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गिरिडीह में बंद कैमरों से शहर की निगरानी, 32 में से 17 CCTV खराब

गिरिडीह में शहर की सुरक्षा के लिए 32 में से 15 सीसीटीवी खराब हैं. ऐसे में पुलिस शहर की निगरानी कैसे कर रही है इस पर सवाल उठ रहे है.

city surveillance with damage-cctv
खराब कैमरों से शहर की निगरानी
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Published : Dec 5, 2021, 5:03 PM IST

Updated : Dec 5, 2021, 5:25 PM IST

गिरिडीह: जिले की पुलिस भले ही अपराधियों पर कड़ी नजर रखने का दावा करती हो. लेकिन आम लोगों और आपराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रशासन कितनी तत्पर है, इसका अंदाजा शहर में लगे सीसीटीवी कैमरे से लगाया जा सकता है. शहर में लगे 32 सीसीटीवी कैमरों में से 15 खराब हैं. यानी महज 17 कैमरों के भरोसे ही पूरे शहर की सुरक्षा व्यवस्था है. इस हालात में शहर के लोग कितने महफूज हैं. सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.

ये भी पढ़ें- Vehicle Thief Gang: रांची में वाहन चोर गैंग की महिला सरगना गिरफ्तार, बिहार के शराब तस्करों को बेचती थी गाड़ी

खराब कैमरों से शहर की निगरानी

लगभग तीन वर्ष पूर्व लगाए गए इस कैमरे की मदद से ही जिला पुलिस पूरे शहर में अपराधों पर नजर रखती रही है. लेकिन वर्तमान में इन 32 में से अधिकांश कैमरा बंद है. ऐसे में अभी शहर की निगहबानी बंद कैमरों से ही हो रही है. इस हालात को देखते हुए सियासत भी शुरू हो गई है. जेएमएम ने आरोप लगाया है कि कैमरे की देखभाल का जिम्मा उठा रहे ऑरेंज मीडिया को फायदा पहुंचाने के लिए करार किया गया था. पार्टी ने इस करार को रद्द करने की मांग की है.

देखें वीडियो

कैसे मिला था टेंडर

बता दें कि साल 2018 में ऑरेंज मीडिया को पुलिस महानिरीक्षक (प्रोविजन) व उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त के पत्र के आधार पर शहर के यूनिपोल पर निशुल्क सीसीटीवी कैमरा लगाने और देखभाल की अनुमति तत्कालीन नगर आयुक्त ने दी थी. इस कार्य के एवज में यूनिपोल के फ्रेम पर विज्ञापन, प्रचार-प्रसार से होनेवाली कमाई ऑरेंज मीडिया को ही मिलती है. लेकिन आये दिन कैमरों के खराब रहने की शिकायत मिलने पर कंपनी पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं.

नगर निगम को घाटा

जेएमएम के मुताबिक यूनिपोल पर लगे विज्ञापन से ऑरेंज मीडिया को प्रतिमाह लाखों का मुनाफा हो रहा है जबकि निगम इस करार से घाटे में है. जेएमएम के जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि यूनिपोल हो या निगम का होर्डिंग सभी के अधिष्ठापन में अनियमितता बरती गई है.

संजय सिंह ने कहा कि ऑरेंज मीडिया को यूनिपोल में होर्डिंग लगाने का जो जिम्मा सौंपा गया है उसमें सभी नियमों को ताक पर रखा गया. न तो बोर्ड की मीटिंग में इसे पारित किया गया और न ही अनुमति ली गई. उन्होंने कहा ताज्जुब की बात है कि होर्डिंग लगाकर ऑरेंज मीडिया प्रति माह 4 से 5 लाख की कमाई कर रहा है. दूसरी तरफ निगम को मात्र एक लाख रुपया सालाना मिल रहा है. इससे निगम को सीधा नुकसान हो रहा है. संजय सिंह ने पूरे करार की जांच की मांग की है.

ऑरेंज मीडिया करार को कर रही है दरकिनार

उप महापौर प्रकाश सेठ का भी कहना है कि बोर्ड से पारित किए बैगर ऑरेंज मीडिया से किया गया करार गलत है. उप नगर आयुक्त राजेश प्रजापति ने भी कहा कि ऑरेंज मीडिया के कार्यों की लगातार शिकायत मिल रही है. इस शिकायत पर जब भी एजेंसी को फटकार लगाई जाती है तो कुछ दिनों के लिए कैमरा को ठीक कर दिया जाता है लेकिन बाद में स्थिति उसी तरह की हो रही है. निगम इस मामले को गंभीरता से ले रही है.

