रांची: झारखंड सरकार की ओर से स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने की दावा किया जा रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. सिर्फ स्वास्थ्य विभाग के फाइलों में ही बेहतर व्यवस्था दिख रही है. स्थिति यह है कि राज्य की 108 एंबुलेंस सेवा ठप होने के कगार पर हैं. एंबुलेंस चालकों और टेक्नीशियनों को वेतन नहीं मिलने की वजह से आर्थिक संकट से जूझने लगे हैं और काम छोड़ दूसरे कार्य की तलाश में जुट गए हैं.
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किसी राज्य के स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने में एंबुलेंस सेवा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, लेकिन झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने वाली एंबुलेंस का चक्का कभी भी जाम हो सकती हैं. 108 एंबुलेंस में काम करने वाले कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा है. चार माह से वेतन बकाया है. इससे भुखमरी की स्थिति बन गई है.
108 एंबुलेंस में कार्यरत कर्मियों की संख्या दो हजार से अधिक है. इन सभी कर्मियों को वेतन नहीं मिल रहा है. एंबुलेंस चालक ने बताया कि चार महीने से वेतन नहीं मिला है और आर्थिक तंगी की वजह से गांव जाने को मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि वे घर जाकर खेती करेंगे, ताकि परिवार का भरण पोषण कर सके. इसके अलावा उन्होंने ये भी चेतावनी दी कि शीघ्र बकाया वेतन का भुगतान नहीं किया गया तो सभी कर्मचारी काम छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे.
एंबुलेंस चालक ने बताया कि एक चालक को प्रति माह 10 से 11 हजार रुपये मिलते हैं. इसमें परिवार चलाना पड़ता है. उन्होंने कहा कि 10 दिनों के भीतर वेतन नहीं मिला तो राज्य में 108 एंबुलेंस का चक्का जाम कर दिया जाएगा. इसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ सरकार की होगी. 108 एंबुलेंस के स्टेट हेड मिल्टन सिंह ने कहा कि चालकों और टेक्नीशियनओं की परेशानी को देखते हुए सरकार से लगातार बात कर रहे हैं. उन्होंने ने कहा कि 10 दिनों के अंदर वेतन भुगतान कर दिया जाएगा.