रांचीः मेयर आशा लकड़ा के अमर्यादित बयान का हवाला देते हुए रांची नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने गुरुवार को विरोध जताते हुए एक दिन का पेन डाउन स्ट्राइक किया. इस वजह से निगम का काम काज प्रभावित हुआ तो कहीं न कहीं निगम में चल रही राजनीतिक सरगर्मी की आंच अब काम पर भी पड़ने लगा है.
इसे भी पढ़ें- RMC: मेयर की बैठक से दूर रहे अधिकारी, नगर आयुक्त पर लगाया गंभीर आरोप
विपक्ष की भाजपा पार्टी की मेयर आशा लकड़ा का कहना है कि सरकार के इशारे पर नगर आयुक्त काम कर रहे हैं और नगर आयुक्त के दबाव में ही अधिकारियों ने स्ट्राइक किया है, वैसे अधिकारी मेयर के खिलाफ नहीं है. इसको लेकर सत्ताधारी दल कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा है कि जब भी ईमानदार अधिकारी आते हैं तो मेयर की उनसे अनबन होती है, क्योंकि मेयर का कमीशन बंद हो जाता है.
रांची नगर निगम में मुकेश कुमार के नगर आयुक्त बनने और टैक्स कलेक्शन करने वाले नई एजेंसी आने के बाद से ही शहर की मेयर आशा लकड़ा ने विरोध जताना शुरू कर दिया. आलम यह है कि इस विरोध की वजह से रांची नगर निगम राजनीतिक का अड्डा बन गया. विपक्ष की भारतीय जनता पार्टी की मेयर और सत्ताधारी दल की ओर से नियुक्त नगर आयुक्त के बीच समन्वय नहीं बनने की वजह से लगातार शहर के विकास कार्य प्रभावित हो रहा हैं.
इसके अलावा निगम में सियासत की वजह से आम जनता का कार्य भी प्रभावित होना शुरू हो गया है. एक तरफ कोरोना काल में जनता हलकान थी और उनका काम नहीं हो रहा था. वहीं अब मेयर और नगर आयुक्त के बीच के विवाद की वजह से रांची नगर निगम के पदाधिकारी और कर्मचारी भी स्ट्राइक करने लगे हैं.
इसे भी पढ़ें- रांचीः मेयर ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र, नगर आयुक्त पर लगाया मनमानी करने का आरोप
रांची नगर निगम में हो रही राजनीति को लेकर सत्ताधारी दल कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि मेयर को अपने पद की गरिमा पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि नगर आयुक्त से उनकी अनबन हुई है. बल्कि इससे पहले भी जितने नगर आयुक्त आए हैं, उनसे मेयर की नहीं बनी है. उन्होंने साफ तौर पर कहा कि मेयर का कमीशन बंद हो गया है, इस लिए वो अनर्गल बयानबाजी कर रही हैं और राजनीति कर रही हैं.
राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नगर विकास मंत्री भी हैं. ऐसे में मेयर आशा लकड़ा ने मुख्यमंत्री पर हमला किया है. उन्होंने कहा कि उनकी ओर से चार समीक्षा बैठक बुलाई गई. लेकिन बैठक में कोई अधिकारी उपस्थित नहीं हुए, इससे पता चलता है कि कहीं ना कहीं झारखंड में अफसरशाही हावी है. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन की सरकार हर तरफ से नाकाम नजर आ रही है, उन्हें नगर निगम से डर हो गया है. इसी डर के नाते विधानसभा में बिल पारित किया है कि तीन बैठक में मेयर नहीं आएंगी तो उन्हें हटा दिया जाएगा.
उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि अगर नगर निगम में मेयर की ओर से बैठक बुलाया जाए और अधिकारी उपस्थित ना हो तो उनके लिए क्या नियम बनाया गया है. मुख्यमंत्री जन प्रतिनिधि हैं और दूसरे जनप्रतिनिधि के खिलाफ जनविरोधी काम कर रहे हैं, दोनों पलड़ा एक समान होना चाहिए. उन्होंने कहा कि मेयर की बैठक में भी जब पदाधिकारी नहीं आए तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए और इसके लिए भी कानून बनाया जाना चाहिए
इसे भी पढ़ें- कांग्रेस ने रांची की मेयर पर लगाया आरोप, कहा- करोड़ों आवंटन के बाद भी पैसों का रो रहीं रोना
मेयर ने कहा कि नगर आयुक्त मुकेश कुमार संविधान को नकार रहे हैं, जहां पर जनप्रतिनिधि होते हैं, अगर वह बैठक बुलाते हैं तो वहां अधिकारी को आना चाहिए. इससे ऐसा लगता है कि कहीं ना कहीं अधिकारी काम करना नहीं चाहते हैं, वह सरकार के एक एजेंट बनकर काम कर रहे है. उन्होंने कहा कि सरकार के इशारे पर नगर आयुक्त काम कर रहे हैं, नगर आयुक्त अपनी गलतियों को छुपाने के लिए लोगों को उकसा रहे हैं और अधिकारियों कर्मचारियों पर उनकी ओर से दबाव बनाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि किसी भी अधिकारी की मंशा नहीं है कि वह मेयर के खिलाफ आवाज उठाए, पर नगर आयुक्त दबाव बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि आज तक के सबसे फेलयुर नगर आयुक्त मुकेश कुमार हैं.
रांची नगर निगम में हो रहे विवाद से अलग पार्षदों का प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद दीपक प्रकाश, महामंत्री प्रदीप वर्मा, आदित्य साहू, प्रदेश मंत्री सुबोध सिंह गुड्डू और प्रदेश कोषाध्यक्ष बंका से मुलाकात की. इस दौरान पार्षदों ने रांची नगर निगम से संबंधित बातों और शहर के विकास के रूपरेखा की जानकारी दी.