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कोरोना मरीज के परिजनों के लिए मुसीबत बना लॉकडाउन, शाम होते ही परिजनों को नहीं मिल पाता खाना - रांची में लॉकडाउन

रांची में लॉकडाउन आफत बनकर सामने आ रही है. इसकी वजह से कोरोना मरीज के परिजन परेशान हैं. दोपहर के बाद तीमारदारों को कई बार एक वक्त का ही खाना नसीब हो पाता है.

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रिम्स डॉक्टर
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Published : May 23, 2021, 5:00 PM IST

रांची: राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में सबसे ज्यादा कोरोना के मरीजों का इलाज हो रहा है. जिस वजह से मरीजों के साथ-साथ परिजनों की भी संख्या सबसे ज्यादा भी रिम्स में देखी जाती है. जिस वजह से परिजनों को भोजन को लेकर आए दिन समस्या देखी जाती है.

जानकारी देते डॉक्टर

इसे भी पढ़ें- 90 फीसदी से ज्यादा रिकवरी रेट होना उत्साहवर्धक, लेकिन कोरोना से अभी जंग है जारीः हेमंत सोरेन


मरीजों के लिए तो रिम्स प्रबंधन की ओर से भोजन का इंतजाम किया जाता है. लेकिन परिजनों के लिए भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है. जिस वजह से परिजन भोजन को लेकर बाहर के होटलों के भरोसे रहते हैं. वह भी लॉकडाउन के कारण शाम होते ही बाहर के होटल भी बंद हो जाते हैं. ऐसे में कई बार परिजनों को भोजन भी नहीं मिल पाता.

अस्पताल और रैन बसेरा में बुनियादी सुविधाएं नहीं

परिजनों की माने तो सिर्फ भोजन ही नहीं बल्कि खाने-पीने के अलावा अस्पताल में कई अन्य तरह की परेशानियां भी होती है. हजारीबाग से अपने मरीज का इलाज कराने पहुंचे आर्यन गुप्ता बताते हैं कि मरीज का सेवा करने पहुंचे परिजनों के लिए अस्पताल में किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां तक की मरीजों के लिए शौचालय तक की व्यवस्था अच्छी नहीं है.

परिजन की बात करें तो रैन बसेरा में रहकर अपना समय काट रहे हैं. लेकिन रैन बसेरा में भी बुनियादी सुविधा की घोर कमी है. उन्होंने बताया कि दूसरी ओर राज्य में लॉकडाउन भी चल रहा है. जिस वजह से हम परिजनों को बाजार से भी खाना उपलब्ध समय पर नहीं हो पाता है. ऐसे में प्रबंधन को परिजनों के लिए भी भोजन का इंतजाम करना चाहिए.

मरीजों को मिलता है भोजन

ईटीवी भारत की टीम ने जब इसको लेकर रिम्स प्रबंधन के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. डीके सिन्हा से बात की. उन्होंने बताया कि अस्पताल की तरफ से मरीजों के भोजन का इंतजाम किया जाता है. जो परिजन दिनभर मरीज के साथ रहते हैं और उनके लिए बाहर से भोजन का इंतजाम करना मुश्किल है. वैसे कुछ एक परिजनों के लिए भी रिम्स प्रबंधन की ओर से भोजन का इंतजाम करा दिया जाता है.

इसे भी पढ़ें- रांची जिला प्रशासन की पहल, वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी

अस्पताल के बाहर के मरीजों को नहीं मिलता भोजन

जो मरीज अस्पताल से बाहर रहते हैं, उनके लिए भोजन का इंतजाम कराना अभी संभव नहीं हो पाया है. रिम्स में लगभग दो हजार मरीजों का खाना प्रतिदिन बनता है. इसके अलावा कोविड वार्ड में तैनात जो स्वास्थ्य कर्मी हैं, उन्हें भी भोजन रिम्स प्रबंधन की ओर से कराई जाती है. कई ऐसे परिजन है जो महीनों से अपने मरीज का इलाज करा रहे हैं और लॉकडाउन की वजह से दिन में एक बार ही भोजन खा पाते हैं. क्योंकि शाम होते ही लॉकडाउन चालू हो जाता है और सभी दुकानें बंद हो जाती हैं.