ऑरेंज मीडिया की सफाई

इस मामले पर ऑरेंज मीडिया के कर्मी राकेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शहर में 32 कैमरे लगाए गए हैं जिसमें अभी 15 कैमरा चालू है. इनका कहना है कि कभी कभी ही कैमरा खराब रहता है.

गिरिडीह: जिले की पुलिस भले ही अपराधियों पर कड़ी नजर रखने का दावा करती हो. लेकिन आम लोगों और आपराधिक घटनाओं की रोकथाम के लिए प्रशासन कितनी तत्पर है, इसका अंदाजा शहर में लगे सीसीटीवी कैमरे से लगाया जा सकता है. शहर में लगे 32 सीसीटीवी कैमरों में से 15 खराब हैं. यानी महज 17 कैमरों के भरोसे ही पूरे शहर की सुरक्षा व्यवस्था है. इस हालात में शहर के लोग कितने महफूज हैं. सहज अंदाजा लगाया जा सकता है.

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खराब कैमरों से शहर की निगरानी

लगभग तीन वर्ष पूर्व लगाए गए इस कैमरे की मदद से ही जिला पुलिस पूरे शहर में अपराधों पर नजर रखती रही है. लेकिन वर्तमान में इन 32 में से अधिकांश कैमरा बंद है. ऐसे में अभी शहर की निगहबानी बंद कैमरों से ही हो रही है. इस हालात को देखते हुए सियासत भी शुरू हो गई है. जेएमएम ने आरोप लगाया है कि कैमरे की देखभाल का जिम्मा उठा रहे ऑरेंज मीडिया को फायदा पहुंचाने के लिए करार किया गया था. पार्टी ने इस करार को रद्द करने की मांग की है.

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कैसे मिला था टेंडर

बता दें कि साल 2018 में ऑरेंज मीडिया को पुलिस महानिरीक्षक (प्रोविजन) व उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त के पत्र के आधार पर शहर के यूनिपोल पर निशुल्क सीसीटीवी कैमरा लगाने और देखभाल की अनुमति तत्कालीन नगर आयुक्त ने दी थी. इस कार्य के एवज में यूनिपोल के फ्रेम पर विज्ञापन, प्रचार-प्रसार से होनेवाली कमाई ऑरेंज मीडिया को ही मिलती है. लेकिन आये दिन कैमरों के खराब रहने की शिकायत मिलने पर कंपनी पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं.

नगर निगम को घाटा

जेएमएम के मुताबिक यूनिपोल पर लगे विज्ञापन से ऑरेंज मीडिया को प्रतिमाह लाखों का मुनाफा हो रहा है जबकि निगम इस करार से घाटे में है. जेएमएम के जिलाध्यक्ष संजय सिंह ने कहा कि यूनिपोल हो या निगम का होर्डिंग सभी के अधिष्ठापन में अनियमितता बरती गई है.

संजय सिंह ने कहा कि ऑरेंज मीडिया को यूनिपोल में होर्डिंग लगाने का जो जिम्मा सौंपा गया है उसमें सभी नियमों को ताक पर रखा गया. न तो बोर्ड की मीटिंग में इसे पारित किया गया और न ही अनुमति ली गई. उन्होंने कहा ताज्जुब की बात है कि होर्डिंग लगाकर ऑरेंज मीडिया प्रति माह 4 से 5 लाख की कमाई कर रहा है. दूसरी तरफ निगम को मात्र एक लाख रुपया सालाना मिल रहा है. इससे निगम को सीधा नुकसान हो रहा है. संजय सिंह ने पूरे करार की जांच की मांग की है.

ऑरेंज मीडिया करार को कर रही है दरकिनार

उप महापौर प्रकाश सेठ का भी कहना है कि बोर्ड से पारित किए बैगर ऑरेंज मीडिया से किया गया करार गलत है. उप नगर आयुक्त राजेश प्रजापति ने भी कहा कि ऑरेंज मीडिया के कार्यों की लगातार शिकायत मिल रही है. इस शिकायत पर जब भी एजेंसी को फटकार लगाई जाती है तो कुछ दिनों के लिए कैमरा को ठीक कर दिया जाता है लेकिन बाद में स्थिति उसी तरह की हो रही है. निगम इस मामले को गंभीरता से ले रही है.

ऑरेंज मीडिया की सफाई

इस मामले पर ऑरेंज मीडिया के कर्मी राकेश कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि शहर में 32 कैमरे लगाए गए हैं जिसमें अभी 15 कैमरा चालू है. इनका कहना है कि कभी कभी ही कैमरा खराब रहता है.

Last Updated : Dec 5, 2021, 5:25 PM IST
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