रांची: झारखंड सरकार अपने भवन निर्माण विभाग, ग्रामीण विकास विभाग और सड़क निर्माण विभाग समेत अन्य विभागों में टेंडर की विसंगतियों को लेकर गहन जांच कराने जा रही है. मुख्य सचिव डीके तिवारी ने बुधवार को बताया कि शेड्यूल ऑफ रेट के कंसेप्ट की शुरुआत से लेकर अब तक जिन विभागों में कार्य कराए गए है, उनके सैंपल जांच कराने का निर्देश दिया है.
उन्होंने बताया कि 1 अप्रैल 2016 से शेड्यूल ऑफ रेट के कांसेप्ट की शुरुआत हुई थी. उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग, भवन निर्माण और सड़क निर्माण में उनके जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है. जिसकी अध्यक्षता विकास आयुक्त कर रहे हैं. उस कमेटी में अन्य विभागों के सचिव भी शामिल है. साथ ही उन्हें तकनीकी सहायता के लिए तकनीकी वरीय पदाधिकारियों की मदद लेने का भी निर्देश दिया गया है.
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उन्होंने बताया कि सैंपल जांच के बाद जो बात सामने आएगी और जो बड़े मामले सामने आएंगे उन्हें गहनता से देखा जाएगा. उन्होंने कहा कि अन्य विभागों के लिए सभी सचिवों को भी कहा गया है कि उनके कार्य की जांच के लिए एक समिति बनाई जाएगी. सभी कार्य विभाग में इस तरह की समस्या है तो उस उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
डीके तिवारी ने बताया की अभी हाल में ही सड़क निर्माण विभाग के अभियंता प्रमुख समेत कुछ कनीय अभियंताओं के खिलाफ कार्रवाई की गई है. वहीं, ट्रेजरी से पैसों की निकासी के संबंध में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि दरअसल राज्य सरकार एक श्वेत पत्र जारी करने जा रही है. इस बाबत उसकी प्रक्रिया चल रही हैं. मुख्य सचिव ने बताया कि कुछ ऐसे मामले में सामने आया जिसमें फर्जी कागजातों के जरिए टेंडर कर दिया गया और पैसे भी एजेंसी को दे दिए गए. जबकि वैसा कोई टेंडर सरकार ने निकाला ही नहीं था.