रांची: साल 2021 को सीएम हेमंत सोरेन ने नियुक्ति वर्ष (Year of Appointment) बताया है. इसकी घोषणा जब मुख्यमंत्री के ओर की गई तो लगा वाकई में राज्य के बेरोजगार युवाओं को सरकारी नौकरी पाने का अवसर मिलेगा. लेकिन समय बीतता गया और नियुक्ति वर्ष की समयसीमा भी बढ़ती गई. हालत यह है कि सरकार अब रोजगार वर्ष को वित्तीय वर्ष के आधार मानकर चल रही है.
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ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम की मानें तो सरकार बड़े पैमाने पर रोजगार का अवसर पैदा कर रही है. जिसके तहत ग्रामीण विकास, जेएसएलपीएस और अन्य विभागों में विज्ञापन जारी हुआ है. इधर राज्य के युवा सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए खासे नाराज हैं.
रिक्तियों का आकलन करने में बीत गया 10 महीना
रोजगार वर्ष के शुरुआत में सरकार कोरोना का बहाना बनाती रही. कोरोना की रफ्तार कम होते ही सरकार पर चुनाव के वक्त किए गए वादों को पूरा करने का दबाव बढ़ने लगा. सरकार ने इस दवाब को पाटने और स्थानीय युवाओं को आकर्षित करने के लिए जेएसएससी के माध्यम से होनेवाली ग्रेड थ्री की नियुक्तियों में बदलाव कर नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने का संदेश जरूर दिया. इन सबके बीच मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्मिक एवं प्रशासनिक विभाग राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में खाली पड़े पदों का आकलन करती रही. वर्तमान में सर्वाधिक पद शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास जैसे विभागों में है. जिसे भरने की तैयारी की जा रही है.
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राज्य सरकार में करीब 5.25 लाख पद हैं सृजित
राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में कुल 5.25 लाख पद सृजित हैं. जिसमें करीब 4 लाख पद खाली हैं. यानी आधे से अधिक पद खाली पड़े हैं. इतनी संख्या में पद खाली होने की वजह से सरकारी कामकाज प्रभावित है. जो अधिकारी और कर्मचारी मौजूद हैं, उन पर कार्य का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार राज्य के गृह, कारागार एवं आपदा प्रबंधन विभाग में ही 80638 पद रिक्त हैं. जबकि स्वीकृत पदों की संख्या 151407 है. इसी तरह शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य एवं ग्रामीण विकास जैसे विभागों में भी ऐसी ही स्थिति है.
रोजगार वर्ष में छात्र हैं बेरोजगार
रोजगार वर्ष में सरकारी नौकरी पाने की आस लगाए युवाओं को अब तक निराशा हाथ लगी है. जेपीएससी और जेएसएससी के माध्यम से पूर्व में विज्ञापित परीक्षाएं धीमी गति से आयोजित हो रही है. काफी जद्दोजहद के बाद सातवीं से दसवीं जेपीएससी की पीटी परीक्षा आयोजित हुई है. इसके अलावा कई विभागों के अब तक नियमावली नहीं बनने के कारण नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी नहीं आ पा रही है. इधर सरकार की सफाई को छात्र संगठन बहाना मान रहे हैं. उनका कहना है कि यदि सरकार की मंशा साफ होती तो कम से अभी तक विज्ञापन जारी कर आवेदन मंगाए जा सकते थे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. ऐसे में हमारी उम्र बढने से आवेदन देने की योग्यता खत्म हो जाएगी.
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5 लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा
छात्र नेता प्रणव की मानें तो चुनाव के वक्त पांच लाख युवाओं को रोजगार देने की बात कही गई थी. लेकिन रोजगार वर्ष के दस महीने में एक भी युवाओं को नौकरी नहीं मिली. वहीं एमबीए की छात्रा पंखुड़ी की मानें तो सरकार को रोजगार का अवसर सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों में पैदा करने की बात कही. उन्होंने सरकार से इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की मांग की.