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झारखंड में बालू की मारामारी, कालाबाजारी की रेत पर सपनों का घर बनाना मुश्किल , जानिए आखिर क्या है वजह

झारखंड में बालू का मुद्दा हमेशा छाया रहा है. जिस राज्य में बालू की कोई कमी नहीं है उसी राज्य में बालू की कालाबाजारी पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच राजनीति होती रही है. पक्ष और विपक्ष की सियासत के बीच आम जनता बालू के बढ़े दाम से त्रस्त है.

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झारखंड में बालू
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Published : Apr 30, 2022, 12:09 PM IST

रांची: झारखंड में बालू का मुद्दा सदन से लेकर सड़क तक गूंजता रहता है. घर बनाने के लिए ट्रैक्टर समेत छोटी गाड़ियों से बालू की ढुलाई करने पर पुलिस की ज्यादती की खबरें आम हैं. इस मसले पर पक्ष और विपक्ष की एकजुटता के बाद सदन में सरकार को भी जवाब देना पड़ा है. छोटी गाड़ियों को नहीं पकड़ने के लिए पुलिस मुख्यालय का आदेश जारी हो चुका है. इसके बावजूद सपनों का आशियाना बनाने वालों को परेशानी हो रही है.

ये भी पढ़ें:- सरायकेला में अवैध बालू घाटों पर छापेमारी, अवैध बालू लदे 14 हाइवा और 3 ट्रैक्टर जब्त, टास्क फोर्स ने की कार्रवाई

झारखंड के बाजार में बालू का क्राइसिस: बाजार में बालू की जबरदस्त क्राइसिस है.एक ट्रक बालू जो 4000 रु में बिकती थी, अब 6000 रु में मिल रही है. एक हाईवा बालू की कीमत 12000 से बढ़कर 18000 रु हो गई है. इसकी वजह से घर का निर्माण कराना महंगा हो गया है. दूसरी तरफ छड़, ईंट और सीमेंट की कीमतों में भी बढ़ोतरी का असर रियल स्टेट पर भी पड़ा है. गृह निर्माण में इस्तेमाल होने वाली अन्य वस्तुओं की कीमत भी बढ़ गई है. क्रेडाई के झारखंड अध्यक्ष विजय अग्रवाल का कहना है कि रियल स्टेट निर्माण लागत में करीब 10 से 15% का इजाफा हो गया है. इसकी वजह से रियल स्टेट प्रोजेक्ट भी महंगे हो गए हैं. इसकी वजह से बिल्डर भी परेशान हैं. कई प्रोजेक्ट्स पर ग्रहण लगने की संभावना है.

क्यों हो रही है बालू की कालाबाजारी: अब सवाल है कि जिस राज्य में बालू की कोई कमी नहीं है, फिर भी कालाबाजारी क्यों हो रही है. दरअसल, राज्य में 608 ऐसे बालू घाट हैं जो कैटेगरी दो में चिन्हित किए गये हैं. इनका संचालन झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के अधीन होना है. बालू घाटों के संचालन के लिए जेएसएमडीसी की तरफ से माइंस डेवलपमेंट ऑपरेटर की नियुक्ति के लिए टेंडर निकाला गया. इसके पहले पेज में एजेंसी को सूचीबद्ध कर लिया गया है .दूसरे फेज में फाइनेंसियल बिड की प्रक्रिया उपायुक्तों के स्तर पर की जा रही है. इसके तहत सूचीबद्ध एजेंसी में से कैटेगरी ए और बी के बालू घाटों के लिए वित्तीय टेंडर के माध्यम से एजेंसी का चयन होगा. इसके बाद कैटेगरी सी के लिए बालू घाटों के एमडीओ का अंतिम चयन जेएसएमडीसी करेगा.बालू घाटों की नीलामी की यह प्रक्रिया सितंबर 2021 से ही चल रही है. लेकिन पंचायत चुनाव की आचार संहिता के कारण टेंडर की प्रक्रिया प्रभावित हुई है. हालांकि विभागीय अफसरों का कहना है कि राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर बालू घाटों के टेंडर की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए अनुमति मांगी जाएगी.

ये भी पढे़ं: - खूंटी में अवैध बालू खनन के खिलाफ ग्रामीण करेंगे आंदोलन, जानिए क्यों?

18 बालू घाटों पर वैध तरीके से संचालन: फिलहाल पूरे राज्य में सिर्फ 18 बालू घाटों का ही वैध तरीके से संचालन हो रहा है. फिलहाल चतरा के चार, सरायकेला से एक, दुमका के दो, देवघर के पांच, कोडरमा के दो, खूंटी के दो, गुमला का एक और हजारीबाग के एक बालू घाट में माइंस डेवलपरमेंट ऑपरेटर यानी एमडीओ नियुक्त है. जाहिर है कि सिर्फ 18 घाटों के भरोसे पूरे राज्य में बालों की सप्लाई नहीं हो पाएगी. खास बात यह है कि बजट सत्र के दौरान सदन में प्रभारी मंत्री ने भरोसा दिलाया था कि बालू घाटों के टेंडर की प्रक्रिया अप्रैल तक पूरी कर ली जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. जानकारों का कहना है कि अधिकारियों की सुस्ती की वजह से बालू की वैध सप्लाई नहीं हो पा रही है.

