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कभी 'लालटेन' की लौ से जगमग था पलामू प्रमंडल, अब 'कमल' की फैली है महक, कभी उठ नहीं सका 'तीर-धनुष' - Assembly Elections 2019

पलामू प्रमंडल में तीन जिले हैं, लातेहार, पलामू और गढ़वा. इन तीन जिलों में 9 विधानसभा सीट है. पलामू प्रमंडल में शुरू से ही आरजेडी का कब्जा रहा, लेकिन चुनाव दर चुनाव बीजेपी यहां अपना झंडा लहराने में सफल रही. वहीं जेएमएम इस प्रमंडल में आज तक एक भी सीट नहीं जीत पाया.

पलामू प्रमंडल
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Published : Nov 7, 2019, 1:43 PM IST

Updated : Nov 7, 2019, 7:02 PM IST

रांची: पलामू प्रमंडल में तीन जिले हैं, लातेहार, पलामू और गढ़वा. इन तीनों जिलों की भौगोलिक स्थिति झारखंड के अन्य जिलों से बिल्कुल मेल नहीं खाती. लातेहार जिले की सीमा छत्तीसगढ़ से लगती है. गढ़वा का कुछ भाग छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश से, जबकि पलामू जिले का कुछ क्षेत्र बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगता है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

ऐसे में जाहिर है कि पलामू प्रमंडल के तीनों जिलों में संबंधित राज्यों का प्रभाव पड़ेगा. तीनों जिलों के सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों का पड़ोसी राज्यों में आना-जाता होता है. इसका प्रभाव यहां की राजनीति पर भी दिखता रहा है. खास बात है कि कभी आरजेडी का गढ़ कहे जाने वाले पलामू से अब उसका अस्तित्व मिट चुका है. लालू यादव के जेल जाने के बाद तेजस्वी यादव फिर से पलामू के रास्ते झारखंड में अपना वजूद तलाशने में जुटे हैं.

आरजेडी का गढ़ कहलाता था पलामू प्रमंडल
2005 के चुनाव में लालू यादव की पार्टी आरजेडी के सात विधायक थे. इनमें से पांच विधायक पलामू प्रमंडल से ही जीतकर सदन पहुंचे थे. मनिका से रामचंद्र सिंह, लातेहार से प्रकाश राम, पलामू के पांकी से विदेश सिंह, विश्रामपुर से रामचंद्र चंद्रवंशी और गढ़वा से गिरिनाथ सिंह. शेष चार सीटों में से डालटनगंज में जेडीयू के इंदर सिंह नामधारी और छत्तरपुर में राधाकृष्ण किशोर की जीत हुई थी, जबकि हुसैनाबाद से एनसीपी के कमलेश सिंह और भवनाथपुर से निर्दलीय के तौर पर भानुप्रताप शाही जीते थे. उस दौर में बीजेपी, कांग्रेस और जेएमएम का खाता भी नहीं खुला था.

jharkhand assembly election, झारखंड विधानसभा चुनाव
विधानसभा चुनाव 2005 का रिपोर्ट

जेएमएम का नहीं खुला है खाता
आपको जानकर हैरानी होगी कि पलामू प्रमंडल की 9 सीटों में से एक भी सीट आज तक जेएमएम नहीं जीत सका है. झारखंड आंदोलन की हिमायती रही इस पार्टी को पलामू में कभी तवज्जो नहीं मिला. इसका मुख्य कारण गैर आदिवासी बहुल क्षेत्र और पड़ोसी राज्यों के प्रभाव को माना जाता है, लेकिन खास बात है कि आरजेडी को सिर आंखों पर बिठाने वाली इसी इलाके की जनता ने 2009 में आरजेडी को चित से ऐसा उतार फेंका कि 2014 के चुनाव में जीरो पर आउट हो गया. दरअसल, 2009 का चुनाव आते-आते आरजेडी की हालत पतली हो चुकी थी.

jharkhand assembly election, झारखंड विधानसभा चुनाव
विधानसभा चुनाव 2009 का रिपोर्ट

नौबत यह आ गई कि 2005 की एक भी सीटिंग सीट आरजेडी नहीं बचा पाया. किसी तरह हुसैनाबाद सीट पर आरजेडी प्रत्याशी संजय कुमार सिंह यादव की जीत हुई. उन्होंने महज 3563 वोट के अंतर से बीएसपी के प्रत्याशी कुशवाहा शिवपूजन मेहता को हराया. बाद में 2014 के चुनाव में शिवपूजन मेहता ने इस सीट पर कब्जा जमाकर झारखंड के इकलौते बीएसपी विधायक बन बैठे. 2009 में बीजेपी ने लातेहार में पैठ जमाते हुए आरजेडी की दोनों सीटें निकाल ले गयी.

jharkhand assembly election, झारखंड विधानसभा चुनाव
विधानसभा चुनाव 2014 का रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: राजा पीटर तमाड़ से लड़ेंगे चुनाव, NIA कोर्ट ने दी चुनाव में नामांकन दाखिल करने की मंजूरी
2014 में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी
पलामू में जिस पार्टी का 2005 के चुनाव में खाता भी नहीं खुला था वह 2009 के चुनाव में सीटें जीत गई. 2014 के चुनाव में बीजेपी ने पलामू प्रमंडल से आरजेडी का सुपड़ा साफ कर दिया. चार सीटें जीतकर बीजेपी यहां सबसे बड़ी पार्टी बन गई. फिलहाल, डालटनगंज से जेवीएम की टिकट पर चुनाव जीतने वाले आलोक चौरसिया के बीजेपी में आने के बाद पलामू में बीजेपी के पांच विधायक हो गए हैं. शेष चार सीटों में हुसैनाबाद में बसपा, पांकी में कांग्रेस, लातेहार में जेवीएम और भवनाथपुर में निर्दलीय का कब्जा है.

