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स्थानीय और नियोजन नीति को लेकर एक मंच पर आदिवासी संगठन, कहा- जल्द नहीं बना तो होगा उग्र आंदोलन

झारखंड में स्थानीय और नियोजन नीति की मांग काफी समय से हो रही है. इसे लेकर सभी आदिवासी सामाजिक संगठन एक मंच पर आ गए हैं. इनकी मांग है कि झारखंड सरकार जल्द से जल्द स्थानीय और नियोजन नीति बनाए. जिससे कि राज्य के लोगों का भला हो.

demand of local and employment policy in jharkhand
स्थानीय और नियोजन नीति को लेकर एक मंच पर आदिवासी संगठन
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Published : Nov 30, 2021, 6:08 PM IST

Updated : Nov 30, 2021, 6:24 PM IST

रांचीः झारखंड में स्थानीय और नियोजन नीति की मांग को लेकर राज्य के विभिन्न आदिवासी मूलवासी सामाजिक संगठन एक मंच पर आ गए हैं. जिन्होंने सड़क पर उतर कर आंदोलन करने की रणनीति बनाई है. ये लोग राज्य सरकार से नियोजन नीति बनाने की मांग कर रहे हैं ताकि स्थानीय नियोजन नीति का लाभ यहां के स्थानीय लोगों को मिल सके. नियोजन नीति झारखंड के सबसे ज्वलंत मुद्दों में से एक है. इसको लेकर लगातार विभिन्न आदिवासी मूलवासी सामाजिक संगठन आंदोलन कर रहे हैं और राज्य सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

ये भी पढ़ेंः 54 आदिवासी संगठन 20 दिसंबर को देंगे धरना, कहा- 1932 का खतियान बने स्थानीयता

स्थानीय और नियोजन नीति मांग को लेकर आंदोलन की अगुवाई कर रहे शिक्षाविद और समाजसेवी डॉ. करमा उरांव का कहना है कि राज्य के बनने 21 साल हो गए, लेकिन आज भी यहां के मूल जन भावना के अनुरूप स्थानीय नीति नहीं बनी. जिसका खामियाजा यहां के स्थानीय आदिवासियों और मूलवासी समाज को भुगतना पड़ रहा है. दूसरे राज्यों के बाहरी लोगों को सरकारी नौकरी उद्योग धंधे और व्यापार के क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिल रहे हैं और यहां के स्थानीय बेदखल हो रहे हैं. राज्य सरकार से मांग की है कि जल्द ही स्थानीय और की मूल भावना के अनुरूप स्थानीय और नियोजन नीति बनाई जाए ताकि यहां के लोगों को रोजगार में अवसर मिल सके.

देखें पूरी खबर
झारखंड में पूर्ववर्ती रघुवर सरकार ने 1985 से राज्य में रहने वाले को स्थानीय मानकर स्थानीय नीति बनाई थी, लेकिन मौजूदा हेमंत सरकार ने पूर्व की स्थानीय नीति को निरस्त कर दिया है और एक नए सिरे से बदलाव कर स्थानीय नीति बनाने की योजना बनाई है. लेकिन अब तक स्थानीय नीति को झारखंड सरकार ने परिभाषित नहीं किया है. स्थानीय नीति के बन जाने से राज्य के मैट्रिक और इंटर पास युवाओं को थर्ड और फोर्थ ग्रेड में नौकरी मिल सकेगी.

रांचीः झारखंड में स्थानीय और नियोजन नीति की मांग को लेकर राज्य के विभिन्न आदिवासी मूलवासी सामाजिक संगठन एक मंच पर आ गए हैं. जिन्होंने सड़क पर उतर कर आंदोलन करने की रणनीति बनाई है. ये लोग राज्य सरकार से नियोजन नीति बनाने की मांग कर रहे हैं ताकि स्थानीय नियोजन नीति का लाभ यहां के स्थानीय लोगों को मिल सके. नियोजन नीति झारखंड के सबसे ज्वलंत मुद्दों में से एक है. इसको लेकर लगातार विभिन्न आदिवासी मूलवासी सामाजिक संगठन आंदोलन कर रहे हैं और राज्य सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

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स्थानीय और नियोजन नीति मांग को लेकर आंदोलन की अगुवाई कर रहे शिक्षाविद और समाजसेवी डॉ. करमा उरांव का कहना है कि राज्य के बनने 21 साल हो गए, लेकिन आज भी यहां के मूल जन भावना के अनुरूप स्थानीय नीति नहीं बनी. जिसका खामियाजा यहां के स्थानीय आदिवासियों और मूलवासी समाज को भुगतना पड़ रहा है. दूसरे राज्यों के बाहरी लोगों को सरकारी नौकरी उद्योग धंधे और व्यापार के क्षेत्र में रोजगार के अवसर मिल रहे हैं और यहां के स्थानीय बेदखल हो रहे हैं. राज्य सरकार से मांग की है कि जल्द ही स्थानीय और की मूल भावना के अनुरूप स्थानीय और नियोजन नीति बनाई जाए ताकि यहां के लोगों को रोजगार में अवसर मिल सके.

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झारखंड में पूर्ववर्ती रघुवर सरकार ने 1985 से राज्य में रहने वाले को स्थानीय मानकर स्थानीय नीति बनाई थी, लेकिन मौजूदा हेमंत सरकार ने पूर्व की स्थानीय नीति को निरस्त कर दिया है और एक नए सिरे से बदलाव कर स्थानीय नीति बनाने की योजना बनाई है. लेकिन अब तक स्थानीय नीति को झारखंड सरकार ने परिभाषित नहीं किया है. स्थानीय नीति के बन जाने से राज्य के मैट्रिक और इंटर पास युवाओं को थर्ड और फोर्थ ग्रेड में नौकरी मिल सकेगी.
Last Updated : Nov 30, 2021, 6:24 PM IST
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