रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ उनके भाई बसंत सोरेन की मुश्किलें भी बढ़ती नजर आ रहीं हैं. बहुचर्चित ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में भारत निर्वाचन आयोग ने सीएम हेमंत सोरेन के बाद उनके भाई बसंत सोरेन से भी सदस्यता समाप्त करने के लिए स्पष्टीकरण मांगा है. गोड्डा सांसद निशिकांत दूबे ने ट्वीट कर पूरे मामले की जानकारी दी है.
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सीएम हेमंत सोरेन को जारी किया था नोटिस: इससे पहले भारत निर्वाचन आयोग ने झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को शोकॉज नोटिस भेजा था. खुद को पत्थर खदान खनन पट्टा आवंटित करने के मामले में भेजे गए नोटिस में भारत निर्वाचन आयोग ने पूछा था कि इस मामले में कार्रवाई क्यों न की जाए. निर्वाचन आयोग के नोटिस में कहा गया था कि प्रथम दृष्टया आपकी ओर से किया गया कार्य आरपी एक्ट की धारा 9A का उल्लंघन करता प्रतीत होता है. यह धारा जन प्रतिनिधि की अयोग्यता से संबंधित है.
क्या है पूरा मामला: इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने फरवरी में राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर शिकायत की थी कि सीएम के पद पर रखते हुए जेएमएम कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने माइनिंग लीज ली है. पाकुड़िया के ग्रैंड माइनिंग कंपनी में बसंत सोरेन की भागीदारी का आरोप लगाते हुए जांच कराने की मांग की थी. इसपर राज्यपाल ने धारा 191 और 192 के तहत अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए शिकायती पत्र को चुनाव आयोग के पास भेजा था. इसके बाद चुनाव आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव से खदान लीज आवंटन रिपोर्ट मांगी थी. चुनाव आयोग द्वारा बसंत सोरेन को भेजे गये नोटिस पर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि संवैधानिक संस्था अपना काम कर रही है. यदि दोषी पाये जाते हैं तो निश्चित रुप से विधिसम्मत कार्रवाई होनी चाहिए.