रांचीः झारखंड सरकार ने राज्य कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षाओं के लिए कुल 12 क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं को स्वीकृति दी है. इसमें भोजपुरी, मगही और अंगिका को जगह नहीं मिली है. अब यह मामला तूल पकड़ने लगा है. इस बीच भोजपुरी एकता मंच के एक शिष्टमंडल ने कैलाश यादव के नेतृत्व में राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका को द्वितीय राजभाषा में शामिल कर नौकरियों में मान्यता प्रदान करने की मांग रखी है. इसके अलावा स्थानीय नीति का कट ऑफ डेट छत्तीसगढ़, उत्तराखंड की तरह करने, 16 द्वितीय राजभाषा को स्कूली शिक्षा एवं रांची सहित सभी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई प्रारम्भ करने के साथ साथ एकेडमिक काउंसिल के गठन के लिए पहल करने का आग्रह किया है.
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दरअसल, हेमंत सरकार ने सरकारी नियुक्तियों के लिए कई भाषाओं को हटा दिया है. भोजपुरी, मगही और अंगिका को लेकर कांग्रेस नेता दीपिका पांडेय सिंह के अलावा झामुमो विधायक सह मंत्री मिथिलेश ठाकुर भी आवाज उठा चुके हैं. लेकिन पिछले दिनों एक मीडिया हाउस को साक्षात्कार के दौरान सीएम हेमंत ने कहा था कि भोजपुरी, मगही और मैथली बोलने वाले डोमिनेटिंग होते हैं. ये सभी झारखंड की नहीं बल्कि बिहार की भाषाएं हैं. उन्होंने इन भाषाओं को आयातित भाषा करार देते हुए कहा था कि वह झारखंड का बिहारीकरण नहीं होने देंगे. अब यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है. इस मसले पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं.
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