रांचीः जनजातीय परामर्शदात्री परिषद यानी टीएसी के गठन में राज्यपाल की भूमिका खत्म किए जाने के मामले को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने गलत करार दिया है. उन्होंने कहा कि टीएसी का गठन संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत आता है, जिसके गठन में राजभवन की अहम भूमिका होती है. उन्होंने कहा कि इस मामले में कानूनी सलाह लेने के बाद कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ में टीएसी के गठन में राज्यपाल की भूमिका खत्म नहीं की गई है.
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अस्थिरता और विजन की कमी विकास में बाधक
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता और विजन की कमी के कारण इस राज्य का विकास नहीं हो पाया. जबकि पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में योजनाबद्ध तरीके से विकास का काम हुआ है. राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी राज्य का विकास करना चाहते हैं. उन्होंने पिछली मुलाकात में कई बिंदुओं पर चर्चा भी की थी. इस बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि वह राज्य के विकास में प्रोटोकॉल तोड़कर भी सहयोग करने को तैयार हैं.
उन्होंने कहा कि सीएनटी और एसपीटी एक्ट विकास में बाधक नहीं है. विकास के कार्यों को पूरा करने के लिए इच्छाशक्ति होनी चाहिए. कहीं भी कोई बाधा आने पर अगर उसको सुलझाने की कोशिश की जाएगी तो रास्ता जरूर निकलेगा. राज्यपाल ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि इतने वर्षों में रांची की ट्रैफिक समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. इसका समाधान सिर्फ सड़कों के चौड़ीकरण से नहीं होगा. इसके लिए विशेष योजना तैयार करनी होगी.
राज्यपाल ने कहा कि झारखंड प्राकृतिक संसाधनों से भरा पड़ा है. पर्यटन के क्षेत्र में इस राज्य में असीम संभावनाएं दिखती हैं. रांची जैसे जिले में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बहुत कुछ किया जा सकता है. यहां के छात्र आईएएस, आईपीएस तो बन रहे हैं लेकिन जो बाहर से पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हीं को सफलता मिल रही है. इसलिए रांची में उच्च शिक्षा पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.