रांची : गोड्डा के पूर्व एसपी और वर्तमान में जगुआर में तैनात एसपी शैलेंद्र वर्णवाल पर विभागीय कार्रवाई होगी. गोड्डा के महगामा थाने के द्वारा गांजा तस्करी के एक मामले में ईसीएल के कर्मी चिरंजीत घोष को गोड्डा पुलिस ने फर्जी तरीके से आरोपी बना लिया था, इसके बाद उसे रिमांड पर लेने की अर्जी दी गई थी. चिरंजीत को इससे पहले धनबाद की निरसा पुलिस ने भी फर्जी तरीके से गांजा प्लांट कराकर जेल भेज दिया था. सीआईडी ने गोड्डा की महगामा पुलिस की भूमिका गलत पायी थी, ऐसे में इस मामले में तत्कालीन एसपी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की अनुशंसा की गई है.
गृह विभाग को लिखा जाएगा पत्र
पुलिस मुख्यालय विभागीय कार्रवाई संचालन के लिए राज्य सरकार के गृह विभाग से पत्राचार करेगी. निरसा में फर्जी केस में गिरफ्तारी के बाद पश्चिम बंगाल के एसडीपीओ मिथून दास के इशारे पर गोड्डा के महगामा थाना के एक पुराने केस में भी चिरंजीत को पुलिस ने आरोपी बना लिया था.
थानेदार व पूर्व एसपी का दर्ज हुआ था बयान
महगामा थाना में स्वीकारोक्ति बयान के आधार पर चिरंजीत घोष को आरोपी बनाने के मामले में सीआईडी ने तात्कालिन एसपी शैलेंद्र वर्णवाल व थानेदार सूरज कुमार गुप्ता का बयान लिया था. सूरज गुप्ता ने थाने में योगदान के तारीख के एक दिन पहले के स्वीकारोक्ति बयान पर अपना हस्ताक्षर किया था, वहीं चिरंजीत को रिमांड पर लेने के लिए अर्जी दी गई थी. जांच में सीआईडी ने ये गड़बड़ी पकड़ी.
ये भी पढ़ें- गिरिडीह में मिला विषैला रसल वाइपर सांप, वन विभाग की टीम ने जंगल में छोड़ा
बंगाल के एसडीपीओ ने चिंरजीत के गांजा तस्कर होने की सूचना दी थी
वहीं सूरज गुप्ता ने सीआईडी को दिए बयान में बताया कि तत्कालीन एसपी के कहने पर चिरंजीत का नाम स्वीकारोक्ति बयान में डाला था. वहीं तत्कालीन एसपी ने सीआईडी को दिए बयान में बताया था कि बंगाल के एसडीपीओ मिथून डे ने चिंरजीत के गांजा तस्कर होने की सूचना दी थी. इसके बाद उन्होंने इस बात को महगामा थानेदार से सत्यापित करने को कहा था. लेकिन थानेदार ने सत्यापन किए बिना चिरंजीत को केस में अप्राथमिक अभियुक्त बनाने की पहल कर दी.