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रिम्स में मरीज की मौत के बाद परिजनों से मारपीट मामले में HC ने लिया संज्ञान, अधिकारियों को फटकारते हुए मांगा जवाब

रिम्स में सोमवार को मरीज की मौत और परिजनों के साथ मारपीट मामले में हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है. वहीं स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी और रिम्स के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए 28 फरवरी तक जवाब मांगा है.

HC seeks response in RIMS assault case
मारपीट मामले में HC ने लिया संज्ञान
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Published : Feb 11, 2020, 8:57 PM IST

Updated : Feb 11, 2020, 9:46 PM IST

रांचीः राजधानी रांची के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में सोमवार को डॉक्टरों की लापरवाही से एक 17 वर्षीय लड़के की जान चली गई और उनके परिजनों से साथ दुर्व्यवहार और मारपीट भी की गई. मामले की खबर छपने के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी और रिम्स के अधिकारियों को तलब किया. अदालत ने स्वास्थ्य सचिव को 28 फरवरी तक मामले की जांच कर अदालत में जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है.

देखें पूरी खबर

मामले में मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले पर संज्ञान लेते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन को बुलाया. उन्हीं के माध्यम से स्वास्थ्य अधिकारी को शीघ्र अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया. स्वास्थ्य अधिकारी आनन-फानन में अदालत पहुंचे.

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सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि सीनियर डॉक्टर जूनियर डॉक्टर को प्रोटेक्शन देते हैं. प्रोटेक्शन देने की भी एक लिमिट होती है. समाज में शिक्षक और डॉक्टर का सम्मान है. इस तरह से डॉक्टर को व्यवहार नहीं करना चाहिए. अदालत ने मामले की 2 सप्ताह में जांच कर 28 फरवरी तक स्वास्थ्य सचिव को जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी.

बता दें कि सोमवार को रिम्स में गंभीर हालत में बोकारो के गोमिया का रहने वाला एक पेशेंट रिम्स पहुंचा था. जिसे देखने के लिए न कोई डॉक्टर था और न ही पारा मेडिकल स्टाफ. पेशेंट के परिजनों ने जब आवाज लगाई तो वहां के जूनियर डॉक्टर और गार्ड ने पेशेंट के परिजन से मारपीट की. मीडिया में खबर आने के बाद अदालत ने मामले में संज्ञान लिया है.

रांचीः राजधानी रांची के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में सोमवार को डॉक्टरों की लापरवाही से एक 17 वर्षीय लड़के की जान चली गई और उनके परिजनों से साथ दुर्व्यवहार और मारपीट भी की गई. मामले की खबर छपने के बाद झारखंड हाई कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी और रिम्स के अधिकारियों को तलब किया. अदालत ने स्वास्थ्य सचिव को 28 फरवरी तक मामले की जांच कर अदालत में जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है.

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मामले में मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले पर संज्ञान लेते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन को बुलाया. उन्हीं के माध्यम से स्वास्थ्य अधिकारी को शीघ्र अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया. स्वास्थ्य अधिकारी आनन-फानन में अदालत पहुंचे.

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सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि सीनियर डॉक्टर जूनियर डॉक्टर को प्रोटेक्शन देते हैं. प्रोटेक्शन देने की भी एक लिमिट होती है. समाज में शिक्षक और डॉक्टर का सम्मान है. इस तरह से डॉक्टर को व्यवहार नहीं करना चाहिए. अदालत ने मामले की 2 सप्ताह में जांच कर 28 फरवरी तक स्वास्थ्य सचिव को जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी.

बता दें कि सोमवार को रिम्स में गंभीर हालत में बोकारो के गोमिया का रहने वाला एक पेशेंट रिम्स पहुंचा था. जिसे देखने के लिए न कोई डॉक्टर था और न ही पारा मेडिकल स्टाफ. पेशेंट के परिजनों ने जब आवाज लगाई तो वहां के जूनियर डॉक्टर और गार्ड ने पेशेंट के परिजन से मारपीट की. मीडिया में खबर आने के बाद अदालत ने मामले में संज्ञान लिया है.

Intro:रिम्स में परिजन के साथ मारपीट मा मले पर हाईकोर्ट ने लिया स्वता संज्ञान, स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी और रिम्स के अधिकारियों को किया तलब

रांची
बाइट---आदित्य रमन अधिवक्ता झारखंड हाई कोर्ट

राजधानी रांची के रिम्स में सोमवार को एक गंभीर हालत के पेशेंट के परिजन के साथ मारपीट के मामले स्थानीय समाचार में आने पर झारखंड हाईकोर्ट ने स्वत संज्ञान लेते हुए, स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी और रिम्स के अधिकारियों को तलब किया। अदालत ने स्वास्थ्य सचिव को 28 फरवरी तक मामले की जांच कर अदालत में जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में मामले पर संज्ञान लेते हुए महाधिवक्ता राजीव रंजन को बुलाया। उन्हीं के माध्यम से स्वास्थ्य अधिकारी को शीघ्र अदालत में हाजिर होने का आदेश दिया। स्वास्थ्य अधिकारी आनन-फानन में अदालत पहुंचे।सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि सीनियर डॉक्टर जूनियर डॉक्टर को प्रोटेक्शन देते हैं। प्रोटेक्शन देने की भी एक लिमिट होती है। समाज में शिक्षक और डॉक्टर का सम्मान है। इस तरह से डॉक्टर को व्यवहार नहीं करना चाहिए। अदालत ने मामले की 2 सप्ताह में जांच कर 28 फरवरी तक स्वास्थ्य सचिव को जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है। मामले की अगली सुनवाई 28 फरवरी को होगी।
Body:बता दें कि सोमवार को रिम्स में गंभीर हालत में एक पेशेंट रिम्स पहुंचा था। जिसे देखने के लिए ना कोई डॉक्टर था। ना पारा मेडिकल स्टाफ था। ना कोई अन्य कर्मचारी ही वहां उपस्थित था। पेशेंट के परिजनों ने जब आवाज लगाई तो वहां के जूनियर डॉक्टर और गार्ड ने पेशेंट के परिजन से मारपीट की। यह समाचार स्थानीय समाचार माध्यम से सामने आया जिस पर अदालत ने संज्ञान लिया है।Conclusion:
Last Updated : Feb 11, 2020, 9:46 PM IST
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