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छठी जेपीएससी में कितने आरोप लगे? कितनी बार रिजल्ट निकाले गए? पढ़ें पूरी रिपोर्ट

झारखंड में छठी जेपीएससी परीक्षा पर विवाद जारी है. 6 साल पहले शुरु हुई परीक्षा और नियुक्ति को लेकर ना जाने कई बार हंगामा हुआ, कई मामले कोर्ट में दिए गए और कई मामले कोर्ट में लंबित हैं. इस रिपोर्ट से जानिए विवादित छठी जेपीएससी परीक्षा की पूरी डिटेल रिपोर्ट.

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छठी जेपीएससी
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Published : Aug 28, 2021, 5:35 PM IST

रांचीः छठी जेपीएससी परीक्षा से विवाद समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा है. सड़क से विधानसभा तक में भी हंगामा हुआ, राजनीतिक रोटियां भी सेंकी गईं. लेकिन विवाद समाप्त नहीं हो सका या यह कहें कि विवाद समाप्त करने की कोशिश ही नहीं की गई. परीक्षा के कई नतीजों पर मामला कोर्ट में लंबित है.

इसे भी पढ़ें- छठी जेपीएससी मामले में झारखंड हाई कोर्ट का अहम फैसला, एकलपीठ के आदेश पर डबल बेंच ने लगाई रोक

छठी जेपीएससी परीक्षा के विवाद से लाभ लेने के लिए विपक्ष हो या सत्ता पक्ष दोनों ने इस मुद्दे का लाभ लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी. पिछली रघुवर सरकार में 3 बार पीटी परीक्षा का रिजल्ट निकाला गया. वहीं हेमंत सरकार में मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में कई खामियों के सामने आने पर मुख्य परीक्षा के मेरिट लिस्ट को झारखंड हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया. छात्र आस लगाकर बैठे थे कि उस सरकार में ना सही नई सरकार में सब कुछ ठीक हो जाएगा, पर वह भी ना हो सका.

जानकारी देते अधिवक्ता हेमंत सिकरवार



हाल में फिर झारखंड हाईकोर्ट की डबल बेंच ने एकल पीठ की ओर से छठी जेपीएससी के मेरिट लिस्ट को रद्द कर फिर से नया मेरिट लिस्ट बनाने के आदेश पर तत्काल रोक लगा दी है. आगे मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद फिर एक नया आदेश पारित किया जाएगा.

जानकारी देते अधिवक्ता



अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से टिप्पणी की गई कि सरकार का स्टैंड एक नहीं है, उसमें बदलाव दिख रहा है. कोर्ट ने ये भी कहा कि इससे अदालत को संदेह लगता है कि लगभग 6 वर्षों से चल रही छठी जेपीएससी में दर्जनों आरोप लगे और कई बार मामला अदालत पहुंचा. अदालत के कई बार दिए गए आदेश पर 3 बार पीटी का रिजल्ट निकाला गया. मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में भी एक बार गड़बड़ी होने के बाद दूसरी बार निकाली गई. फिर नियुक्ति हुई, उस मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया गया है. वर्तमान में अदालत ने उसपर भी रोक लगा दी है, फिलहाल मामला हाई कोर्ट में लंबित है.

इसे भी पढ़ें- छठी JPSC मामले में दायर 18 याचिकाओं पर हाई कोर्ट में सुनवाई, अदालत ने दिया ये निर्देश

6 साल से चल रही नियुक्ति प्रक्रिया
जेपीएससी की छठी नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी की बात स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि वर्ष 2015 में जो नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई थी. वर्ष 2020 में नियुक्ति तो कर दी गई, पर विवाद अभी-भी थमा नहीं है. कई आरोपों के साथ झारखंड हाईकोर्ट में दर्जनों याचिकाएं लंबित हैं.



