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Shardiya Navratri 2022: मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की हो रही है पूजा, इन मंत्रों के उच्चारण से मिलेगा बेहतर फल

शारदीय नवरात्रि शुरू हो चुकी है. आज नवरात्रि का पहला दिन(first day of Shardiya Navratri 2022) है. आज मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा की जाती है. इनके पूजन से भय का नाश होता है.

Shardiya Navratri 2022
Shardiya Navratri 2022
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Published : Sep 26, 2022, 9:51 AM IST

Updated : Sep 26, 2022, 2:26 PM IST

रांची: आज से नवरात्रि की शुरुआत हुई (Shardiya Navratri 2022)है. अगले 9 दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी. आज मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री(Shailputri first form of Goddess Durga) की पूजा की जा रही है. मां के इस स्वरूप की पूजा करने से हर तर के डर से मुक्ति मिलती है और साहत मिलता है.



मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री (Shailputri first form of Goddess Durga)को लेकर रांची के प्रख्यात पंडित आचार्य जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि पुराणों के अनुसार हिमालय की पुत्री होने की वजह से उन्हें शैलपुत्री के रूप में जाना जाता है. शैलपुत्री को मां पार्वती के रूप में भी पूजा जाता है. पुराण के अनुसार माता सती के आत्मदाह के बाद शैलपुत्री का जन्म हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ. जिनका विवाह भगवान शिव से किया गया.

जानकारी देते पंडित जितेंद्र जी महाराज
मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री(Shailputri first form of Goddess Durga) की पूजा को लेकर पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि जो भक्त प्रथम स्वरूप की नियम पूर्वक पूजा करते हैं, उन्हे भय से मुक्ति मिलती है और साहस प्रदान होता है. पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि दुर्गा देवी के नौ स्वरूपों की पूजा उपासना बहुत ही विधि विधान से की जाती है.मां दुर्गा को सर्वप्रथम रूप शैलपुत्री(Shailputri first form of Goddess Durga) के रूप में पूजा जाता है. पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि मातृ पूजन के पहले स्वरूप शैलपुत्री के बारे में पौराणिक कहानियों के अनुसार यह बताया जाता है कि एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो उस यज्ञ में सारे देवी देवताओं को निमंत्रण दिया गया लेकिन भगवान शंकर को प्रजापति ने निमंत्रण नहीं दिया. जिससे मां पार्वती नाराज हो गई और उसी यज्ञ की अग्नि में खुद सती हो गई. अग्नि में समर्पित होने के बाद मां पार्वती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया. जिसके बाद भगवान शंकर से उनका विवाह किया गया. इसीलिए मां पार्वती को ही शैलपुत्री के रूप में जाना जाता है.
मां शैलपुत्री के पूजा की विधि: भगवती शैलपुत्री का लाल फूल, फल, सेब, अनार से अवश्य पूजन करें. इससे भगवती प्रसन्न होती हैं. मां शैलपुत्री को शाकंभरी भी कहते हैं. प्रथम दिन की पूजा से ही भगवती का आगमन हो जाता है. जितने श्रद्धा से आगमन पूजन सेवा करेंगे उतना ही नौ दिनों तक फल प्राप्त होगी. जिससे भगवती की कृपा सदा घर में बनी रहेगी.
मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री के लिए करें इन मंत्रों का उच्चारण:

ऊॅं देवी शैलपुत्र्यै नमः

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम: ऊॅं शं शैलपुत्री देव्यै: नम:

ऊॅं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ऊॅं शैलपुत्री देव्यै नम:

रांची: आज से नवरात्रि की शुरुआत हुई (Shardiya Navratri 2022)है. अगले 9 दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाएगी. आज मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री(Shailputri first form of Goddess Durga) की पूजा की जा रही है. मां के इस स्वरूप की पूजा करने से हर तर के डर से मुक्ति मिलती है और साहत मिलता है.



मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री (Shailputri first form of Goddess Durga)को लेकर रांची के प्रख्यात पंडित आचार्य जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि पुराणों के अनुसार हिमालय की पुत्री होने की वजह से उन्हें शैलपुत्री के रूप में जाना जाता है. शैलपुत्री को मां पार्वती के रूप में भी पूजा जाता है. पुराण के अनुसार माता सती के आत्मदाह के बाद शैलपुत्री का जन्म हिमालय की पुत्री के रूप में हुआ. जिनका विवाह भगवान शिव से किया गया.

जानकारी देते पंडित जितेंद्र जी महाराज
मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री(Shailputri first form of Goddess Durga) की पूजा को लेकर पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि जो भक्त प्रथम स्वरूप की नियम पूर्वक पूजा करते हैं, उन्हे भय से मुक्ति मिलती है और साहस प्रदान होता है. पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि दुर्गा देवी के नौ स्वरूपों की पूजा उपासना बहुत ही विधि विधान से की जाती है.मां दुर्गा को सर्वप्रथम रूप शैलपुत्री(Shailputri first form of Goddess Durga) के रूप में पूजा जाता है. पंडित जितेंद्र जी महाराज बताते हैं कि मातृ पूजन के पहले स्वरूप शैलपुत्री के बारे में पौराणिक कहानियों के अनुसार यह बताया जाता है कि एक बार जब प्रजापति ने यज्ञ किया तो उस यज्ञ में सारे देवी देवताओं को निमंत्रण दिया गया लेकिन भगवान शंकर को प्रजापति ने निमंत्रण नहीं दिया. जिससे मां पार्वती नाराज हो गई और उसी यज्ञ की अग्नि में खुद सती हो गई. अग्नि में समर्पित होने के बाद मां पार्वती ने हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया. जिसके बाद भगवान शंकर से उनका विवाह किया गया. इसीलिए मां पार्वती को ही शैलपुत्री के रूप में जाना जाता है.
मां शैलपुत्री के पूजा की विधि: भगवती शैलपुत्री का लाल फूल, फल, सेब, अनार से अवश्य पूजन करें. इससे भगवती प्रसन्न होती हैं. मां शैलपुत्री को शाकंभरी भी कहते हैं. प्रथम दिन की पूजा से ही भगवती का आगमन हो जाता है. जितने श्रद्धा से आगमन पूजन सेवा करेंगे उतना ही नौ दिनों तक फल प्राप्त होगी. जिससे भगवती की कृपा सदा घर में बनी रहेगी.
मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप शैलपुत्री के लिए करें इन मंत्रों का उच्चारण:

ऊॅं देवी शैलपुत्र्यै नमः

या देवी सर्वभूतेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै नमो नम: ऊॅं शं शैलपुत्री देव्यै: नम:

ऊॅं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे ऊॅं शैलपुत्री देव्यै नम:

Last Updated : Sep 26, 2022, 2:26 PM IST
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