रांची: एंटी टेरेरिस्ट स्क्वाड यानी एटीएस की ओर से राजधानी रांची में एक जमीन कारोबारी के साथ मिलकर दो बेगुनाह युवकों को फंसाने के मामले में झारखंड के डीजीपी एमवी राव ने रांची डीआईजी से रिपोर्ट तलब की है.
रिपोर्ट तैयार करने में जुटी पुलिस
डीजीपी एमवी राव ने रांची रेंज के डीआईजी अखिलेश झा को मामले की पूरी जांच कर विस्तृत रिपोर्ट की मांग की है. डीजीपी के आदेश के बाद रांची पुलिस मामले की जांच में जोर-शोर से जुट गई है. रांची के सिटी एसपी सौरभ ने इस मामले में एटीएस के डीएसपी अवध यादव से अपने कार्यालय में पूछताछ भी की है.
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क्या है पूरा मामला
दरअसल, राजधानी के एक चर्चित जमीन कारोबारी दिलावर खान जो कभी पुलिस का मुखबिर भी हुआ करता था, उसने अपने एक सहयोगी के जरिए जमीन हड़पने के लिए एक घर में पहले हथियार प्लांट करवाएं और फिर एटीएस के कुछ अफसरों से मिलीभगत कर हथियार प्लांट करवाए गए घर पर छापेमारी करवाई. छापेमारी के दौरान एटीएस की टीम ने यह दावा किया था कि एक आतंकी संगठन के कुछ संदिग्ध लोगों के छिपे होने की जानकारी मिली थी. जिसके बाद टीम ने रांची के बूटी मोड़ में छापेमारी की थी. लेकिन वहां से दो अपराधी गिरफ्तार हुए.
निर्दोष युवकों को फंसाने की साजिश
एटीएस की टीम ने जमीन कारोबारी के इशारे पर वहां से दो युवकों को हथियार के साथ गिरफ्तार किया था, लेकिन जांच में यह बात सामने आई कि जिन दो युवकों को हथियार के साथ गिरफ्तार किया गया है वे दोनों निर्दोष हैं और एटीएस के कुछ अफसरों की मिलीभगत से जमीन कारोबारी दिलावर खान ने वहां हथियार प्लांट करवाकर दोनों निर्दोष लोगों को फंसा दिया था. मामला सामने आने के बाद दोनों निर्दोष युवकों को रिहा कर दिया गया था.
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एटीएस के दो अफसरों की भूमिका संदिग्ध
जानकारी के अनुसार, इस मामले में एटीएस के एक डीएसपी और इंस्पेक्टर की भूमिका बेहद संदिग्ध है. इंस्पेक्टर के संबंध पूर्व से ही जमीन कारोबारी दिलावर खान से थे. उसी के बाद एटीएस के नाम पर डरा-धमकाकर रांची की एक करोड़ों की कीमत की जमीन हड़पने की साजिश रची गई थी.