रांची: शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने गुरुवार को अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान मंत्री ने अधिकारियों को कई निर्देश दिए. इसी के तहत शिक्षा मंत्री ने कहा कि कोविड-19 के इस दौर में शिक्षकों को रोस्टर पर स्कूल बुलाने से अच्छा होगा कि उन्हें गांव भेजकर बच्चों को शिक्षा देने के लिए अपील की जाए.
कोरना महामारी के दौर में सबसे ज्यादा शिक्षा व्यवस्था पर असर पड़ा है. स्कूल-कॉलेज पूरी तरह बंद है. पठन-पाठन की स्थिति काफी खराब है. नाम मात्र ऑनलाइन पठन-पाठन विभिन्न स्कूलों में करवाई जा रही है, लेकिन इसका समुचित फायदा विद्यार्थियों को नहीं मिल पा रहा है. कोविड-19 को लेकर शिक्षा व्यवस्था पर कई चुनौतियां हैं और इसी विषय को लेकर शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो विभाग के तमाम पदाधिकारियों के साथ वेबिनार के जरिए जुड़े थे. इस दौरान उन्होंने रोस्टर पर स्कूल बुलाने के बजाय शिक्षकों को पढ़ाने के लिए गांव भेजने पर जोर दिया है.
इसके साथ ही विभागीय अधिकारियों को शिक्षकों पर दबाव न बनाने का निर्देश भी दिया. शिक्षा मंत्री ने कहा है कि रोस्टर पर विद्यालय बुलाने का कोई लाभ बच्चों को नहीं मिलेगा. ऐसे में रोस्टर व्यवस्था समाप्त कर शिक्षकों को उनकी सुविधा के अनुरूप शिक्षण कार्य करने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था निकाले. उन्होंने कहा कि ऑनलाइन लर्निंग व्यवस्था सरकारी स्कूलों के लिए कारगर साबित नहीं हो रहा है. इसे देखते हुए कुछ अलग रास्ता निकालने की जरूरत है.
ऑनलाइन मैटेरियल्स मुहैया कराने में रांची फिसड्डी
सरकारी स्कूलों के बच्चों तक ऑनलाइन मैटेरियल्स मुहैया कराने में पूरे राज्य में रांची जिले की स्थिति काफी दयनीय है, जबकि झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद की ओर से लगातार बच्चों के पठन-पाठन संबंधित लर्निंग मैटेरियल्स भेजे जाने को लेकर निर्देश जारी किया जा रहा है. इसके बावजूद भी राज्य के मुख्यालय में ही यह स्थिति है. इसे लेकर क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशक ने चिंता भी व्यक्त की है. रांची में कुल बच्चों की संख्या 2 लाख 30 हजार 135 है, जबकि प्रश्नोत्तरी क्विज में मात्र 1987 बच्चे ही हिस्सा ले रहे हैं.
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अंगीभूत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई होंगे
यूजीसी के निर्देश के तहत अभिभूत कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई नहीं कराना है और इसी के तहत राज्य के कई कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई फिलहाल बंद है. विद्यार्थियों को इससे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अब चरणबद्ध तरीके से राज्य के इंटरमीडिएट कॉलेजों में इंटरमीडिएट की पढ़ाई बंद की जा सकती है. एकेडमिक काउंसिल की ओर से इसे लेकर एक कमेटी भी गठित की गई है. हालांकि, गठित कमेटी ही इस मामले पर फैसला लेगी और फैसले से संबंधित एक रिपोर्ट राज्य सरकार के उच्च शिक्षा विभाग को सौंपेगी.