रांची: पलामू प्रमंडल में तीन जिले हैं, लातेहार, पलामू और गढ़वा. इन तीनों जिलों की भौगोलिक स्थिति झारखंड के अन्य जिलों से बिल्कुल मेल नहीं खाती. लातेहार जिले की सीमा छत्तीसगढ़ से लगती है. गढ़वा का कुछ भाग छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश से, जबकि पलामू जिले का कुछ क्षेत्र बिहार और उत्तर प्रदेश की सीमा से लगता है.

देखिए स्पेशल रिपोर्ट

ऐसे में जाहिर है कि पलामू प्रमंडल के तीनों जिलों में संबंधित राज्यों का प्रभाव पड़ेगा. तीनों जिलों के सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों का पड़ोसी राज्यों में आना-जाता होता है. इसका प्रभाव यहां की राजनीति पर भी दिखता रहा है. खास बात है कि कभी आरजेडी का गढ़ कहे जाने वाले पलामू से अब उसका अस्तित्व मिट चुका है. लालू यादव के जेल जाने के बाद तेजस्वी यादव फिर से पलामू के रास्ते झारखंड में अपना वजूद तलाशने में जुटे हैं.

आरजेडी का गढ़ कहलाता था पलामू प्रमंडल
2005 के चुनाव में लालू यादव की पार्टी आरजेडी के सात विधायक थे. इनमें से पांच विधायक पलामू प्रमंडल से ही जीतकर सदन पहुंचे थे. मनिका से रामचंद्र सिंह, लातेहार से प्रकाश राम, पलामू के पांकी से विदेश सिंह, विश्रामपुर से रामचंद्र चंद्रवंशी और गढ़वा से गिरिनाथ सिंह. शेष चार सीटों में से डालटनगंज में जेडीयू के इंदर सिंह नामधारी और छत्तरपुर में राधाकृष्ण किशोर की जीत हुई थी, जबकि हुसैनाबाद से एनसीपी के कमलेश सिंह और भवनाथपुर से निर्दलीय के तौर पर भानुप्रताप शाही जीते थे. उस दौर में बीजेपी, कांग्रेस और जेएमएम का खाता भी नहीं खुला था.

jharkhand assembly election, झारखंड विधानसभा चुनाव
विधानसभा चुनाव 2005 का रिपोर्ट

जेएमएम का नहीं खुला है खाता
आपको जानकर हैरानी होगी कि पलामू प्रमंडल की 9 सीटों में से एक भी सीट आज तक जेएमएम नहीं जीत सका है. झारखंड आंदोलन की हिमायती रही इस पार्टी को पलामू में कभी तवज्जो नहीं मिला. इसका मुख्य कारण गैर आदिवासी बहुल क्षेत्र और पड़ोसी राज्यों के प्रभाव को माना जाता है, लेकिन खास बात है कि आरजेडी को सिर आंखों पर बिठाने वाली इसी इलाके की जनता ने 2009 में आरजेडी को चित से ऐसा उतार फेंका कि 2014 के चुनाव में जीरो पर आउट हो गया. दरअसल, 2009 का चुनाव आते-आते आरजेडी की हालत पतली हो चुकी थी.

jharkhand assembly election, झारखंड विधानसभा चुनाव
विधानसभा चुनाव 2009 का रिपोर्ट

नौबत यह आ गई कि 2005 की एक भी सीटिंग सीट आरजेडी नहीं बचा पाया. किसी तरह हुसैनाबाद सीट पर आरजेडी प्रत्याशी संजय कुमार सिंह यादव की जीत हुई. उन्होंने महज 3563 वोट के अंतर से बीएसपी के प्रत्याशी कुशवाहा शिवपूजन मेहता को हराया. बाद में 2014 के चुनाव में शिवपूजन मेहता ने इस सीट पर कब्जा जमाकर झारखंड के इकलौते बीएसपी विधायक बन बैठे. 2009 में बीजेपी ने लातेहार में पैठ जमाते हुए आरजेडी की दोनों सीटें निकाल ले गयी.

jharkhand assembly election, झारखंड विधानसभा चुनाव
विधानसभा चुनाव 2014 का रिपोर्ट

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2014 में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी बीजेपी
पलामू में जिस पार्टी का 2005 के चुनाव में खाता भी नहीं खुला था वह 2009 के चुनाव में सीटें जीत गई. 2014 के चुनाव में बीजेपी ने पलामू प्रमंडल से आरजेडी का सुपड़ा साफ कर दिया. चार सीटें जीतकर बीजेपी यहां सबसे बड़ी पार्टी बन गई. फिलहाल, डालटनगंज से जेवीएम की टिकट पर चुनाव जीतने वाले आलोक चौरसिया के बीजेपी में आने के बाद पलामू में बीजेपी के पांच विधायक हो गए हैं. शेष चार सीटों में हुसैनाबाद में बसपा, पांकी में कांग्रेस, लातेहार में जेवीएम और भवनाथपुर में निर्दलीय का कब्जा है.

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Last Updated : Nov 7, 2019, 7:02 PM IST
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