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कोरोना ने इस दीपावली को बना दिया अलग! डर के साये में दीपावली मनाने को लोग मजबूर

रिम्स के चिकित्सक डॉ निसित एक्का ने बताया कि ऐसे तो कोरोना का स्मोक और बढ़ते प्रदूषण से ज्यादा लेना-देना नहीं है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से कहीं ना कहीं दिवाली में होने वाली आतिशबाजी से निकला हुआ जहरीला धुआं कोरोना के मरीजों को प्रभावित कर सकता है.

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डर के साये में दीपावली मनाने को लोग मजबूर
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Published : Nov 13, 2020, 10:25 PM IST

Updated : Nov 13, 2020, 10:38 PM IST

रांची: इस बार की दिवाली पर लोग जहां उत्साहित दिख रहे हैं तो कुछ लोग डरे सहमें भी हैं. इसकी एक मात्र वजह वैश्विक महामारी कोरोना वायरस है. देश-विदेश के वरिष्ठ चिकित्सकों और वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया है कि ठंड के मौसम और दिवाली के समय कोरोना वायरस की मार बढ़ सकती है. क्योंकि कोरोना वायरस मुख्य रूप से मनुष्य के फेफड़े को डैमेज करता है. वहीं, दीपावली में होने वाली आतिशबाजी से भी भारी मात्रा में धुआं और कई तरह के केमिकल भी मनुष्य के फेफड़े को हानि पहुंचाते हैं. ऐसे में यह दिवाली लोगों को काफी डरा रही है.

देखें पूरी खबर
रिम्स के चिकित्सक डॉ निसित एक्का ने बताया कि ऐसे तो कोरोना का स्मोक और बढ़ते प्रदूषण से ज्यादा लेना-देना नहीं है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से कहीं ना कहीं दिवाली में होने वाली आतिशबाजी से निकला हुआ जहरीला धुआं कोरोना के मरीजों को प्रभावित कर सकता है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कोरोना मनुष्य के फेफड़े को कमजोर करता है, उसी प्रकार दीपावली में होने वाली आतिशबाजी से निकलने वाला जहरीला धुआं भी मनुष्य के फेफड़े के लिए घातक है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना के मरीजों के लिए दीपावली में होने वाली आतिशबाजी से निकलने वाला जहरीला धुआं काफी खतरनाक है.ये भी पढ़ें- जामताड़ा में प्रदूषण नियंत्रण परिषद के आदेश का हो रहा उल्लंघन, बैन पटाखों की हो रही खुलेआम बिक्री


वहीं, राज अस्पताल के संचालक योगेश गंभीर बताते हैं कि जिस प्रकार से दिल्ली और राज्य के अन्य प्रदेशों में सेकंड वेव देखने को मिली. उसी प्रकार झारखंड में भी कोरोना का सेकेंड वेव आने से कोरोना का प्रकोप बढ़ सकता है.इसीलिए लोगों को कोरोना के संक्रमण पर नियंत्रण करने के लिए पटाखों से दूरी बनानी होगी.

पटाखों में इन खतरनाक रसायनों का होता है प्रयोग

चिकित्सकों के मुताबिक पटाखों में जिन रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है वह बेहद खतरनाक है. कॉपर, कैडियम, लेड, मैग्नेशियम, सोडियम, जिंक, नाइट्रेट और नाइट्राइट जैसे रसायन का मिश्रण पटाखों को घातक बना देता है. इससे 125 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि होती है. अचानक इन पटाखों से फटने से आदमी कुछ पल के लिए बहरा हो जाता है. कई बार पीड़ित स्थायी रूप से भी बहरा हो जाता है. पटाखों से निकली चिंगारी से हर साल सैंकड़ों लोगों की आंखें और चेहरे जख्मी हो जाते हैं. सांस की बीमारी तो होती ही है. ऐसे समय में दमे के रोगी की भी परेशानी बढ़ जाती है.

डॉक्टरों के मुताबिक, पटाखों से आम जन ही नहीं घरों और अस्पतालों में मरीजों और वृद्धों को भी काफी परेशानी होती है. पालतू पशु-पक्षियों की हालत और खराब होती है. मनुष्यों की श्वास नली में रुकावट, गुर्दे में खराबी और त्वचा संबंधी बीमारियां हो जाती हैं. इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक का भी खतरा रहता है. मानसिक अशांति और घबराहट के साथ कई बार नर्वस सिस्टम भी गड़बड़ा जाता है.

वहीं राजधानी निवासी गौरीशंकर बताते हैं कि इस बार का दिवाली कहीं ना कहीं लोगों को डरा रही है. खासकर वृद्ध और बुजुर्ग लोगों के लिए लोग ज्यादा परेशान हैं. गौरीशंकर बताते हैं कि प्रदूषण तो हर वर्ष बढ़ता है लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण बढ़ रहा प्रदूषण घरों के बुजुर्गों को परेशान कर सकता है. इसीलिए बच्चों के लिए बाजार से सिर्फ और सिर्फ ग्रीन पटाखे खरीद रहे हैं, ताकि इस बार दीपावली में आतिशबाजी से निकलने वाली जहरीली हवा पर नियंत्रण किया जा सके.

