रांची: एक तरफ राज्य में कोरोना संक्रमण चरम पर है. संक्रमित लोगों को अस्पताल में बेड तक नहीं मिल रहे. वहीं, दूसरी तरफ राज्य में मधुपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर सियासी पारा परवान चढ़ रहा है. संक्रमण के खतरे से बेखौफ होकर लोग नेताओं की चुनावी रैली में शामिल हो रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या जहां चुनाव होते हैं, वहां कोरोना वायरस का प्रवेश नहीं होता.
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झारखंड में कोरोना ने कहर बरपा रखा है. एक के बाद एक लोग संक्रमित होते जा रहे हैं. इलाज के लिए अस्पतालों में भटक रहे लोगों की परेशानी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बेड और समुचित इलाज के अभाव में लोग अस्पताल गेट पर ही दम तोड़ दे रहे हैं. इस संकट के बीच राज्य में 17 अप्रैल को मधुपुर विधानसभा उपचुनाव हो रहा है. कोरोना संक्रमण के खौफ से दूर नेताओं की चुनावी सभा चल रही है. इस सीट को जीतने के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष की सीधी जंग में मानों मधुपुर से कोरोना गायब कर दिया गया है. हालांकि मधुपुर से बाहर राज्य की सभी विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले लोगों का दर्द ही बताने के लिए काफी है कि यह वायरस कितना खतरनाक है. शायद यही वजह है कि सियासत के इन कद्रदानों पर अब लोग सवाल उठाने लगे हैं कि जब विधानसभा चुनाव होते है, तब क्या कोरोना वहां से भाग जाता है. चाहे वो बंगाल हो या मधुपुर या दूसरे राज्य.
कोरोना की सियासी चाल
कोरोना को लेकर सियासत भी गरम है. कांग्रेस ने कोरोना के समय हो रहे चुनाव पर बीजेपी को आड़े हाथ लेते हुए जमकर निशाना साधा है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सह राज्य सरकार के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने इसके लिए बीजेपी को जिम्मेदार मानते हुए कहा है कि कांग्रेस तो रामनवमी और सरहुल जुलूस तक पर पाबंदी लगा दी, मगर भाजपा शासित उत्तराखंड में कोरोना संकट के समय कुंभ का आयोजन कहां से उचित है.
क्या बंटी बबली ने कोरोनाकाल में कोई चुनाव प्रचार नहीं किया
इधर, कांग्रेस के आरोप पर बीजेपी ने पलटवार किया है. वरिष्ठ बीजेपी नेता और रांची विधायक सीपी सिंह ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा है कि कांग्रेस को अब जीत और हार से मतलब नहीं रहता. उसका तो साम्राज्य टूट रहा है. यह आरोप अगर सामान्य लोग लगाते, तो माना भी जा सकता है. कांग्रेस किस मुंह से बोल रही है. पहले कांग्रेस यह बताए कि बंटी और बबली ने क्या चुनाव प्रचार कोरोना के समय किया है या नहीं. उन्होंने कहा कि यह समझना चाहिए कि चुनाव का समय चुनाव आयोग ही निर्धारित करता है ना कि सरकार.
जनता तय करेगी प्रत्याशियों की किस्मत
बहरहाल कोरोना संकट के बीच मधुपुर की इस सियासी जंग का चुनाव प्रचार गुरुवार यानी 15 अप्रैल को समाप्त हो जायेगा. 17 अप्रैल सुबह 7 बजे से होने वाले मतदान में जनता प्रत्याशियों की किस्मत को तय करेगी, जिसका फैसला 2 मई को आखिरकार मतगणना के वक्त हो जाएगा.