लॉकडाउन ने बढ़ाई मुसीबत

जो भी मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं, उसके साथ एक परिजन का रहना आवश्यक है. क्योंकि रिम्स में पर्याप्त मात्रा में स्वास्थ्य कर्मी नहीं हैं, जिस वजह से परिजनों का रहना आवश्यक है. राज्य में संक्रमण पर नियंत्रण पाने के लिए लॉकडाउन की भी अवधि चल रही है. जो परिजनों के लिए आफत बन गया है, क्योंकि लॉकडाउन में सड़क पर भी भोजन नहीं मिल रहा है. वहीं रिम्स प्रबंधन की ओर से भी कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं.

रांची: राजधानी के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में सबसे ज्यादा कोरोना के मरीजों का इलाज हो रहा है. जिस वजह से मरीजों के साथ-साथ परिजनों की भी संख्या सबसे ज्यादा भी रिम्स में देखी जाती है. जिस वजह से परिजनों को भोजन को लेकर आए दिन समस्या देखी जाती है.

जानकारी देते डॉक्टर

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मरीजों के लिए तो रिम्स प्रबंधन की ओर से भोजन का इंतजाम किया जाता है. लेकिन परिजनों के लिए भोजन की कोई व्यवस्था नहीं है. जिस वजह से परिजन भोजन को लेकर बाहर के होटलों के भरोसे रहते हैं. वह भी लॉकडाउन के कारण शाम होते ही बाहर के होटल भी बंद हो जाते हैं. ऐसे में कई बार परिजनों को भोजन भी नहीं मिल पाता.

अस्पताल और रैन बसेरा में बुनियादी सुविधाएं नहीं

परिजनों की माने तो सिर्फ भोजन ही नहीं बल्कि खाने-पीने के अलावा अस्पताल में कई अन्य तरह की परेशानियां भी होती है. हजारीबाग से अपने मरीज का इलाज कराने पहुंचे आर्यन गुप्ता बताते हैं कि मरीज का सेवा करने पहुंचे परिजनों के लिए अस्पताल में किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां तक की मरीजों के लिए शौचालय तक की व्यवस्था अच्छी नहीं है.

परिजन की बात करें तो रैन बसेरा में रहकर अपना समय काट रहे हैं. लेकिन रैन बसेरा में भी बुनियादी सुविधा की घोर कमी है. उन्होंने बताया कि दूसरी ओर राज्य में लॉकडाउन भी चल रहा है. जिस वजह से हम परिजनों को बाजार से भी खाना उपलब्ध समय पर नहीं हो पाता है. ऐसे में प्रबंधन को परिजनों के लिए भी भोजन का इंतजाम करना चाहिए.

मरीजों को मिलता है भोजन

ईटीवी भारत की टीम ने जब इसको लेकर रिम्स प्रबंधन के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. डीके सिन्हा से बात की. उन्होंने बताया कि अस्पताल की तरफ से मरीजों के भोजन का इंतजाम किया जाता है. जो परिजन दिनभर मरीज के साथ रहते हैं और उनके लिए बाहर से भोजन का इंतजाम करना मुश्किल है. वैसे कुछ एक परिजनों के लिए भी रिम्स प्रबंधन की ओर से भोजन का इंतजाम करा दिया जाता है.

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अस्पताल के बाहर के मरीजों को नहीं मिलता भोजन

जो मरीज अस्पताल से बाहर रहते हैं, उनके लिए भोजन का इंतजाम कराना अभी संभव नहीं हो पाया है. रिम्स में लगभग दो हजार मरीजों का खाना प्रतिदिन बनता है. इसके अलावा कोविड वार्ड में तैनात जो स्वास्थ्य कर्मी हैं, उन्हें भी भोजन रिम्स प्रबंधन की ओर से कराई जाती है. कई ऐसे परिजन है जो महीनों से अपने मरीज का इलाज करा रहे हैं और लॉकडाउन की वजह से दिन में एक बार ही भोजन खा पाते हैं. क्योंकि शाम होते ही लॉकडाउन चालू हो जाता है और सभी दुकानें बंद हो जाती हैं.

लॉकडाउन ने बढ़ाई मुसीबत

जो भी मरीज इलाज कराने पहुंचते हैं, उसके साथ एक परिजन का रहना आवश्यक है. क्योंकि रिम्स में पर्याप्त मात्रा में स्वास्थ्य कर्मी नहीं हैं, जिस वजह से परिजनों का रहना आवश्यक है. राज्य में संक्रमण पर नियंत्रण पाने के लिए लॉकडाउन की भी अवधि चल रही है. जो परिजनों के लिए आफत बन गया है, क्योंकि लॉकडाउन में सड़क पर भी भोजन नहीं मिल रहा है. वहीं रिम्स प्रबंधन की ओर से भी कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं.

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