रांचीः राजधानी रांची में बुधवार को स्कूल बस में आग लग गई. इस घटना के बाद गुरुवार को जिला प्रशासन हरकत में आया और स्कूली बसों की जांच शुरू कर दी, ताकि बस में बच्चे सुरक्षित सफर कर सके. डीटीओ प्रवीण प्रकाश ने अपनी टीम के साथ 50 से अधिक स्कूली बसों की जांच की. अभियान के दौरान एक-एक स्कूली बसों की परमिट, फायर सेफ्टी, फिटनेस, इंश्योरेंस, स्पीड गवर्नर और अन्य दस्तावेजों की चैकिंग के साथ ही आपातकालीन खिड़की और फस्ट एड बाॅक्स को भी चेक किया.
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गुरुवार को 50 से अधिक स्कूल बसों की चेकिंग की गई. चेकिंग के दौरान कई बसों में खामियां मिली है. खासकर, किसी में फर्स्ट एड का बॉक्स नियम मुताबिक नहीं मिला. बस में फर्स्ट एड बॉक्स था तो दवाइयां एक्सपायर थी. कई बसों में फायर सेफ्टी के सिस्टम खराब थे. इतना ही नहीं, कई बस 15 साल से ज्यादा पुरानी मिली. डीटीओ प्रवीण प्रकाश ने बताया कि जिन बसों में खामियां मिली, उन्हें दस्तावेज सुधारने का एक सप्ताह का समय दिया है. एक सफ्ताह बाद कभी भी उन बसों का औचक निरीक्षण किया जा सकता है.
स्कूल बसों की चेकिंग के दौरान डीटीओ खुद बसों के अंदर गए और नियमानुसार एक-एक चीज का जायजा लिया. इस दौरान बच्चों से भी बातचीत की और समस्या जानने की कोशिश की. सुप्रीम कोर्ट के गाइडलाइन के अनुसार प्रत्येक बस में सीसीटीवी लगाना अनिवार्य है. लेकिन रांची के अधिकांश स्कूल बस में चेकिंग के दौरान सीसीटीवी लगा नहीं मिला. डीटीओ ने स्कूल प्रबंधन को निर्देश दिया है कि बसों में सीसीटीवी लगा लें, अन्यथा कार्रवाई की जाएगी.
डीटीओ प्रवीण प्रकाश ने बताया कि कोरोना संक्रमण की वजह से 2 साल तक बसों का परिचालन नहींं हो पाया था. फिटनेस सर्टिफिकेट दुरुस्त करवाने को लेकर पहले नोटिस भेजा गया है. इसके बावजूद बिना फिटनेस लिए बसों का परिचालन कराया जा रहा है तो बसों के संचालक पर कार्रवाई की जाएगी. बता दें कि गाइडलाइन के अनुसार स्कूल बस का रंग, संस्था का नाम, चालक व परिचालक का दूरभाष नंबर, प्राथमिक उपचार पेटी, अग्निशमन यंत्र, स्पीड गवर्नर, खिड़की में जाली, डोर लॉक, सीसीटीवी कैमरा, लाइसेंस, वाहन का मॉडल, परमिट, फिटनेस, मोटरयान कर, बीमा, सीट के नीचे बैग रखने की जगह और इमरजेंसी गेट की व्यवस्थ सुनिश्चित करना अनिवार्य है.