झारखंड में बालू का खेल: बीजेपी ने सरकार के इशारे पर झारखंड में बालू का खेल चलने का आरोप लगाया है. बीजेपी के मुताबिक झामुमो के लोग इस धंधे में जुटे हुए हैं. एक सिंडिकेट बनाकर बालू का अवैध कारोबार हो रहा है. भाजपा के नेताओं का आरोप है कि सभी जिला मुख्यालयों में अवैध तरीके से जगह-जगह बालू के डंपयार्ड बनाए गए हैं. यहां से मनमानी कीमत पर बालू बेची जा रही है.लिहाजा, घर बना रहे लोगों को बालू खरीदने के लिए मोटी रकम देनी पड़ रही है. बालू की मारामारी की वजह से झारखंड में इन दिनों एक कहावत मशहूर हो गई है कि यहां बालू से तेल निकाला जाता है.

रांची: झारखंड में बालू का मुद्दा सदन से लेकर सड़क तक गूंजता रहता है. घर बनाने के लिए ट्रैक्टर समेत छोटी गाड़ियों से बालू की ढुलाई करने पर पुलिस की ज्यादती की खबरें आम हैं. इस मसले पर पक्ष और विपक्ष की एकजुटता के बाद सदन में सरकार को भी जवाब देना पड़ा है. छोटी गाड़ियों को नहीं पकड़ने के लिए पुलिस मुख्यालय का आदेश जारी हो चुका है. इसके बावजूद सपनों का आशियाना बनाने वालों को परेशानी हो रही है.

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झारखंड के बाजार में बालू का क्राइसिस: बाजार में बालू की जबरदस्त क्राइसिस है.एक ट्रक बालू जो 4000 रु में बिकती थी, अब 6000 रु में मिल रही है. एक हाईवा बालू की कीमत 12000 से बढ़कर 18000 रु हो गई है. इसकी वजह से घर का निर्माण कराना महंगा हो गया है. दूसरी तरफ छड़, ईंट और सीमेंट की कीमतों में भी बढ़ोतरी का असर रियल स्टेट पर भी पड़ा है. गृह निर्माण में इस्तेमाल होने वाली अन्य वस्तुओं की कीमत भी बढ़ गई है. क्रेडाई के झारखंड अध्यक्ष विजय अग्रवाल का कहना है कि रियल स्टेट निर्माण लागत में करीब 10 से 15% का इजाफा हो गया है. इसकी वजह से रियल स्टेट प्रोजेक्ट भी महंगे हो गए हैं. इसकी वजह से बिल्डर भी परेशान हैं. कई प्रोजेक्ट्स पर ग्रहण लगने की संभावना है.

क्यों हो रही है बालू की कालाबाजारी: अब सवाल है कि जिस राज्य में बालू की कोई कमी नहीं है, फिर भी कालाबाजारी क्यों हो रही है. दरअसल, राज्य में 608 ऐसे बालू घाट हैं जो कैटेगरी दो में चिन्हित किए गये हैं. इनका संचालन झारखंड स्टेट मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के अधीन होना है. बालू घाटों के संचालन के लिए जेएसएमडीसी की तरफ से माइंस डेवलपमेंट ऑपरेटर की नियुक्ति के लिए टेंडर निकाला गया. इसके पहले पेज में एजेंसी को सूचीबद्ध कर लिया गया है .दूसरे फेज में फाइनेंसियल बिड की प्रक्रिया उपायुक्तों के स्तर पर की जा रही है. इसके तहत सूचीबद्ध एजेंसी में से कैटेगरी ए और बी के बालू घाटों के लिए वित्तीय टेंडर के माध्यम से एजेंसी का चयन होगा. इसके बाद कैटेगरी सी के लिए बालू घाटों के एमडीओ का अंतिम चयन जेएसएमडीसी करेगा.बालू घाटों की नीलामी की यह प्रक्रिया सितंबर 2021 से ही चल रही है. लेकिन पंचायत चुनाव की आचार संहिता के कारण टेंडर की प्रक्रिया प्रभावित हुई है. हालांकि विभागीय अफसरों का कहना है कि राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर बालू घाटों के टेंडर की प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए अनुमति मांगी जाएगी.

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18 बालू घाटों पर वैध तरीके से संचालन: फिलहाल पूरे राज्य में सिर्फ 18 बालू घाटों का ही वैध तरीके से संचालन हो रहा है. फिलहाल चतरा के चार, सरायकेला से एक, दुमका के दो, देवघर के पांच, कोडरमा के दो, खूंटी के दो, गुमला का एक और हजारीबाग के एक बालू घाट में माइंस डेवलपरमेंट ऑपरेटर यानी एमडीओ नियुक्त है. जाहिर है कि सिर्फ 18 घाटों के भरोसे पूरे राज्य में बालों की सप्लाई नहीं हो पाएगी. खास बात यह है कि बजट सत्र के दौरान सदन में प्रभारी मंत्री ने भरोसा दिलाया था कि बालू घाटों के टेंडर की प्रक्रिया अप्रैल तक पूरी कर ली जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. जानकारों का कहना है कि अधिकारियों की सुस्ती की वजह से बालू की वैध सप्लाई नहीं हो पा रही है.

झारखंड में बालू का खेल: बीजेपी ने सरकार के इशारे पर झारखंड में बालू का खेल चलने का आरोप लगाया है. बीजेपी के मुताबिक झामुमो के लोग इस धंधे में जुटे हुए हैं. एक सिंडिकेट बनाकर बालू का अवैध कारोबार हो रहा है. भाजपा के नेताओं का आरोप है कि सभी जिला मुख्यालयों में अवैध तरीके से जगह-जगह बालू के डंपयार्ड बनाए गए हैं. यहां से मनमानी कीमत पर बालू बेची जा रही है.लिहाजा, घर बना रहे लोगों को बालू खरीदने के लिए मोटी रकम देनी पड़ रही है. बालू की मारामारी की वजह से झारखंड में इन दिनों एक कहावत मशहूर हो गई है कि यहां बालू से तेल निकाला जाता है.

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