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रिम्स में सीनियर डॉक्टरों के ट्रांसफर को लेकर बढ़ा विवाद, डायरेक्टर के विरोध में एकजुट हुए चिकित्सक - Rajendra Institute of Medical Science

रांची के रिम्स में सीनियर डॉक्टरों के ट्रांसफर को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. इस विरोध को लेकर डॉक्टर एकजुट हो गए हैं. उनका कहना है कि अगर सीनियर डॉक्टर और प्रोफेसरों का रिम्स से स्थानांतरण किया जाता है तो रिम्स के मेडिकल सीटों पर भी इसका असर पड़ेगा.

डॉ प्रभात कुमार और डॉ डी के सिंह
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Published : Nov 2, 2019, 1:02 PM IST

रांची: राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में प्रोफेसरों और डॉक्टरों के स्थानांतरण को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. राज्य में 3 नए मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसरों और डॉक्टरों की कमी को लेकर रिम्स के सीनियर डॉक्टरों और प्रोफेसरों के स्थानांतरण की बात कही जा रही है, जिस पर रिम्स के सीनियर डॉक्टर और प्रोफेसर लगातार अपना विरोध जता रहे हैं.

देखें पूरी खबर


रिम्स में डॉक्टरों और प्रोफेसरों का कहना है कि जबसे रिम्स का उद्घाटन हुआ है तब से उन्होंने रिम्स को अपने खून पसीने से सींच कर उसे तरक्की की राह पर लाया है. इसके बावजूद भी रिम्स के निर्देशक ने सीनियर डॉक्टरों और प्रोफेसरों के स्थानांतरण की बात कही जा रही है. निश्चित रूप से रिम्स में पढ़ रहे छात्रों की शैक्षणिक व्यवस्था और मरीजों को मिल रही स्वास्थ्य व्यवस्था को अस्त व्यस्त करता है.


क्या है पूरा मामला
दरअसल, राज्य में बने 3 नए मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों की कमी को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने पत्र के माध्यम से रिम्स के निर्देशक डी.के सिंह से सीनियर डॉक्टरों और प्रोफेसरों की सूची मांगी थी. जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि 2002 के बाद बहाल किए डॉक्टरों की सूची दी जाए लेकिन रिम्स के निर्देशक डॉ डीके सिंह ने 2002 से पूर्व से बहाल किए डॉक्टरों और प्रोफेसरों की भी सूची स्वास्थ्य विभाग को भेज दी जिसके बाद 2002 से पहले से बहाल डॉक्टरों ने अपना विरोध जताना शुरू कर दिया और निदेशक के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया. इसके साथ ही रिम्स के निर्देशक पर रिम्स को कमजोर करने का आरोप भी लगा रहे हैं.

ये भी देखें- रांची: हार्डवेयर दुकान में लगी भीषण आग, लाखों का सामान जलकर राख

नौकरी को छोड़ने का लेंगे निर्णय
2014 के अनुसार स्पष्ट किया गया है कि ऐसे डॉक्टर जो 2002 से पहले में बहाल किए गए हैं वैसे सीनियर डॉक्टरों और प्रोफेसरों को सेवानिवृत्ति तक रिम्स में ही रखा जायेगा. अगर इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग और रिम्स के निर्देशक इस तरह पुराने और वरिष्ठ डॉक्टरों के ट्रांसफर का आदेश जारी करते हैं तो रिम्स के सीनियर डॉक्टर और प्रोफेसर स्वेच्छा से रिम्स और अपनी नौकरी को छोड़ने का निर्णय लेंगे.


इस पूरे मामले पर रिम्स के निर्देशक ने आश्वासन देते हुए कहा है कि अभी सिर्फ सूची मांगी गई है ना की स्थानांतरण की बात कही गई है. अगर ऐसे वरिष्ठ डॉक्टरों के स्थानांतरण की बात होती है तो रिम्स निर्देशक होने के नाते स्वास्थ्य विभाग से जरूर अपील की जाएगी. मरीजों के सुविधा को देखते हुए इन डॉक्टरों के स्थानांतरण को रोकने का प्रयास किया जाए.