वर्ष 2015 में पहली बार छठी जेपीएससी के लिए नोटिफिकेशन निकाला गया, पर उसे वापस लेकर अक्टूबर 2016 में फिर से 326 पदों के लिए नया नोटिफिकेशन जारी किया गया. दिसंबर 2016 में पीटी परीक्षा आयोजित की गई. 23 फरवरी 2017 को पहली बार इसका रिजल्ट घोषित किया गया. पीटी की प्रथम रिजल्ट में 5,138 अभ्यर्थी को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया गया.

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छठी जेपीएससी पर विवाद जारी



इस रिजल्ट को लेकर काफी हंगामा हुआ. बीसी-1 कैटेगरी के कई ऐसे कैंडिडेट्स थे, जो जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट्स से ज्यादा अंक लाने के बाद भी फेल हो गए. आरक्षण नियमों की अनदेखी का आरोप लगा और सड़क से लेकर विधानसभा तक हंगामा हुआ, उसके बाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर 11 अगस्त 2017 को दूसरी बार प्री-एग्जाम का रिजल्ट घोषित किया गया. जिसमें बीसी-1 और बीसी-2 कैटेगरी के 965 उम्मीदवार सफल घोषित किए गए.

इसे भी पढ़ें- JHARKHAND HIGH COURT: छठी जेपीएससी परीक्षा परिणाम को चुनौती देने के मामले में कैविएट याचिका दायर


छठी जेपीएससी के नोटिफिकेशन में स्पष्ट लिखा था कि कैटिगरी वाइज रिक्तियों के आधार पर 15 गुना कैंडिडेट्स को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया जाएगा. लेकिन दूसरी रिजल्ट ने मामला और उलझ गया, 6103 वाले रिजल्ट में जनरल, एससी, एसटी का रिजल्ट तो पहले की तरह 15 गुना ही रह गया. लेकिन बीसी-1 का 39 गुना और बीसी-2 का रिजल्ट 261 गुना बढ़ गया.

पीटी रिजल्ट पर घमासान चलता ही रहा. पिछली सरकार में विधानसभा सत्र के दौरान विपक्षी दल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और अन्य दलों ने लगातार विधानसभा की कार्यवाही बाधित करती रही. जिसके बाद तत्कालीन सरकार को रिजल्ट रद्द कर फिर से रिजल्ट जारी करने का फैसला लेना पड़ा. 6 अगस्त 2018 को तीसरी बार पीटी का रिजल्ट घोषित किया गया. तीसरी रिजल्ट में 34,634 कैंडिडेट को सफल घोषित किया गया.

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छठी जेपीएससी पर विवाद जारी

इस तीसरे नतीजे को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. कोर्ट में लंबी सुनवाई के बाद डबल बेंच ने रिजल्ट को रद्द कर दिया और 6103 कैंडिडेट के आधार पर मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी करने का आदेश दिया. उसके बाद झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. उसके बाद 15 फरवरी 2020 को 6103 अभ्यर्थी रिजल्ट के आधार पर मुख्य परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया गया, मार्च 2020 में साक्षात्कार लिया गया, 22 अप्रैल 2020 को छठी जेपीएससी के फाइनल रिजल्ट घोषित कर दिया गया.

इसे भी पढ़ें- सरकार की नाकामियों का दस्तावेज है मेरिट लिस्ट का रद्द होना: रघुवर दास

मुख्य परीक्षा का परीक्षा परिणाम आने पर कई गड़बड़ी सामने आईं और फिर से दर्जनों याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर की गईं. पहले मुख्य परीक्षा का कट-ऑफ 594 रखा गया, पर 593 अंक लाने वाले उम्मीदवार को सफल घोषित कर दिया, हंगामा के बाद फिर कट-ऑफ 593 कर दिया गया. इसके बावजूद भी कई गड़बड़ियां सामने आई और मुख्य परीक्षा के परिणाम को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी गई.

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छठी जेपीएससी पर विवाद जारी

अदालत ने मामले में सुनवाई के बाद जेपीएससी की ओर से पेपर 1 का अंक पूर्णांक में जोड़कर रिजल्ट घोषित करने को गलत माना. जिसके बाद हाई कोर्ट ने मेरिट लिस्ट को रद्द कर फिर से मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है. उस फैसले को भी हाई कोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दी गई है, फिलहाल सुनवाई चल रही है.

