रांची: नारकोटिक्स एक्ट में धनबाद एसएसपी कौशल किशोर, डीएसपी विजय कुमार कुशवाहा और निरसा के थानेदार उमेश कुमार सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग को लेकर डीजीपी एमवी राव को पत्र भेजा गया है. बता दें कि एमवी राव के पदभार संभालने के बाद किसी आईपीएस अधिकारी के खिलाफ मिली यह पहली शिकायत है.
राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर काम करने वाले विनय कुमार सिंह ने डीजीपी से पूरे मामले में शिकायत की है. शिकायत पत्र के मुताबिक, एसएसपी धनबाद समेत अन्य अधिकारियों पर पश्चिम बंगाल के रहने वाले चिरंजीत घोष को गांजा तस्करी का किंगपिन बता फर्जी तरीके से जेल भेजने का आरेाप लगाया गया था. चिरंजीत को बाद में धनबाद पुलिस ने रिहा करवाया था. धनबाद पुलिस की गलती के कारण चिरंजीत को 27 दिन जेल में गुजारने पड़े थे.
क्या है शिकायत
डीजीपी को जानकारी दी गई है कि 25 अगस्त 2019 को टवेरा गाड़ी से 40 किलोग्राम गांजा बरामद किया गया था, तब धनबाद एसएसपी ने मीडिया को बताया था कि डीएसपी विजय कुमार कुशवाहा, निरसा थानेदार उमेश कुमार सिंह ने गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए गांजा तस्करी गिरोह का खुलासा किया और गिरोह के किंगपिंग के तौर पर तब पुलिस ने चिरंजीत घोष को चिन्हित करने का दावा किया था. बाद में ईसीएस कर्मी चिरंजीत घोष को पश्चिम बंगाल से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. चिरंजीत की पत्नी बंगाल पुलिसकर्मी हैं. मामले में चिरंजीत की पत्नी ने तात्कालीन डीजीपी, एडीजी समेत अन्य अफसरों से मिलकर बताया था कि उसके पति बेगुनाह है. पश्चिम बंगाल के एक अधिकारी और कोयला माफियाओं के सिंडिकेट के द्वारा चिरंजीत को फंसाने का दावा किया गया था. मामले में जांच हुई तो यह बात सही निकली. तब धनबाद एसएसपी ने पूरे मामले में निरसा थानेदार की भूमिका को गलत माना था.
27 सितंबर को हुई गिरफ्तारी
पुलिस ने इस मामले में 27 सितंबर को राजीव राय और संजू सिंह को उठाया. इन युवकों से पश्चिम बंगाल के एक अधिकारी की भूमिका को कोर्ट में स्वीकारने का दबाव भी डाला गया. आरोप है कि दोनों युवकों ने बाद में पुलिस पर प्रताड़ित करते हुए जबरन बयान दिलवाने का आरोप लगाया. इस मामले में चिरंजीत घोष की रिहाई के बाद एसएसपी आवास लाया गया. चिरंजीत पर अफसरों ने दबाव डाला कि वह पूरे मामले को आगे न बढ़ाएं, पुलिस हमेशा उसका साथ देगी.
विनय कुमार सिंह ने आरोप लगाया है कि पूरे मामले में पुलिस ने बेगुनाह चिरंजीत को रिहा तो कर दिया, लेकिन इस मामले में पुलिस यह बता पाने में सक्षम नहीं है कि उसे गांजा तस्करी की सूचना कहां से मिली थी. पूरे मामले में चिरंजीत को फंसाने के लिए कोयला माफियाओं के द्वारा पैसे के मोटे खेल की जानकारी भी दी गई है.