रांची: कोविड-19 के लॉकडाउन की वजह से राज्य सरकार ने माना है कि इससे रेवेन्यू कलेक्शन में कमी आई है. ऐसे में राज्य में होने वाले एक्सपेंडिचर पर कंट्रोल किया जाना जरूरी है. इसी को देखते हुए झारखंड सरकार ने एक ऑर्डर निकाला है, जिसके हिसाब से एक्सपेंडिचर पर कंट्रोल किया जाना जरूरी है. सरकार ने यह फैसला लेने से पहले रिव्यू किया था. उसके बाद यह तय हुआ कि संबंधित ट्रेजरी से उन सभी बिल के अगेंस्ट में पेमेंट किए जाएंगे जो जरूरी हैं.
इन मदों में होना है खर्च
सरकार ने 10 अलग-अलग बिंदुओं के तहत एक आदेश निकाला है. जिसके हिसाब से महिला बाल विकास और सामाजिक सुरक्षा विभाग के सप्लीमेंट्री न्यूट्रिशन से संबंधित बिल और सामाजिक सुरक्षा पेंशन के बिल की पेमेंट की जाएगी. साथ ही स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के मिड डे मील से संबंधित बिल की पेमेंट की जाएगी. वहीं राज्य सरकार ने रिटायर्ड बेनिफिशियरी और पेंशन धारियों को भी पैसे देने का निर्णय लिया है. इसके अलावा कोविड-19 के नियंत्रण के लिए कार्यों से संबंधित लॉ एंड ऑर्डर और डिजास्टर मैनेजमेंट से संबंधित बिल का भुगतान किया जाएगा.
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हेल्थ डिपार्टमेंट में कंस्ट्रक्शन काम के अलावे अन्य बिलों का होगा पेमेंट
वहीं, हेल्थ डिपार्टमेंट में निर्माण कार्य से जुड़े बिल को छोड़कर अन्य सभी बिलों का भुगतान किया जाएगा. सरकार ने तय किया है कि कोविड-19 के संदर्भ में किए जा रहे आवश्यक कार्यों और पारिश्रमिक की भुगतान के लिए अप्रैल 2020 के कार्यालय व्यय में कुल बजट का अधिकतम 3% ही निकाला जा सकेगा. पीएल खाता से निकासी में भी ये शर्तें लागू होंगी. इन सबके अलावा अगर किसी भी बिल का पास होना जरूरी होगा तो एडमिनिस्ट्रेटिव डिपार्टमेंट बाकायदा एक कारण देकर वित्त विभाग को भेजेगा।. उसके बाद वित्त विभाग की अनुमति के बाद ही वह विपत्र पारित किया जाएगा.
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सरकार के कर्मियों की सैलरी है प्राथमिकता
इसके अलावा अपने कर्मियों को वेतन देने के मद में भी सरकार ट्रेजरी खुली रहेगी. उससे जुड़े बिल भी पास किए जा सकेंगे. वित्त विभाग के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, साल भर में लगभग 15,000 करोड़ रुपए वेतन और पेंशन मद में खर्च होते हैं. उस हिसाब से अगर देखें तो हर महीने 1000 करोड़ से ज्यादा वेतन मद में खर्च होता है.
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सरकार के लिए अपने आप में एक चुनौती
दरअसल, प्रदेश में नए वित्त वर्ष की शुरुआत 1 अप्रैल से हुई है और वित्त वर्ष 2019-20 के समाप्ति के पहले से ही लगा हुआ है. ऐसे में रेवेन्यू कलेक्शन राज्य सरकार के लिए अपने आप में एक चुनौती बनी हुई है.