रांचीः छठी जेपीएससी परीक्षा से विवाद समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा है. सड़क से विधानसभा तक में भी हंगामा हुआ, राजनीतिक रोटियां भी सेंकी गईं. लेकिन विवाद समाप्त नहीं हो सका या यह कहें कि विवाद समाप्त करने की कोशिश ही नहीं की गई. परीक्षा के कई नतीजों पर मामला कोर्ट में लंबित है.

इसे भी पढ़ें- छठी जेपीएससी मामले में झारखंड हाई कोर्ट का अहम फैसला, एकलपीठ के आदेश पर डबल बेंच ने लगाई रोक

छठी जेपीएससी परीक्षा के विवाद से लाभ लेने के लिए विपक्ष हो या सत्ता पक्ष दोनों ने इस मुद्दे का लाभ लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी. पिछली रघुवर सरकार में 3 बार पीटी परीक्षा का रिजल्ट निकाला गया. वहीं हेमंत सरकार में मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में कई खामियों के सामने आने पर मुख्य परीक्षा के मेरिट लिस्ट को झारखंड हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया. छात्र आस लगाकर बैठे थे कि उस सरकार में ना सही नई सरकार में सब कुछ ठीक हो जाएगा, पर वह भी ना हो सका.

जानकारी देते अधिवक्ता हेमंत सिकरवार



हाल में फिर झारखंड हाईकोर्ट की डबल बेंच ने एकल पीठ की ओर से छठी जेपीएससी के मेरिट लिस्ट को रद्द कर फिर से नया मेरिट लिस्ट बनाने के आदेश पर तत्काल रोक लगा दी है. आगे मामले की सुनवाई पूरी होने के बाद फिर एक नया आदेश पारित किया जाएगा.

जानकारी देते अधिवक्ता



अदालत में मामले की सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से टिप्पणी की गई कि सरकार का स्टैंड एक नहीं है, उसमें बदलाव दिख रहा है. कोर्ट ने ये भी कहा कि इससे अदालत को संदेह लगता है कि लगभग 6 वर्षों से चल रही छठी जेपीएससी में दर्जनों आरोप लगे और कई बार मामला अदालत पहुंचा. अदालत के कई बार दिए गए आदेश पर 3 बार पीटी का रिजल्ट निकाला गया. मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में भी एक बार गड़बड़ी होने के बाद दूसरी बार निकाली गई. फिर नियुक्ति हुई, उस मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया गया है. वर्तमान में अदालत ने उसपर भी रोक लगा दी है, फिलहाल मामला हाई कोर्ट में लंबित है.

इसे भी पढ़ें- छठी JPSC मामले में दायर 18 याचिकाओं पर हाई कोर्ट में सुनवाई, अदालत ने दिया ये निर्देश

6 साल से चल रही नियुक्ति प्रक्रिया
जेपीएससी की छठी नियुक्ति प्रक्रिया में गड़बड़ी की बात स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि वर्ष 2015 में जो नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई थी. वर्ष 2020 में नियुक्ति तो कर दी गई, पर विवाद अभी-भी थमा नहीं है. कई आरोपों के साथ झारखंड हाईकोर्ट में दर्जनों याचिकाएं लंबित हैं.



वर्ष 2015 में पहली बार छठी जेपीएससी के लिए नोटिफिकेशन निकाला गया, पर उसे वापस लेकर अक्टूबर 2016 में फिर से 326 पदों के लिए नया नोटिफिकेशन जारी किया गया. दिसंबर 2016 में पीटी परीक्षा आयोजित की गई. 23 फरवरी 2017 को पहली बार इसका रिजल्ट घोषित किया गया. पीटी की प्रथम रिजल्ट में 5,138 अभ्यर्थी को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया गया.