राजधानी के रहने वाले रंजन कुमार बताते हैं कि जिस प्रकार हर वर्ष दीपावली को धूमधाम से मनाते थे, उस प्रकार इस वर्ष नहीं मना पा रहे हैं क्योंकि दीपावली में होने वाली आतिशबाजी से निकलने वाला जहरीला धुआं से डर हैं. इसीलिए इस वर्ष यह दीपावली काफी अलग मानाई जा रही है. क्योंकि कोरोना के कारण लोग डरे और सहमे हैं.

रांची: इस बार की दिवाली पर लोग जहां उत्साहित दिख रहे हैं तो कुछ लोग डरे सहमें भी हैं. इसकी एक मात्र वजह वैश्विक महामारी कोरोना वायरस है. देश-विदेश के वरिष्ठ चिकित्सकों और वैज्ञानिकों ने यह अनुमान लगाया है कि ठंड के मौसम और दिवाली के समय कोरोना वायरस की मार बढ़ सकती है. क्योंकि कोरोना वायरस मुख्य रूप से मनुष्य के फेफड़े को डैमेज करता है. वहीं, दीपावली में होने वाली आतिशबाजी से भी भारी मात्रा में धुआं और कई तरह के केमिकल भी मनुष्य के फेफड़े को हानि पहुंचाते हैं. ऐसे में यह दिवाली लोगों को काफी डरा रही है.

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रिम्स के चिकित्सक डॉ निसित एक्का ने बताया कि ऐसे तो कोरोना का स्मोक और बढ़ते प्रदूषण से ज्यादा लेना-देना नहीं है, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से कहीं ना कहीं दिवाली में होने वाली आतिशबाजी से निकला हुआ जहरीला धुआं कोरोना के मरीजों को प्रभावित कर सकता है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार कोरोना मनुष्य के फेफड़े को कमजोर करता है, उसी प्रकार दीपावली में होने वाली आतिशबाजी से निकलने वाला जहरीला धुआं भी मनुष्य के फेफड़े के लिए घातक है. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना के मरीजों के लिए दीपावली में होने वाली आतिशबाजी से निकलने वाला जहरीला धुआं काफी खतरनाक है.ये भी पढ़ें- जामताड़ा में प्रदूषण नियंत्रण परिषद के आदेश का हो रहा उल्लंघन, बैन पटाखों की हो रही खुलेआम बिक्री


वहीं, राज अस्पताल के संचालक योगेश गंभीर बताते हैं कि जिस प्रकार से दिल्ली और राज्य के अन्य प्रदेशों में सेकंड वेव देखने को मिली. उसी प्रकार झारखंड में भी कोरोना का सेकेंड वेव आने से कोरोना का प्रकोप बढ़ सकता है.इसीलिए लोगों को कोरोना के संक्रमण पर नियंत्रण करने के लिए पटाखों से दूरी बनानी होगी.

पटाखों में इन खतरनाक रसायनों का होता है प्रयोग

चिकित्सकों के मुताबिक पटाखों में जिन रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है वह बेहद खतरनाक है. कॉपर, कैडियम, लेड, मैग्नेशियम, सोडियम, जिंक, नाइट्रेट और नाइट्राइट जैसे रसायन का मिश्रण पटाखों को घातक बना देता है. इससे 125 डेसिबल से ज्यादा ध्वनि होती है. अचानक इन पटाखों से फटने से आदमी कुछ पल के लिए बहरा हो जाता है. कई बार पीड़ित स्थायी रूप से भी बहरा हो जाता है. पटाखों से निकली चिंगारी से हर साल सैंकड़ों लोगों की आंखें और चेहरे जख्मी हो जाते हैं. सांस की बीमारी तो होती ही है. ऐसे समय में दमे के रोगी की भी परेशानी बढ़ जाती है.

डॉक्टरों के मुताबिक, पटाखों से आम जन ही नहीं घरों और अस्पतालों में मरीजों और वृद्धों को भी काफी परेशानी होती है. पालतू पशु-पक्षियों की हालत और खराब होती है. मनुष्यों की श्वास नली में रुकावट, गुर्दे में खराबी और त्वचा संबंधी बीमारियां हो जाती हैं. इसके अलावा हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक का भी खतरा रहता है. मानसिक अशांति और घबराहट के साथ कई बार नर्वस सिस्टम भी गड़बड़ा जाता है.

वहीं राजधानी निवासी गौरीशंकर बताते हैं कि इस बार का दिवाली कहीं ना कहीं लोगों को डरा रही है. खासकर वृद्ध और बुजुर्ग लोगों के लिए लोग ज्यादा परेशान हैं. गौरीशंकर बताते हैं कि प्रदूषण तो हर वर्ष बढ़ता है लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण बढ़ रहा प्रदूषण घरों के बुजुर्गों को परेशान कर सकता है. इसीलिए बच्चों के लिए बाजार से सिर्फ और सिर्फ ग्रीन पटाखे खरीद रहे हैं, ताकि इस बार दीपावली में आतिशबाजी से निकलने वाली जहरीली हवा पर नियंत्रण किया जा सके.

राजधानी के रहने वाले रंजन कुमार बताते हैं कि जिस प्रकार हर वर्ष दीपावली को धूमधाम से मनाते थे, उस प्रकार इस वर्ष नहीं मना पा रहे हैं क्योंकि दीपावली में होने वाली आतिशबाजी से निकलने वाला जहरीला धुआं से डर हैं. इसीलिए इस वर्ष यह दीपावली काफी अलग मानाई जा रही है. क्योंकि कोरोना के कारण लोग डरे और सहमे हैं.

Last Updated : Nov 13, 2020, 10:38 PM IST
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