रांची: विद्यालयों में खाद्य सुरक्षा भत्ता वितरण के सत्यापन के लिए प्रशासनिक समिति का गठन किया गया है, जो प्रत्येक माह कम से कम 10 से 15 विद्यालयों का भ्रमण कर खाद्य सुरक्षा भत्ता प्रतिपूर्ति का सत्यापन करेंगे. जिला शिक्षा अधीक्षक जिला स्तर पर माह में कम से कम 10 विद्यालयों का भ्रमण करेंगे और खाद्य सुरक्षा भत्ता के प्रतिपूर्ति का सत्यापन करेंगे. जबकि उप विकास आयुक्त कम से कम 2 विद्यालयों में खाद्य सुरक्षा भत्ता कr प्रतिपूर्ति का सत्यापन करेंगे.
प्रखंड स्तर पर जो कमेटी गठित की गई है. उनके सदस्य के तौर पर प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को अध्यक्ष, प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी सदस्य, प्रखंड कल्याण पदाधिकारी, कनीय अभियंता सदस्य और प्रखंड के प्रखंड संसाधन सेवी सदस्य होंगे. फिलहाल जांच रिपोर्ट को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के ईमेल आईडी में उपलब्ध कराएंगे.
निरीक्षण कर सौंपनी है रिपोर्ट
निरीक्षण के बाद अपनी रिपोर्ट में संबंधित अधिकारी को विद्यालय का नाम, कुल नामांकन, कुल कितने दिनों के लिए खाद्यान्न दिया गया है, कितने विद्यार्थियों को खाद्यान्न दिया गया है, वितरित खाद्यान्न की मात्रा, कुल कितने दिनों के लिए कुकिंग कॉस्ट दिया गया, वितरित कुकिंग कॉस्ट की राशि संबंधित जानकारी उपलब्ध करानी है.
कोविड के दौरान विशेष व्यवस्था का निर्देश
झारखंड राज्य मध्याह्न भोजन प्राधिकरण के निर्देश पर वित्तीय साल 2020 -21 में कोविड-19 महामारी के कारण राज्य के सभी विद्यालय बंद हैं. कक्षा एक से आठवीं तक के नामांकित विद्यार्थियों को गर्म पके हुए मध्याह्न भोजन की सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है. विद्यार्थियों को पोषण अनुसमर्थन प्रदान करने के दृष्टिकोण से पके हुए भोजन के स्थान पर खाद्य सुरक्षा भत्ता वितरण विद्यालय किया जा रहा है.
कई स्कूलों के प्राचार्य कार्रवाई के दायरे में
रांची जिला शिक्षा अधीक्षक ने चान्हो, बुढ़मू, रातू और लापुंग के प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि उनके प्रखंड के विद्यालय का वित्तीय अंकेक्षण नहीं हुआ है इसलिए ऑडिट नहीं कराने वाले दोषी प्रधानाध्यापक और प्रभारी प्रधानाध्यापक के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी. मध्याहन भोजन योजना अंतर्गत सरस्वती वाहनी संचालन समिति के बैंक खाता और अन्य अभिलेख का वित्तीय अंकेक्षण प्रधानाध्यापक के विरुद्ध कार्रवाई के लिए मांगी गई थी. जिसे कार्यालय में उपलब्ध नहीं कराया. जिला शिक्षा अधीक्षक नाराजगी व्यक्त की है.
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मध्याह्न भोजन को लेकर करानी थी ऑडिटिंग
प्रखंड के विद्यालय का वित्तीय साल 2015 -16 2016 -17 और 2017 -18 का वित्तीय अंकेक्षण नहीं हुआ है. 2 दिनों के अंदर चारों प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी से आवश्यक प्रतिवेदन मांगा गया है. 7 दिसंबर को ही संबंधित कागजात मांगे गए थे. एक माह बीत जाने के बाद में उपलब्ध नहीं कराया जा सका. ऐसे विद्यालयों की संख्या अच्छी खासी है, जिनके प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई होगी.