रांची: अषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन यानी आज (1 जुलाई) रांची के ऐतिहासिक जगन्नाथपुर मंदिर में भक्तों का तांता लगा हुआ है. सुबह से ही श्रद्धालु मंदिर में भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के दर्शन कर रहे. मंदिर में भगवान जगन्नाथ के दर्शन का कार्यक्रम दोपहर तक चलेगा. भगवान के दर्शन के लिए जगन्नाथ मंदिर से मौसीबाड़ी तक भक्तों की लंबी कतार लगी हुई है. शाम 5 बजे भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी. राजधानी में रथ यात्रा को लेकर सारी तैयारी पूरी कर ली गई है.
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सीएम और राज्यपाल भी हो सकते हैं शामिल: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल रमेश बैस के 3:00 बजे के करीब रांची के जगन्नाथ मंदिर में आयोजित रथयात्रा मैं शामिल होने की संभावना है. मुख्यमंत्री ने रथयात्रा के मौके पर राज्यवासियों को शुभकामनाएं दी है. मुख्यमंत्री ने भगवान जगन्नाथ से राज्यवासियों के लिए स्वास्थ्य, सकुशल और सुखी जीवन की कामना की है. वह हर साल रथयात्रा में जरूर आते रहे हैं. पिछले दो वर्षों तक कोविड के वजह से मेले पर रोक के बावजूद वह मंदिर में हुए अनुष्ठान में शामिल होने पहुंचे थे. चर्चा है कि इस साल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अन्य भक्तों के साथ भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचेंगे. माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ के रथ खींचने से कष्ट दूर होते हैं.
भव्य रथ का निर्माण: रांची में भगवान जगन्नाथ की यात्रा के लिए 12 साल बाद नए भव्य रथ का निर्माण किया गया है. रथ को खींचने के लिए 101 फीट की रस्सी भी तैयार की गई है. इसी रथ पर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र के साथ यात्रा पर निकलेंगे. पिछले दो महीने से ओडिशा के पुरी से आए 10 कारीगर दिन रात मेहनत कर रथ का निर्माण कर रहे थे. पुरी के कारीगरों ने बताया कि इस बार भगवान जगन्नाथ के लिए एक भव्य रथ तैयार किया गया है. जिसकी हाइट 40 फीट है और चौड़ाई 26 फीट है. रथ को खींचने के लिए कम से कम 100 लोगों की जरूरत होगी.
ऐतिहासिक है रांची का जगन्नाथपुर मंदिर: रांची का जगन्नाथपुर मंदिर पुरी की तरह ही रथ यात्रा के लिए प्रसिद्ध है. जगन्नाथपुर मंदिर की स्थापना 1691 में बड़कागढ़ में नागवंशी राजा ठाकुर एनीनाथ शाहदेव ने रांची में धुर्वा के पास भगवान जगन्नाथ मंदिर का निर्माण कराया था. कहा जाता है कि ठाकुर एनीनाथ शाहदेव अपने नौकर के साथ पुरी गये थे. नौकर भगवान का भक्त बन गया और कई दिनों तक उनकी उपासना की. एक रात्रि वह भूख से व्याकुल हो उठा. मन ही मन प्रार्थना की कि भगवान भूख मिटाइये. उसी रात भगवान जगन्नाथ ने रूप बदल कर अपनी भोगवाली थाली में खाना लाकर उसे खिलाया. नौकर ने पूरी आपबीती ठाकुर साहब को सुनायी. उसी रात भगवान ने ठाकुर को स्वप्न में कहा कि यहां से लौटकर मेरे विग्रह की स्थापना कर पूजा-अर्चना करो. पुरी से लौटने के बाद एनीनाथ ने पुरी मंदिर की तर्ज पर रांची में मंदिर की स्थापना की थी.