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छठी जेपीएससी पर विवाद जारी



इस रिजल्ट को लेकर काफी हंगामा हुआ. बीसी-1 कैटेगरी के कई ऐसे कैंडिडेट्स थे, जो जनरल कैटेगरी के कैंडिडेट्स से ज्यादा अंक लाने के बाद भी फेल हो गए. आरक्षण नियमों की अनदेखी का आरोप लगा और सड़क से लेकर विधानसभा तक हंगामा हुआ, उसके बाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. झारखंड हाई कोर्ट के आदेश पर 11 अगस्त 2017 को दूसरी बार प्री-एग्जाम का रिजल्ट घोषित किया गया. जिसमें बीसी-1 और बीसी-2 कैटेगरी के 965 उम्मीदवार सफल घोषित किए गए.

इसे भी पढ़ें- JHARKHAND HIGH COURT: छठी जेपीएससी परीक्षा परिणाम को चुनौती देने के मामले में कैविएट याचिका दायर


छठी जेपीएससी के नोटिफिकेशन में स्पष्ट लिखा था कि कैटिगरी वाइज रिक्तियों के आधार पर 15 गुना कैंडिडेट्स को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया जाएगा. लेकिन दूसरी रिजल्ट ने मामला और उलझ गया, 6103 वाले रिजल्ट में जनरल, एससी, एसटी का रिजल्ट तो पहले की तरह 15 गुना ही रह गया. लेकिन बीसी-1 का 39 गुना और बीसी-2 का रिजल्ट 261 गुना बढ़ गया.

पीटी रिजल्ट पर घमासान चलता ही रहा. पिछली सरकार में विधानसभा सत्र के दौरान विपक्षी दल कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा और अन्य दलों ने लगातार विधानसभा की कार्यवाही बाधित करती रही. जिसके बाद तत्कालीन सरकार को रिजल्ट रद्द कर फिर से रिजल्ट जारी करने का फैसला लेना पड़ा. 6 अगस्त 2018 को तीसरी बार पीटी का रिजल्ट घोषित किया गया. तीसरी रिजल्ट में 34,634 कैंडिडेट को सफल घोषित किया गया.

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छठी जेपीएससी पर विवाद जारी

इस तीसरे नतीजे को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी गई. कोर्ट में लंबी सुनवाई के बाद डबल बेंच ने रिजल्ट को रद्द कर दिया और 6103 कैंडिडेट के आधार पर मुख्य परीक्षा का परिणाम जारी करने का आदेश दिया. उसके बाद झारखंड हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया. उसके बाद 15 फरवरी 2020 को 6103 अभ्यर्थी रिजल्ट के आधार पर मुख्य परीक्षा का रिजल्ट घोषित किया गया, मार्च 2020 में साक्षात्कार लिया गया, 22 अप्रैल 2020 को छठी जेपीएससी के फाइनल रिजल्ट घोषित कर दिया गया.

इसे भी पढ़ें- सरकार की नाकामियों का दस्तावेज है मेरिट लिस्ट का रद्द होना: रघुवर दास

मुख्य परीक्षा का परीक्षा परिणाम आने पर कई गड़बड़ी सामने आईं और फिर से दर्जनों याचिकाएं हाई कोर्ट में दायर की गईं. पहले मुख्य परीक्षा का कट-ऑफ 594 रखा गया, पर 593 अंक लाने वाले उम्मीदवार को सफल घोषित कर दिया, हंगामा के बाद फिर कट-ऑफ 593 कर दिया गया. इसके बावजूद भी कई गड़बड़ियां सामने आई और मुख्य परीक्षा के परिणाम को झारखंड हाई कोर्ट में चुनौती दी गई.

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छठी जेपीएससी पर विवाद जारी

अदालत ने मामले में सुनवाई के बाद जेपीएससी की ओर से पेपर 1 का अंक पूर्णांक में जोड़कर रिजल्ट घोषित करने को गलत माना. जिसके बाद हाई कोर्ट ने मेरिट लिस्ट को रद्द कर फिर से मेरिट लिस्ट बनाने का आदेश दिया है. उस फैसले को भी हाई कोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दी गई है, फिलहाल सुनवाई चल रही है.

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