रांची: राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में प्रोफेसरों और डॉक्टरों के स्थानांतरण को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है. राज्य में 3 नए मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसरों और डॉक्टरों की कमी को लेकर रिम्स के सीनियर डॉक्टरों और प्रोफेसरों के स्थानांतरण की बात कही जा रही है, जिस पर रिम्स के सीनियर डॉक्टर और प्रोफेसर लगातार अपना विरोध जता रहे हैं.

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रिम्स में डॉक्टरों और प्रोफेसरों का कहना है कि जबसे रिम्स का उद्घाटन हुआ है तब से उन्होंने रिम्स को अपने खून पसीने से सींच कर उसे तरक्की की राह पर लाया है. इसके बावजूद भी रिम्स के निर्देशक ने सीनियर डॉक्टरों और प्रोफेसरों के स्थानांतरण की बात कही जा रही है. निश्चित रूप से रिम्स में पढ़ रहे छात्रों की शैक्षणिक व्यवस्था और मरीजों को मिल रही स्वास्थ्य व्यवस्था को अस्त व्यस्त करता है.


क्या है पूरा मामला
दरअसल, राज्य में बने 3 नए मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों की कमी को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने पत्र के माध्यम से रिम्स के निर्देशक डी.के सिंह से सीनियर डॉक्टरों और प्रोफेसरों की सूची मांगी थी. जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि 2002 के बाद बहाल किए डॉक्टरों की सूची दी जाए लेकिन रिम्स के निर्देशक डॉ डीके सिंह ने 2002 से पूर्व से बहाल किए डॉक्टरों और प्रोफेसरों की भी सूची स्वास्थ्य विभाग को भेज दी जिसके बाद 2002 से पहले से बहाल डॉक्टरों ने अपना विरोध जताना शुरू कर दिया और निदेशक के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया. इसके साथ ही रिम्स के निर्देशक पर रिम्स को कमजोर करने का आरोप भी लगा रहे हैं.

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नौकरी को छोड़ने का लेंगे निर्णय
2014 के अनुसार स्पष्ट किया गया है कि ऐसे डॉक्टर जो 2002 से पहले में बहाल किए गए हैं वैसे सीनियर डॉक्टरों और प्रोफेसरों को सेवानिवृत्ति तक रिम्स में ही रखा जायेगा. अगर इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग और रिम्स के निर्देशक इस तरह पुराने और वरिष्ठ डॉक्टरों के ट्रांसफर का आदेश जारी करते हैं तो रिम्स के सीनियर डॉक्टर और प्रोफेसर स्वेच्छा से रिम्स और अपनी नौकरी को छोड़ने का निर्णय लेंगे.


इस पूरे मामले पर रिम्स के निर्देशक ने आश्वासन देते हुए कहा है कि अभी सिर्फ सूची मांगी गई है ना की स्थानांतरण की बात कही गई है. अगर ऐसे वरिष्ठ डॉक्टरों के स्थानांतरण की बात होती है तो रिम्स निर्देशक होने के नाते स्वास्थ्य विभाग से जरूर अपील की जाएगी. मरीजों के सुविधा को देखते हुए इन डॉक्टरों के स्थानांतरण को रोकने का प्रयास किया जाए.

Intro:राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में प्रोफेसरों और डॉक्टरों की स्थानांतरण को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है।राज्य में 3 नए मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसरों एवं डॉक्टरों की कमी को लेकर रिम्स के सीनियर डॉक्टरों एवं प्रोफेसरों का स्थानांतरण करने की बात कही जा रही है, जिस पर रिम्स के सीनियर डॉक्टर और प्रोफेसर लगातार अपना विरोध जता रहे हैं।

इसको लेकर रिम्स में डॉक्टरों और प्रोफेसरों का कहना है कि जबसे रिम्स का उद्भव हुआ है तब से हम लोगों ने रिम्स को अपने खून पसीने से सींच कर दिन दुगना रात चौगुना तरक्की की राह पर ले जा रहे हैं इसके बावजूद भी रिम्स के निदेशक द्वारा सीनियर डॉक्टरों एवं प्रोफेसरों के स्थानांतरण बात कही जा रही है जो निश्चित रूप से रिम्स में पढ़ रहे छात्रों की शैक्षणिक व्यवस्था एवं मरीजों को मिल रही स्वास्थ्य व्यवस्था को अस्त व्यस्त करता है।


