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सहायक पुलिस कर्मियों को सरकार के समक्ष रखनी चाहिए अपनी बातें, गैर कानूनी कदम पर नहीं होगा समझौता : हेमंत सोरेन

रांची में शुक्रवार को सहायक पुलिसक्रमियों पर हुए लाठीचार्ज पर सीएम हेमंत सोरेन ने अनुरोध करते हुए वे लोग अपनी मांग सरकार के समक्ष रख सकते हैं. लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है. लेकिन किसी भी तरीके के गैर कानूनी कदम पर सरकार कंप्रोमाइज नहीं करेगी.

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हेमंत सोरेन
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Published : Sep 19, 2020, 11:18 AM IST

Updated : Sep 19, 2020, 11:35 AM IST

रांची: झारखंड के सहायक पुलिसकर्मी पिछले कई दिनों से अपनी मांगों को लेकर मोरहाबादी मैदान में आंदोलनरत हैं. इसको लेकर शुक्रवार को सहायक पुलिस कर्मियों के हंगामे को शांत करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज भी करना पड़ा. जिसके बाद दोनों ओर से कई लोग घायल हुए हैं, इस मसले पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि उन्हें अपनी बात सरकार के समक्ष रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि लाठीचार्ज की नौबत क्यों आई यह जांच का विषय है.

सीएम का बयान
'सरकार की सोच बिल्कुल सकारात्मक'सरकार की सोच बिल्कुल सकारात्मक है. लाठीचार्ज क्यों हुआ है, किस वजह से हुआ यह जानने का विषय है. मुख्यमंत्री ने सहायक पुलिस कर्मियों से अनुरोध भी किया कि सभी लोग अपनी मांगें सरकार के समक्ष रख सकते हैं. लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है. लेकिन किसी भी तरीके के गैर कानूनी कदम पर सरकार कंप्रोमाइज नहीं करेगी. उन्होंने कहा है कि जो भी बातें हैं सहायक पुलिसकर्मी सरकार के पास रख सकते हैं, सरकार आपकी बातों को सुनेगी.

ये भी पढ़ें- 22 सितंबर से जमशेदपुर वीमेंस कालेज में शुरू होगा नया सत्र, दो पालियों में आयोजित हो सकती हैं कक्षाएं



आंदोलन के बहाने बीजेपी सेंक रही राजनीतिक रोटी
बता दें कि झारखंड में संविदा के आधार पर सहायक पुलिस कर्मियों की बहाली पिछली सरकार में ही की गई थी. लेकिन उनकी कार्यकाल की समय अवधि 31 अगस्त को ही खत्म हो गई है. जिसके बाद वह स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं और इस मांग को लेकर मोरहाबादी मैदान में धरने पर बैठे हुए हैं. इसको लेकर पक्ष-विपक्ष भी आमने-सामने आ गया है. विपक्षी बीजेपी का कहना है कि सहायक पुलिस कर्मियों को स्थाई किया जाए. साथ ही लाठीचार्ज की भी कड़ी निंदा की गई है, जबकि सत्ताधारी दलों का कहना है कि पिछली बीजेपी के सरकार में संविदा पर सहायक पुलिस कर्मियों को बहाल किया गया था तो सरकार को अपने कार्यकाल में ही उन्हें स्थाई करना चाहिए था. लेकिन अब विपक्षी दल बीजेपी सहायक पुलिस कर्मियों के आंदोलन के बहाने राजनीतिक रोटी सेंकने का काम कर रही है.

रांची: झारखंड के सहायक पुलिसकर्मी पिछले कई दिनों से अपनी मांगों को लेकर मोरहाबादी मैदान में आंदोलनरत हैं. इसको लेकर शुक्रवार को सहायक पुलिस कर्मियों के हंगामे को शांत करने के लिए पुलिस को लाठी चार्ज भी करना पड़ा. जिसके बाद दोनों ओर से कई लोग घायल हुए हैं, इस मसले पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि उन्हें अपनी बात सरकार के समक्ष रखनी चाहिए. उन्होंने कहा कि लाठीचार्ज की नौबत क्यों आई यह जांच का विषय है.

सीएम का बयान
'सरकार की सोच बिल्कुल सकारात्मक'सरकार की सोच बिल्कुल सकारात्मक है. लाठीचार्ज क्यों हुआ है, किस वजह से हुआ यह जानने का विषय है. मुख्यमंत्री ने सहायक पुलिस कर्मियों से अनुरोध भी किया कि सभी लोग अपनी मांगें सरकार के समक्ष रख सकते हैं. लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है. लेकिन किसी भी तरीके के गैर कानूनी कदम पर सरकार कंप्रोमाइज नहीं करेगी. उन्होंने कहा है कि जो भी बातें हैं सहायक पुलिसकर्मी सरकार के पास रख सकते हैं, सरकार आपकी बातों को सुनेगी.

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आंदोलन के बहाने बीजेपी सेंक रही राजनीतिक रोटी
बता दें कि झारखंड में संविदा के आधार पर सहायक पुलिस कर्मियों की बहाली पिछली सरकार में ही की गई थी. लेकिन उनकी कार्यकाल की समय अवधि 31 अगस्त को ही खत्म हो गई है. जिसके बाद वह स्थायीकरण की मांग कर रहे हैं और इस मांग को लेकर मोरहाबादी मैदान में धरने पर बैठे हुए हैं. इसको लेकर पक्ष-विपक्ष भी आमने-सामने आ गया है. विपक्षी बीजेपी का कहना है कि सहायक पुलिस कर्मियों को स्थाई किया जाए. साथ ही लाठीचार्ज की भी कड़ी निंदा की गई है, जबकि सत्ताधारी दलों का कहना है कि पिछली बीजेपी के सरकार में संविदा पर सहायक पुलिस कर्मियों को बहाल किया गया था तो सरकार को अपने कार्यकाल में ही उन्हें स्थाई करना चाहिए था. लेकिन अब विपक्षी दल बीजेपी सहायक पुलिस कर्मियों के आंदोलन के बहाने राजनीतिक रोटी सेंकने का काम कर रही है.

Last Updated : Sep 19, 2020, 11:35 AM IST
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