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सीवरेज-ड्रेनेज मामला: हाई कोर्ट में झारखंड सरकार ने दिया जवाब, फिर से निकालेंगे टेंडर

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Published : Feb 26, 2020, 8:37 PM IST

झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग के उप निदेशक ने शपथ पत्र के माध्यम से झारखंड हाई कोर्ट में जवाब दायर किया है. उन्होंने कहा है कि राजधानी रांची सहित देवघर, दुमका, पलामू, धनबाद में भी सीवरेज ड्रेनेज के लिए डीपीआर बनाने को लेकर टेंडर निकाला जाएगा. झारखंड हाई कोर्ट में मामले में दायर जनहित याचिका पर 28 फरवरी को सुनवाई होगी.

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झारखंड हाई कोर्ट

रांची: सीवरेज-ड्रेनेज का कार्य पूर्ण करने को लेकर अरविंद सिंह देओल ने जनहित याचिका दायर की है. इस याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग को जवाब पेश करने का आदेश दिया था. नगर विकास विभाग के उप निदेशक ने हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश किया है.

देखें पूरी खबर

कंपनी ने ठीक से नहीं किया काम

नगर विकास विभाग के उप निदेशक ने अपने जवाब में बताया है कि पहले राजधानी रांची में चल रहे पहले फेज के सीवरेज ड्रेनेज का काम ज्योति बिल्टेक और विभोर वैभव इंफ्रा नाम की कंपनी को दिया गया था. वह काम संतोषजनक ढंग से नहीं कर सका. उसे काम पूरा करने के लिए कई अवसर दिए गए, लेकिन उसने काम नहीं किया, जिसके बाद उसे हटा दिया गया है.

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नए सिरे से डीपीआर

विभाग ने वर्ष 2019 में टेंडर को रद्द कर दिया गया है. सरकार का कहना है कि समय सीमा के अंदर कंपनी ने काम नहीं किया. जबकि कंपनी का कहना है कि सरकार की ओर से जमीन अधिग्रहित कर कंपनी को नहीं दिया गया. विभाग की ओर से अपने शपथ पत्र में यह बताया गया है कि राजधानी रांची में सीवरेज ड्रेनेज के कार्य को लेकर नए सिरे से डीपीआर बनाकर कार्य शुरू किया जाएगा. जिसके लिए टेंडर शीघ्र ही निकाला जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि राजधानी रांची के अलावे उपराजधानी दुमका, देवघर, धनबाद में भी सीवरेज ड्रेनेज का डीपीआर बनाकर निर्माण किया जाएगा.

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28 फरवरी को अगली सुनवाई

बता दें कि पहले हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर होने के बाद कई बार सरकार को निर्माण पूर्ण करने के लिए आदेश देने के बाद केंद्र सरकार से राशि निर्गत की गई. राजधानी रांची में सीवरेज ड्रेनेज के कार्य को 4 फेज में बांट कर काम करने का निर्णय लिया गया. पहले फेज के ही काम में लगभग 4 वर्ष का समय बीत गया, लेकिन काम पूरा नहीं हो सका. वर्ष 2015 में सीवरेज ड्रेनेज का कार्य शुरू किया गया था. वर्ष 2017 में उस कार्य को पूरा होना था. विभाग ने कंपनी को एक वर्ष का अवधि विस्तार भी दिया, लेकिन कंपनी ने 2018 में भी काम पूरा नहीं किया. विभाग ने कंपनी को शो कॉज जारी करते हुए उसका टेंडर रद्द कर दिया. अब मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को झारखंड हाई कोर्ट में होनी है.

रांची: सीवरेज-ड्रेनेज का कार्य पूर्ण करने को लेकर अरविंद सिंह देओल ने जनहित याचिका दायर की है. इस याचिका पर सुनवाई के दौरान झारखंड हाई कोर्ट ने झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग को जवाब पेश करने का आदेश दिया था. नगर विकास विभाग के उप निदेशक ने हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में शपथ पत्र के माध्यम से जवाब पेश किया है.

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कंपनी ने ठीक से नहीं किया काम

नगर विकास विभाग के उप निदेशक ने अपने जवाब में बताया है कि पहले राजधानी रांची में चल रहे पहले फेज के सीवरेज ड्रेनेज का काम ज्योति बिल्टेक और विभोर वैभव इंफ्रा नाम की कंपनी को दिया गया था. वह काम संतोषजनक ढंग से नहीं कर सका. उसे काम पूरा करने के लिए कई अवसर दिए गए, लेकिन उसने काम नहीं किया, जिसके बाद उसे हटा दिया गया है.

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नए सिरे से डीपीआर

विभाग ने वर्ष 2019 में टेंडर को रद्द कर दिया गया है. सरकार का कहना है कि समय सीमा के अंदर कंपनी ने काम नहीं किया. जबकि कंपनी का कहना है कि सरकार की ओर से जमीन अधिग्रहित कर कंपनी को नहीं दिया गया. विभाग की ओर से अपने शपथ पत्र में यह बताया गया है कि राजधानी रांची में सीवरेज ड्रेनेज के कार्य को लेकर नए सिरे से डीपीआर बनाकर कार्य शुरू किया जाएगा. जिसके लिए टेंडर शीघ्र ही निकाला जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि राजधानी रांची के अलावे उपराजधानी दुमका, देवघर, धनबाद में भी सीवरेज ड्रेनेज का डीपीआर बनाकर निर्माण किया जाएगा.

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28 फरवरी को अगली सुनवाई

बता दें कि पहले हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर होने के बाद कई बार सरकार को निर्माण पूर्ण करने के लिए आदेश देने के बाद केंद्र सरकार से राशि निर्गत की गई. राजधानी रांची में सीवरेज ड्रेनेज के कार्य को 4 फेज में बांट कर काम करने का निर्णय लिया गया. पहले फेज के ही काम में लगभग 4 वर्ष का समय बीत गया, लेकिन काम पूरा नहीं हो सका. वर्ष 2015 में सीवरेज ड्रेनेज का कार्य शुरू किया गया था. वर्ष 2017 में उस कार्य को पूरा होना था. विभाग ने कंपनी को एक वर्ष का अवधि विस्तार भी दिया, लेकिन कंपनी ने 2018 में भी काम पूरा नहीं किया. विभाग ने कंपनी को शो कॉज जारी करते हुए उसका टेंडर रद्द कर दिया. अब मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को झारखंड हाई कोर्ट में होनी है.

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