Body:दरअसल राज्य में बने 3 नए मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों की कमी को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने पत्र के माध्यम से रिम्स के निदेशक डी.के सिंह से सीनियर डॉक्टरों एवं प्रोफेसरों की सूची मांगी थी।जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि 2002 के बाद बहाल किये डॉक्टरों की सूची दी जाए लेकिन रिम्स के निदेशक डॉ डीके सिंह ने 2002 से पूर्व से बहाल किए डॉक्टरों एवं प्रोफेसरों की भी सूची स्वास्थ्य विभाग को भेज दी जिसके बाद 2002 से पूर्व से बहाल डॉक्टरों ने अपना विरोध जताना शुरू कर दिया और निदेशक के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया साथ ही रिम्स के निदेशक पर रिम्स को कमजोर करने का आरोप भी लगा रहे हैं।

2002 से पूर्व से बहाल डॉक्टरों एवं प्रोफेसरों का कहना है कि रिम्स नियमावली 2014 के अनुसार स्पष्ट किया गया है कि ऐसे डॉक्टर जो 2002 से पूर्व में बहाल किए गए हैं वैसे सीनियर डॉक्टरों और प्रोफेसरों को सेवानिवृत्ति तक रिम्स में ही रखा जायेगा, अगर इसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग और रिम्स के निदेशक इस तरह पुराने एवं वरिष्ठ डॉक्टरों के ट्रांसफर का आदेश जारी करते हैं तो रिम्स के सीनियर डॉक्टर एवं प्रोफ़ेसर स्वेच्छा से रिम्स एवं अपनी नौकरी को छोड़ने का निर्णय लेंगे।

वहीं डॉक्टरों का कहना है कि अगर सीनियर डॉक्टर एवं प्रोफेसरों की रिम्स से स्थानांतरण की जाती है तो रिम्स के मेडिकल सीटों पर भी इसका असर पड़ेगा।




Conclusion:पूरे मामले पर रिम्स के निदेशक बताते हैं कि डॉक्टरों द्वारा लगाया जा रहा आरोप कहीं से भी उचित नहीं है,क्योंकि पिछले दिनों रिम्स के निदेशक होने के नाते स्वास्थ्य विभाग द्वारा डॉक्टरों की सूची पत्र से पहले फोन पर मांगी गई थी, जिसके बाद फोन पर सूचना में मिसकम्युनिकेशन होने की वजह से हमारी तरफ से रिम्स के सभी प्रोफ़ेसरों एवं डॉक्टरों की सूची दी गई, लेकिन पत्र मिलने के बाद यह स्पष्ट हुआ कि 2002 के बाद बहाल हुए डॉक्टरों एवं प्रोफेसरों की सूची स्वास्थ्य विभाग के द्वारा मांगी गई है।

वहीं उन्होंने बताया कि अगर रिम्स के वरिष्ठ प्रोफेसर और डॉक्टर द्वारा यह आरोप लगाया जा रहा है तो उन्हें यह समझने की जरूरत है कि स्वास्थ विभाग के पास डॉक्टरों की सूची पहले से ही होती है लेकिन इसके बावजूद भी ऐसे डॉक्टर यह समझते हैं कि निदेशक कार्यालय से इन डॉक्टरों की सूची दी गई है तो उनकी सोच बिल्कुल ही गलत है।

उन्होंने पूरे मामले पर आश्वासन देते हुए कहा है कि अभी सिर्फ सूची मांगी गई है ना की स्थानांतरण की बात कही गई है अगर ऐसे वरिष्ठ डॉक्टरों के स्थानांतरण की बात होती है तो रिम्स निदेशक होने के नाते स्वास्थ्य विभाग से जरूर अपील की जाएगी कि मरीजों के सुविधा को देखते हुए इन डॉक्टरों के स्थानांतरण को रोकने का प्रयास किया जाए।

गौरतलब है कि रिम्स के वरिष्ठ प्रोफेसरों और निदेशक के बीच स्थानांतरण को लेकर बढ़ रही दूरियां मरीज और उपचार के बीच की दूरी को ना बढ़ा दे।

बाइट-डॉ प्रभात कुमार, सीनियर प्रोफेसर एवं डॉक्टर
बाइट- डॉ डी के सिंह, निदेशक, रिम्स

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