रांची: पूर्व मंत्री व सिमडेगा के विधायक रहे नियेल तिर्की को तिहरे हत्याकांड में गलत तरीके से फंसाया गया था. गुमला पुलिस ने पालकोट में हुए तिहरे हत्याकांड के मामले में नियेल तिर्की को गैरनामजद अभियुक्त बना दिया था, लेकिन सीआईडी सूत्रों की मानें तो नियेल तिर्की के खिलाफ इस मामले में स्पष्ट तौर पर कोई साक्ष्य नहीं मिला है.
पूर्व विधायक की भूमिका नहीं
प्रथम दृष्टया सीआईडी पूरे मामले में यह मान कर चल रही है कि हत्याकांड में नियेल तिर्की की कोई भूमिका नहीं है. सीआईडी ने मई महीने में गुमला के पालकोट थाने में दर्ज केस को टेकओवर किया था. नियेल तिर्की ने इस मामले मे पूर्व में डीजीपी को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि राजनीतिक कारणों से जबरन उन्हें हत्याकांड में आरोपी बना दिया गया था. हत्याकांड में फंसाने के पीछे उन्होंने भाजपा की पूर्व विधायक विमला प्रधान और उनके करीबियों की ओर इशारा किया गया था. मामले में नियेल तिर्की ने डीजीपी के समक्ष मामले में नए सिरे से जांच कराने के लिए आवेदन दिया था. नियेल तिर्की की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पुलिस मुख्यालय ने पूरे मामले में सीआईडी से अनुसंधान का आदेश दिया था.
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क्या है मामला
दिसंबर 2017 में पालकोट के तपकारा खटगांव में ग्रामीणों ने टहलू राम केवट, उनकी पत्नी लखपति देवी व बेटी रूनी कुमारी की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. ग्रामीणों का आरोप था कि टहलू राम केवट के दामाद मोतीलात की शिकायत पर 25 नवंबर 2017 को गांव के युवक नंदलाल केरकेट्टा को थाने ले गई थी. थाने में नंदलाल ने मोतीलाल और स्थानीय पुलिस पर मिलीभगत कर हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था. बाद में उसी दिन नंदलाल का शव कुएं में बरामद किया गया. पुलिस का कहना था कि नंदलाल ने हाजत से भागकर कुएं में कूदकर जान दे दी. इसी घटना के प्रतिशोधवश धान चोरी का आरोप लगाते हुए टहलूराम समेत तीन लोगों की हत्या को अंजाम दिया गया था.
कैसे पूर्व विधायक नियेल तिर्की को बनाया गया आरोपी
तिहरे हत्याकांड के बाद पुलिस ने जब मामले की तफ्तीश शुरु की तब केस दैनिकी में लिखा गया कि 25 नवंबर 2017 को नंदलाल की मौत के बाद पूर्व विधायक नियेल तिर्की ने खटगांव में बैठक की. इसी आधार पर उन्हें आरोपी बना दिया गया था, जिसके बाद नियेल तिर्की ने साक्ष्य के तौर पर अपने तीन मोबाइल नंबर दिए थे. साथ ही उन्होंने लिखा है कि अगर उन्हें खटगांव में बैठक की तो उनके मोबाइल का लोकेशन निकालकर इसकी जांच करा ली जाए. पूर्व विधायक का आरोप था कि मामले में जिस मोतीलाल का नाम आया है, वह तात्कालिन विधायक विमला प्रधान का करीबी रहा है. नियेल तिर्की का आरोप है कि मोतीलाल के उग्रवादी गतिविधियों में संलिप्तत होने को लेकर वह आवाज उठाते रहते थे, ऐसे में उन्हें गलत मामले में फंसा दिया गया.