रांची: मुख्य सचिव डॉ. डीके तिवारी ने झारखंड मंत्रालय में उच्चतम न्यायालय द्वारा झारखंड में सिलिकोसिस बीमारी की रोकथाम के लिए दिए गए दिशा निर्देश पर सभी संबंधित विभागों के साथ समीक्षा की. खदानों और कारखानों में नियम और कानून की कड़ाई से पालन पर बल देते हुए उसकी निगरानी का निर्देश भी दिया गया है. उन्होंने खनन विभाग को निर्देश दिया कि जो नियम और कानून के पालन में कोताही बरतते हैं, उनके लीज और लाइसेंस को रद्द करें.
सिलिकोसिस से बचाने का निर्देश
उन्होंने खदानों और कारखानों समेत क्रशर उद्योग में कामगारों को स्वच्छ वातावरण देकर धूलजनित बीमारी सिलिकोसिस से बचाने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि हालांकि प्रदेश में अभी तक इस बीमारी से ग्रसित किसी व्यक्ति की रिपोर्ट नहीं मिली है, लेकिन बीमारी का इलाज करने से बेहतर है कि बीमारी जन्म ही न ले.
कार्रवाई का आदेश
इसके लिए सीएस ने इससे संबंधित सभी विभागों को निर्देश दिया कि वे ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित कर कार्रवाई करें जहां प्रदूषण नियंत्रण और स्वास्थ्य सुविधा का ध्यान नहीं रखा जाता है. उन्होंने सिलिकोसिस बीमारी की पहचान के लिए जरूरी उपकरण खरीदने और बीमारी की शुरुआत में पहचान कर इलाज करने को कहा है.
'फॉगर मशीन से धूलकण खत्म करें'
मुख्य सचिव ने कहा कि क्रशर उद्योग में सर्वाधिक धूलकण का प्रकोप रहता है. इस उद्योग में धूल को खत्म करने के लिए स्प्रिंगर से पानी का छिड़काव किया जाता है. जो अलग से कीचड़ उत्पन्न करता है और उत्पाद पर भी फर्क डालता है. इससे बचते हुए बिना पानी का नुकसान किए उन्होंने फॉगर मशीन से धूलकण खत्म करने का निर्देश दिया है.
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कई निर्देश
उन्होंने प्रदूषण नियंत्रण विभाग को निर्देश दिया कि वह पांच-छह क्रशरों का कलस्टर बनाकर अनिवार्य रूप से फॉगर का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करें. मुख्य सचिव ने पाकुड़, साहिबगंज और दुमका जिले में क्रशर से होने वाले सर्वाधिक प्रदूषण को नियंत्रित करने का निर्देश दिया है.