रांची: सिविल कोर्ट की सुरक्षा को लेकर झारखंड हाईकोर्ट गंभीर है. तमाम सिविल कोर्ट के सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था करने को लेकर गृह सचिव सभी सिविल कोर्ट के चारदीवारी को बड़ा करने और कोर्ट परिसर में सीसीटीवी की व्यवस्था कराने का निर्देश दिया है. वहीं आधुनिक तरीके से सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था कराने का निर्देश भी दिया है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने रांची व्यवहार न्यायालय की पड़ताल की.
रांची व्यवहार न्यायालय अन्य सिविल कोर्ट से काफी अलग है क्योंकि इस न्यायालय में सीबीआई कोर्ट, ईडी कोर्ट और एनआईए कोर्ट के अलावा कई सिविल और क्रिमिनल कोर्ट हैं. इस लिहाज से रांची व्यवहार न्यायालय की सुरक्षा व्यवस्था कई मायने में अहम होती है. क्योंकि इस न्यायालय में कई तरह के विशेष न्यायालय हैं. जिसमें विशेष तरह की सुनवाई होती है. ऐसे में किसी तरह का अनहोनी ना हो या फिर कोई भी अपराधी न्यायालय से भाग न जाए इसको लेकर सुरक्षा की व्यापक इंतजाम की आवश्यकता होती है.
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बार काउंसिल के सदस्य संजय विद्रोही की मानें तो हाईकोर्ट के निर्देश के बाद रांची सिविल कोर्ट के परिसर में सीसीटीवी कैमरा लगाए जा रहे हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि न्यायालय परिसर के सुरक्षा के साथ-साथ जहां अधिवक्ता बैठते हैं उस बार एसोसिएशन परिसर की भी सुरक्षा व्यवस्था अति आवश्यक है. रांची सिविल कोर्ट परिसर में कई अन्य न्यायालय होने के कारण कई मामलों की सुनवाई इस कोर्ट में होती है. ऐसे में सुरक्षा के लिहाज से सीसीटीवी की व्यवस्था परिसर में की गई है.
'नहीं है पर्याप्त सीसीटीवी'
अधिवक्ता संजय कुमार की माने तो रांची सिविल कोर्ट में जितनी सुरक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए उतनी नहीं है. सीसीटीवी का मतलब है कि हर कोने से लोग सीसीटीवी के नजरो में आनी चाहिए, लेकिन शायद इतनी पर्याप्त मात्रा में सीसीटीवी के व्यवस्था नहीं की गई है.
हजारीबाग सिविल कोर्ट परिसर और जमशेदपुर सिविल कोर्ट में हत्या की घटना घटने के बाद झारखंड हाईकोर्ट में राज्य के सिविल कोर्ट की सुरक्षा को लेकर जनहित याचिका दायर की गई थी. अदालत के द्वारा उसी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गृह सचिव को सिविल कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर निर्देश दिया गया है.