौरान कथित गड़बड़ी सामने आने पर हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच का आदेश दिया था. जांच के बाद 2013 में अदालत में चार्जशीट दाखिल किया गया. अब उसी मामले में सुनवाई चल रही है.

रांची: झारखंड राज्यसभा चुनाव 2010 में कथित हॉर्स ट्रेडिंग मामले में सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान अदालत के निर्देश पर सीबीआइ के द्वारा आरोपियों को केस से संबंधित दस्तावेज सौंपा गया. इससे पहले 23 अप्रैल को हुई सुनवाई में विधायक उमाशंकर अकेला तत्कालीन विधायक राजेश रंजन और पूर्व मंत्री योगेंद्र साव की ओर से अदालत को बताया गया था कि सीबीआई ने मामले से संबंधित कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया है.अदालत से आग्रह किया गया था कि चार्ज फ्रेम की तिथि को बढ़ाया जाए. इस आग्रह को कोर्ट ने स्वीकार करते हुए सीबीआई को दस्तावेज उपलब्ध कराने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार (10 मई) को सभी को केस से जुड़े दस्तावेज सौंपे गए.

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क्या है पूरा मामला: दरअसल 2010 में एक निजी टीवी चैनल के द्वारा राज्यसभा चुनाव के दौरान किए गए स्टिंग ऑपरेशन का प्रसारण किया गया था. जिसमें खुफिया कैमरे से रिकॉर्ड कर यह दिखाया गया था कि चुनाव में मत की कीमत के तौर पर झामुमो, कांग्रेस एवं भाजपा के विधायक ने 50 लाख से एक करोड़ रुपये की मांग की थी. मामले को लेकर निगरानी थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. इस केस को बाद में सीबीआई ने टेकओवर किया. इस मामले में नामजद दो विधायकों का निधन हो चुका है.

सीबीआई जांच का आदेश: राज्यसभा चुनाव के दौरान कथित गड़बड़ी सामने आने पर हाईकोर्ट ने सीबीआई को जांच का आदेश दिया था. जांच के बाद 2013 में अदालत में चार्जशीट दाखिल किया गया. अब उसी मामले में सुनवाई चल रही है.

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